भारतीय उद्योग जगत अपने शेयरधारकों को लाभांश का भुगतान करने के मामले में दिलदार बना हुआ है। खास तौर पर मोटी नकदी वाली कंपनियों जैसे टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (Tata Consultancy Services), हिंदुस्तान जिंक (Hindustan Zinc) और कोल इंडिया (Coal India) के मामले में यह बात सच साबित होती है। इन तीन कंपनियों द्वारा ज्यादा लाभांश भुगतान की वजह से सभी सूचीबद्ध कंपनियों का इक्विटी लाभांश भुगतान वित्त वर्ष 2023 में सालाना आधार पर 38 फीसदी बढ़कर रिकॉर्ड 2.27 लाख करोड़ रुपये रहा। वित्त वर्ष 2022 में यह आंकड़ा 1.65 लाख करोड़ रुपये था।
इसकी तुलना में पिछले वित्त वर्ष में इन कंपनियों का समेकित शुद्ध मुनाफा सालाना आधार पर 13.4 फीसदी बढ़ा था। इसके परिणामस्वरूप वित्त वर्ष 2023 में कंपनियों के लाभांश भुगतान अनुपात में भी इजाफा हुआ। हमारे नमूने में शामिल कंपनियों ने वित्त वर्ष 2023 में अपने शुद्ध मुनाफे का 41.2 फीसदी लाभांश के तौर पर वितरित किया जबकि वित्त वर्ष 2022 में मुनाफे का 33.9 फीसदी हिस्सा लाभांश पर खर्च किया गया था।
यह विश्लेषण वित्त वर्ष 2023 के लिए हमारे नमूने में शामिल 557 कंपनियों के नतीजे तथा अंतिम लाभांश की घोषणा के आधार पर किया गया है। सभी सूचीबद्ध कंपनियों (लिस्टेड कंपनियों) के बाजार पूंजीकरण (mcap) में इन कंपनियों की हिस्सेदारी करीब 50 फीसदी है।
हालांकि वित्त वर्ष 2023 में इक्विटी लाभांश में इजाफा मुख्य रूप से टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज, हिंदुस्तान जिंक और कोल इंडिया द्वारा ज्यादा लाभांश चुकाने की वजह से हुआ है। इन कंपनियों ने कुल मिलाकर 94,482 करोड़ रुपये का लाभांश दिया है जबकि वित्त वर्ष 2022 में 60,663 करोड़ रुपये लाभांश का भुगतान किया गया था। वित्त वर्ष 2023 में कुल लाभांश भुगतान में इन तीन कंपनियों की हिस्सेदारी करीब 41.5 फीसदी रही। लाभांश भुगतान में बढ़ोतरी में इन तीनों फर्मों का योगदान करीब 97 फीसदी रहा।
इन तीन कंपनियों को निकाल दें तो हमारे नमूने में शामिल कंपनियों को कुल लाभांश भुगतान वित्त वर्ष 2023 में महज 1.4 फीसदी बढ़ा है और भुगतान अनुपात में गिरावट आई है।
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विश्लेषकों ने कहा कि ऊंचे कराधान के कारण इक्विटी लाभांश अब शेयरधारकों के बीच अपनी प्रासंगिकता खो रहा है। इक्विनॉमिक्स रिसर्च ऐंड एडवाइजरी सर्विसेज के संस्थापक और प्रबंध निदेशक जी चोकालिंगम ने कहा, ‘लाभांश आय पर अब उच्चतम दर से कर लगाया जाता है, ऐसे में उच्च आय वाले लोगों को लाभांश आय पर 42 फीसदी तक कर चुकाना पड़ सकता है। इसलिए शेयर पुनर्खरीद और अधिग्रहण कर के लिहाज से लाभांश की तुलना बेहतर है।’
लाभांश के आंकड़ों में आगे बदलाव हो सकता है क्योंकि रिलायंस इंडस्ट्रीज सहित कई बड़ी कंपनियों ने अभी लाभांश की घोषणा नहीं की है। रिलायंस ने वित्त वर्ष 2022 में कुल 4,512 करोड़ रुपये के लाभांश का भुगतान किया था। ONGC (Oil & Natural Gas Corporation), वेदांत (Vedanta), इंडियन ऑयल (Indian Oil Corporation), आईटीसी (ITC), पावर ग्रिड (Power Grid Corporation), एनटीपीसी (NTPC), भारतीय स्टेट बैंक (SBI) और गेल (इंडिया) जैसी कंपनियों ने भी अभी लाभांश की घोषणा नहीं की है।
वित्त वर्ष/कैलेंडर वर्ष 2022 में 1,391 सूचीबद्ध कंपनियों ने कुल 3.6 लाख करोड़ रुपये का इक्विटी लाभांश का भुगतान किया था। धातु एवं खनन क्षेत्र की दिग्गज कंपनी वेदांत ने सबसे ज्यादा 16,740 करोड़ रुपये का लाभांश दिया था। इसके बाद टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज ने 15,738 करोड़ रुपये और आईटीसी ने 14,171 करोड़ रुपये के लाभांश का भुगतान किया था।
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हालांकि वित्त वर्ष 2023 में अभी तक सबसे ज्यादा लाभांश की घोषणा करने वाली कंपनियों में टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज 42,090 करोड़ रुपये के साथ सबसे आगे है। कंपनी ने अपना समूचा शुद्ध मुनाफा लाभांश के तौर पर शेयरधारकों को दे दिया है। कंपनी को वित्त वर्ष 2023 में 42,147 करोड़ रुपये का शुद्ध मुनाफा हुआ था।
इसी तरह हिंदुस्तान जिंक ने वित्त वर्ष 2023 में 31,901 करोड़ रुपये का लाभांश देने की घोषणा की है जो वित्त वर्ष 2022 के 7,605 करोड़ रुपये से करीब चार गुना अधिक है। हालांकि वित्त वर्ष 2023 में कंपनी का शुद्ध मुनाफा 9.2 फीसदी बढ़कर 10,511 करोड़ रुपये रहा था।
कोल इंडिया ने वित्त वर्ष 2023 में शेयरधारकों को 20,491 करोड़ रुपये लाभांश का भुगतान किया है, जो वित्त वर्ष 2022 के 10,477 करोड़ रुपये से 95.6 फीसदी अधिक है। इसकी तुलना में कंपनी का शुद्ध मुनाफा वित्त वर्ष 2023 में 66 फीसदी बढ़कर 28,165 करोड़ रुपये रहा।
इसके अलावा एचडीएफसी (48.4 फीसदी), मारुति सुजूकी (50 फीसदी) और आइसीआईसीआई बैंक (56.3 फीसदी) के लाभांश भुगतान में भी इजाफा हुआ है।