भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के अध्यक्ष तुहिन कांत पांडेय ने शुक्रवार को म्युचुअल फंड कंपनियों से माइक्रोकैप फर्मों में निवेश करते समय सावधानी बरतने को कहा।
पांडेय ने कहा, ‘हालांकि ब्लू चिप से परे विविधता लाए जाने की जरूरत है, लेकिन खुदरा उत्पाद के रूप में म्युचुअल फंड को माइक्रोकैप या ऋण पत्रों में निवेश करते समय खास सावधानी बरतनी चाहिए।’ उन्होंने कहा कि फंड हाउसों को निवेश जोखिमों से परे परिचालन संबंधित जोखिमों के प्रति सचेत रहना चाहिए, क्योंकि ये निवेशकों के विश्वास को डगमगा सकते हैं। पांडेय एसोसिएशन ऑफ म्युचुअल फंड्स इन इंडिया के 30वें स्थापना दिवस पर बोल रहे थे।
सेबी प्रमुख ने परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनियों से पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए ऐसे निवेश निर्णयों के लिए उचित दस्तावेजी प्रक्रिया पर अमल करने को कहा। यह बयान ऐसे समय में आया है जब माइक्रोकैप श्रेणी में कई नई योजनाएं शुरू हुई हैं। माइक्रोकैप उन कंपनियों को संदर्भित करता है जिनका बाजार पूंजीकरण आमतौर पर 1,000 करोड़ रुपये से कम होता है।
बाजार नियामक ने हाल में म्युचुअल फंडों के वर्गीकरण में सुधारों पर एक परामर्श पत्र भी जारी किया है, जिसमें कुछ श्रेणियों में सीमित अवसरों को लेकर म्युचुअल फंड उद्योग की चिंताओं का समाधान किया गया है।
सेबी अध्यक्ष ने ‘धोखेबाजों द्वारा किए जा रहे धोखाधड़ी वाले रिडम्प्शन के खतरे’ पर भी प्रकाश डाला।
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तकनीकी खामियों के संबंध में और अधिक जांच-पड़ताल पर जोर देते हुए सेबी अध्यक्ष ने कहा, ‘जैसे-जैसे धोखेबाज ज्यादा आधुनिक होते जा रहे हैं, हमें और ज्यादा सतर्क रहना होगा। हर बार जब ऐसा कोई मामला सामने आए, तो एएमसी को तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए और ऐसी प्रणालियों के बदलते पैटर्न पर नजर रखनी चाहिए। इस मुहिम में, सूचना की गति ही हमारा सबसे बड़ा हथियार है।’
डेटा गोपनीयता की चिंताओं के संदर्भ में पांडेय ने निवेशकों की अत्यधिक संवेदनशील व्यक्तिगत जानकारी की सुरक्षा के लिए एएमसी की जिम्मेदारियों को रेखांकित किया।
सेबी के अधिकारी ने कहा, ‘डेटा की सुरक्षा उतनी ही जरूरी है जितनी कि उनके पैसे की सुरक्षा। तीसरा, आउटसोर्सिंग से दक्षता बढ़ी है, लेकिन इससे जवाबदेही कम नहीं होती। म्युचुअल फंड विक्रेताओं या साझेदारों के कार्यों के लिए पूरी तरह जिम्मेदार रहते हैं। इसलिए, एएमसी को विक्रेताओं या तीसरे पक्षों के साथ अपने समझौतों में यह सुनिश्चित करना चाहिए कि डेटा लीक होने की कोई गुंजाइश न हो।’
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छोटी एसआईपी या 250 रुपये की एसआईपी के लिए बढ़ते जोर के बीच चेयरमैन ने उद्योग जगत से पूछा कि क्या पहली बार निवेश करने वालों के लिए इस योजना को बढ़ावा देने के लिए कुछ बदलाव करने की जरूरत है। उद्योग सूत्रों के अनुसार नियामक के दबाव के बावजूद छोटी एसआईपी के लिए रुझान धीमा रहा है और ऐसे एसआईपी की संख्या 1,000 से भी कम है।