साल 2024 भारत के शेयर बाजार के लिए काफी उतार-चढ़ाव भरा रहा। लोकसभा चुनाव, बजट 2024, कंपनियों की धीमी कमाई और महंगाई के ऊंचे स्तर ने बाजार में काफी हलचल मचाई। इसके साथ ही, पश्चिम एशिया में इज़राइल और ईरान के बीच बढ़ते तनाव, चीन की ओर से राहत पैकेज की घोषणाएं और येन कैरी ट्रेड ने भी बाजार को प्रभावित किया। हालांकि, इस पूरे साल जिन शेयरों ने निवेशकों को सबसे ज्यादा फायदा दिया, वे सरकारी बैंकों के शेयर थे।
निफ्टी पीएसयू बैंक इंडेक्स ने इस साल (11 दिसंबर तक) नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) पर 24.08% की बढ़त दर्ज की। वहीं, निफ्टी50 इंडेक्स ने 13.39% का रिटर्न दिया, जबकि निफ्टी बैंक इंडेक्स ने 10.56% की बढ़त हासिल की। दूसरी ओर, निफ्टी प्राइवेट बैंक इंडेक्स ने अब तक सिर्फ 3.94% का ही रिटर्न दिया है।
सरकारी बैंकों में रैली के कारण: निवेशकों को क्यों भाए पीएसयू बैंक?
विश्लेषकों के अनुसार, 2024 में सरकारी बैंकों (PSBs) में तेजी की मुख्य वजह जून में हुए आम चुनाव के बाद केंद्र में सरकार की वापसी रही। इससे न केवल सार्वजनिक उपक्रमों (PSU) बल्कि सरकारी बैंकों के लिए भी सकारात्मक माहौल बना।
मिराए एसेट शेयरखान के वाइस प्रेसिडेंट और कैपिटल मार्केट रणनीति हेड गौरव दुआ ने बताया, “2023 से सरकारी बैंक प्राइवेट बैंकों से बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं। इसकी वजह बैड लोन की वसूली/राइट-ऑफ, गैर-खाद्य कर्ज में बढ़ोतरी और भारत में आर्थिक स्थिति में सुधार रही। इसके अलावा, दशक के सबसे निचले मूल्यांकन ने भी इन्हें आकर्षक बनाया।”
जुलाई-सितंबर तिमाही (Q2-FY25) में प्राइवेट बैंकों की सालाना आय में 8% की मामूली वृद्धि देखी गई जो कमजोर शुद्ध ब्याज आय (NII) और कर्ज लागत के सामान्य स्तर पर लौटने के कारण थी। वहीं, सरकारी बैंकों ने इस दौरान 39% की शानदार आय वृद्धि दर्ज की। यह बेहतर ट्रेजरी लाभ, बैड लोन खातों से वसूली और कम कर्ज लागत की वजह से संभव हुआ, जिसने कमजोर NII को संतुलित कर दिया। अधिकांश सरकारी बैंकों ने अपेक्षाकृत कम क्रेडिट-डिपॉजिट अनुपात (Credit-Deposit Ratio) दिखाया और लिक्विडिटी के मोर्चे पर बेहतर स्थिति में रहे।
विश्लेषकों का मानना है कि सरकारी बैंकों (PSB) की यह बेहतर प्रदर्शन वाली रैली कुछ और महीनों तक जारी रह सकती है, लेकिन इसके बाद इसमें ब्रेक लग सकता है।
HDFC सिक्योरिटीज के रिटेल रिसर्च प्रमुख दीपक जासानी का कहना है, “सरकारी बैंकों की यह रैली 2025 की शुरुआत के कुछ महीनों तक जारी रह सकती है। इसके बाद यह एक स्टॉक-पिकर्स गेम बन जाएगी, और निवेशकों को बैंकों की आय के आधार पर फैसला लेना होगा।”
इंडियन बैंक: 38.5% बढ़त
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI): 34.2% बढ़त
इंडियन ओवरसीज बैंक: 33.14% बढ़त
बैंक ऑफ महाराष्ट्र: 24.96% बढ़त
केनरा बैंक: 24.29% बढ़त
पंजाब एंड सिंध बैंक: 24.17% बढ़त
गौरतलब है कि निफ्टी पीएसयू बैंक इंडेक्स में शामिल किसी भी बैंक ने निगेटिव रिटर्न नहीं दिया।
मिराए एसेट शेयरखान के गौरव दुआ का मानना है कि 2025 में सरकारी बैंकों के शेयरों में “all-round” रैली देखने को नहीं मिलेगी। उन्होंने कहा, “निवेशकों को स्टॉक्स चुनते समय सावधानी बरतनी होगी। इस क्षेत्र में हमें एसबीआई, बैंक ऑफ बड़ौदा और बैंक ऑफ इंडिया बेहतर स्थिति में हैं।”
HDFC सिक्योरिटीज के दीपक जासानी ने भी कहा कि सरकारी और प्राइवेट बैंकों के बीच मूल्यांकन का अंतर कम हो रहा है। इससे सरकारी बैंकों के शेयरों में भविष्य में आउटपरफॉर्मेंस की गुंजाइश सीमित हो सकती है। उन्होंने सुझाव दिया, “निवेशकों को अपने पोर्टफोलियो में सरकारी बैंक स्टॉक्स अगले एक-दो तिमाहियों तक होल्ड करने चाहिए और उसके बाद आय के आधार पर अपनी स्थिति पर पुनर्विचार करना चाहिए।” जासानी ने यह भी कहा कि प्राइवेट बैंकों के शेयरों का अंडरपरफॉर्मेंस जल्द खत्म हो सकता है और ये शेयर अन्य बैंकों और निफ्टी के साथ तालमेल बिठा सकते हैं।