facebookmetapixel
कमजोर फंड की पहचान कर निवेश पोर्टफोलियो को सुदृढ़ बनाएं, फिर रहें या निकलें!क्या 2026 में भी सोने-चांदी की कीमतें आसमान छूएंगी? एक्सपर्ट्स ने की बड़ी भविष्यवाणीहर एक शेयर पर मिलेंगे 23 शेयर, स्टॉक की कीमत ₹10 से भी कम; NBFC कंपनी ने मचाया धमाल2025 में चांदी की रिकॉर्ड बढ़त के बाद कियोसाकी का दावा: 2026 में 200 डॉलर तक पहुंचने की संभावना!छिपे फॉरेक्स चार्ज से परेशान? विशेषज्ञ से समझें RBI के नए नियमों के बारे मेंGST सुधार और FDI का असर: बीमा क्षेत्र में फिर आएगी रफ्तार, FY27 में डबल डिजिट ग्रोथ की उम्मीदUpcoming IPOs: Jio, फ्लिपकार्ट, PhonePe से लेकर OYO तक; 2026 में इन बड़े नाम के आएंगे IPOMarket Outlook: नए साल से पहले बाजार की चाल तय करेंगे मैक्रो आंकड़े और वैश्विक संकेतBonus Stocks: 2025 की विदाई और 2026 की शुरुआत में निवेशकों को तोहफा, दो कंपनियां बाटेंगी बोनसStock Split: अगले हफ्ते दो कंपनियां अपने शेयरों का करेंगी बंटवारा, रिकॉर्ड-डेट पर सबकी नजर

SEBI जल्द लागू करेगा F&O पर नए नियम, सर्कुलर के जरिए होंगे बदलाव

सेबी ने यह भी सुझाव दिया था कि इंडेक्स फ्यूचर्स और ऑप्शंस (F&O) में खुदरा निवेशकों की भागीदारी को सीमित किया जाए

Last Updated- October 01, 2024 | 9:02 PM IST
SEBI

डेरिवेटिव्स ट्रेडिंग के नियमों में बदलाव का लंबे समय से इंतजार हो रहा था लेकिन यह सेबी की ताजा बोर्ड बैठक के 17-बिंदु एजेंडा में शामिल नहीं था। बहरहाल, नियामक सूत्रों का कहना है कि ये नियम जल्द ही एक सर्कुलर के जरिए लागू हो सकते हैं। गौर करने वाली बात है कि ये नियम जुलाई में एक चर्चा पत्र के जरिए सुझाए गए थे।

सेबी ने यह भी सुझाव दिया था कि इंडेक्स फ्यूचर्स और ऑप्शंस (F&O) में खुदरा निवेशकों की भागीदारी को सीमित किया जाए, ताकि उन्हें होने वाले नुकसान को कम किया जा सके।

एक सूत्र ने बताया कि यह परामर्श पत्र ड्राफ्ट सर्कुलर के रूप में पेश किया गया था, न कि ड्राफ्ट नियमों के रूप में। इसलिए सेबी की बोर्ड बैठक के बाद जारी 23 पन्नों की प्रेस रिलीज़ में इसका जिक्र नहीं हुआ।

सेबी के पूर्णकालिक सदस्य अश्वनी भाटिया ने नई दिल्ली में आयोजित लोकल गवर्नेंस सिनर्जी कॉन्क्लेव के दौरान बताया कि ये बदलाव जल्द ही लागू हो सकते हैं। यह कार्यक्रम भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) और भारतीय चार्टर्ड अकाउंटेंट्स संस्थान (ICAI) द्वारा मिलकर आयोजित किया गया था।

स्टॉक एक्सचेंज समेत बाजार के प्लेयर्स ने इन बदलावों पर अपने सुझाव दिए हैं। इन सुझावों में उच्च प्रवेश शर्तें, हर एक्सचेंज के लिए साप्ताहिक एक्सपायरी पर एक बेंचमार्क और मार्जिन नियम शामिल हैं।

बाजार नियामक को प्रस्तावित बदलावों पर भारी प्रतिक्रिया मिली थी, और F&O ट्रेडर्स इन बदलावों के अंतिम रूप लेने को लेकर चिंतित हैं। डेरिवेटिव्स मार्केट में ट्रेडर्स के हितों का प्रतिनिधित्व करने वाले वैश्विक व्यापार संगठन, फ्यूचर्स इंडस्ट्री एसोसिएशन (FIA), ने भी अपनी प्रतिक्रिया में “सावधानीपूर्वक और सुरक्षित तरीके” से कदम उठाने की सिफारिश की थी।

फ्यूचर्स इंडस्ट्री एसोसिएशन (FIA) ने कहा कि प्रस्तावित उपायों से अनजाने में उलटे नतीजे आ सकते हैं, इसलिए इन्हें ध्यान से जांचना जरूरी है। उदाहरण के लिए, अगर ELM (एक्सट्रीम लॉस मार्जिन) बढ़ा दिया गया तो सुरक्षित ऑप्शंस रणनीतियों (जैसे कॉल, पुट, और कैलेंडर स्प्रेड्स) पर ज्यादा भार पड़ सकता है, जिससे निवेशक जोखिम भरी रणनीतियों की ओर जा सकते हैं, जिन पर अब वही मार्जिन लागत लगेगी।

FIA ने यह भी कहा कि अगर एक्सपायरी और स्ट्राइक प्राइस कम कर दी गई, तो बाजार कुछ ही वित्तीय साधनों तक सीमित हो सकता है, जिससे निवेशकों के पास कम विकल्प रहेंगे और उनकी रणनीतियों की सटीकता और लागत-प्रभावशीलता पर असर पड़ सकता है।

सोमवार को सेबी की बोर्ड बैठक में, जिसमें भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) और सरकार के सदस्य भी शामिल थे, कई अहम फैसलों को मंजूरी दी गई। इनमें निवेश सलाहकार नियमों में बदलाव, तेज़ राइट्स इश्यू की प्रक्रिया, और वैकल्पिक निवेश फंड्स (AIF) के निवेशकों को प्रॉ-राटा और पैरी-पासू अधिकार देना शामिल है।

First Published - October 1, 2024 | 9:02 PM IST

संबंधित पोस्ट