बाजार नियामक सेबी के पास ऑल्टरनेट इन्वेस्टमेंट फंड (AIF) के गठन के लिए आवेदन की भरमार हो गई है। नियामक के पास दो दर्जन से ज्यादा आवेदनों में से अधिकतर अगस्त 2022 से दिसंबर 2022 के बीच जमा कराए गए थे। पर इन आवेदनों को अभी हरी झंडी नहीं मिली है।
उद्योग के प्रतिभागियों व कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि सेबी का सतर्कता भरा रुख और आंतरिक पुनर्गठन से आवेदनों को मंजूरी देने की समयसारणी लंबी हो गई है।
28 फरवरी को एआईएफ के गठन के लिए जमा कराए गए कुल 54 आवेदन प्रक्रिया के दायरे में थे। इनमें से 24 आवेदन दिसंबर 2022 से पहले जमा कराए गए थे, जिनमें व्हाइटओक कैपिटल, आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज एआईएफ ट्रस्ट, पीरामल ऑल्टरनेटिव्स इंडिया एक्सेस ट्रस्ट, चिराती ट्रस्ट, डाल्टन इंडिया के आवेदन शामिल हैं।
लंबित आवेदनों में 28 कैटिगरी-2 एआईएफ के, 11 कैटिगरी -1 एआईएफ के और 15 कैटिगरी-3 के आवेदन हैं, जो खुदरा निवेशकों को सेवाएं देता है।
कानूनी विशेषज्ञों के मुताबिक, जहां फंड की स्थापना करने वाले प्रबंधन के पास पर्याप्त अनुभव नहीं है वहां बाजार नियामक काफी पूछताछ कर रहा है।
सुपरएनएवी की चीफ ग्रोफ अफसर नेहा मालवीय कुलकर्णी ने कहा, यह क्षेत्र काफी तेजी से आगे बढ़ रहा है और इसमें बड़े रकम की दरकार होती है। सेबी यह सुनिश्चित करना चाहेगा कि इसका प्रबंधन व नियमन सही तरीके से हो। निवेशक हालांकि अपने निवेश से जुड़ा जोखिम समझते हैं, लेकिन यह नियामक को अपनी जिम्मेदारी से मुक्त नहीं करता।
उन्होंने कहा, अब नियामक आवेदन व इसके साथ दिए गए दस्तावेज के हर पहलू की जांच कर रहा है और यहां तक कि आंतरिक शोध पर भी।
कई हाई प्रोफाइल फंड मैनेजर खुद का एआईएफ गठित करने के लिए अपने-अपने म्युचुअल फंडों को अलविदा कह चुके हैं। नियामकीय मंजूरी में देरी के कारण कुछ की तरफ अभी निवेश होना बाकी है।
जून 2022 में एआईएफ में कुल प्रतिबद्धता 6.94 लाख करोड़ रुपये की थी, जो जून 2017 के मुकाबले करीब सात गुना ज्यादा है। इनमें से 5.61 लाख करोड़ रुपये कैटिगरी-1 एआईएफ के लिए और करीब 74,500 करोड़ रुपये कैटिगरी-2 एआईएफ के लिए हैं।
कैटिगरी-1 एआईएफ का निवेश स्टार्टअप, शुरुआती चरण वाले उद्यमों और सामाजिक उद्यम में होता है। वहीं कैटिगरी-2 एआईएफ प्राइवेट इक्विटी व डेट फंड होते हैं। कैटिगरी-3 एआईएफ हेज फंड होते हैं।
सेबी की पूछताछ ढांचा, निवेश प्रबंधन, प्रायोजक, निवेश रणनीति और निदेशकों व प्रमुख प्रबंधकीय अधिकारियों की पृष्ठभूमि से संबंधित है।
खेतान ऐंड कंपनी के वकील शाहिल शाह ने कहा, हमारा मानना है कि नियामक सतर्कता के साथ कदम बढ़ा रहा है और निवेशकों की सुरक्षा के लिए पहली बार प्रबंधक बने लोगों के अनुभव, पात्रता पर ज्यादा स्पष्टीकरण मांग रहा है।
हालांकि देरी की वजह आंतरिक स्तर पर सेबी में पुनर्गठन भी है, जहां विभिन्न अधिकारियों की भूमिकाएं व जिम्मेदारी में फेरबदल हुआ है, जिसके चलते नए सिरे से पूछताछ हो रही है।
शाह ने कहा, पिछली बार के मुकाबले इंतजार की अवधि इस बार काफी ज्यादा रही है। हम समझते हैं कि सेबी के आंतरिक पुनर्गठन के चलते अधिकारियों की भूमिकाएं व जिम्मेदारियां बदली हैं, इसी वजह से आवेदन को मंजूरी में देर हो रही है।
सेबी अपनी तरफ से काफी ड्यू डिलिजेंस यह सुनिश्चित करने के लिए कर रहा है कि आवेदन करने वाले पक्षकारों की पृष्ठभूमि साफ सुथरी है।
इस देरी पर सेबी के पास भेजी गई प्रश्नावली का जवाब नहीं मिला।