नैशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) ने मुख्य बोर्ड में जाने वाले छोटे और मझोले उद्यमों (एसएमई) के लिए पात्रता मानक में इजाफा कर दिया है। 1 मई से मुख्य प्लेटफॉर्म पर जाने की इच्छा रखने वाले एसएमई का पिछले वित्त वर्ष में परिचालन राजस्व 100 करोड़ रुपये से ज्यादा होना जरूरी है। पिछले तीन वित्त वर्ष में से कम से कम दो वित्त वर्ष में उसका परिचालन लाभ सकारात्मक होना चाहिए।
यह कदम बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड ने जेनसोल में अनियमितताएं पाए जाने के कुछ दिनों बाद उठाया है। जेनसोल को पहले एसएमई प्लेटफॉर्म पर सूचीबद्ध किया गया था और फिर मुख्य बोर्ड पर ले जाया गया था।
पिछले साल, बाजार नियामक ने रकम की हेराफेरी, वित्तीय हेरफेर और फर्जी लेनदेन के मामलों के बाद एसएमई पर अपनी जांच सख्त कर दी थी। सेबी ने एसएमई की लिस्टिंग, माइग्रेशन और खुलासे के अलावा गवर्नेंस की आवश्यकताओं के मानदंडों को भी संशोधित किया था। एसएमई की सूचीबद्धता के लिए स्टॉक एक्सचेंजों में अलग प्लेटफॉर्म हैं।
एनएसई ने अतिरिक्त आवश्यकताओं के साथ मानक में और इजाफा कर दिया है। मुख्य बोर्ड में जाने के लिए औसत पूंजीकरण 100 करोड़ रुपये से कम नहीं होना चाहिए। एक्सचेंज ने प्रवर्तक और प्रवर्तक समूह की ज्यादा हिस्सेदारी तय की है। माइग्रेशन के लिए आवेदन की तिथि पर प्रवर्तकों की हिस्सेदारी सूचीबद्धता की तारीख पर उनके पास मौजूद शेयरों का 50 फीसदी से कम नहीं होनी चाहिए।
एनएसई मार्केट पल्स रिपोर्ट के आंकड़ों के अनुसार कुल 142 कंपनियां एनएसई इमर्ज पोर्टल से मेनबोर्ड पर आ गई हैं। वित्त वर्ष 2012 से लेकर फरवरी 2025 तक प्लेटफॉर्म पर सूचीबद्ध 605 एसएमई ने कुल 16,587 करोड़ रुपये जुटाए गए हैं।
फरवरी में खुदरा व्यक्तिगत निवेशकों (आरआईआई) को 241 करोड़ रुपये के शेयरों का आवंटन किया गया जो एनएसई इमर्ज पोर्टल पर 11 नई लिस्टिंग की जुटाई कुल पूंजी का 40 फीसदी था। जनवरी में यह 39 फीसदी था। अन्य पात्रता शर्तों में ऋणपत्र, बॉन्ड और सावधि जमाधारकों को ब्याज और मूलधन के भुगतान में कोई चूक नहीं होना शामिल है। कंपनियों पर पिछले तीन वर्षों में कोई भी बड़ी नियमन कार्रवाई नहीं होनी चाहिए। इन कार्रवाई में ट्रेडिंग का निलंबन या प्रवर्तक के खिलाफ कदम शामिल हैं। एनएसई ने गवर्नेंस के मामले में भी अन्य शर्तें तय की है। नियामकीय जांच से पहले के मानदंडों के अनुसार एसएमई की चुकता इक्विटी पूंजी कम से कम 10 करोड़ रुपये होनी चाहिए।