वर्ष 2021 में प्राइवेट इक्विटी और वेंचर कैपिटल का निवेश देश में 70 अरब डॉलर के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गया। प्राइवेट इक्विटी के निवेश रुझान का विश्लेषण करने वाली बेन ऐंड कंपनी के अनुमान से यह पता चला है। इसमें से करीब आधा निवेश केवल दो क्षेत्रों – उपभोक्ता तकनीक (ई-कॉमर्स, एडटेक, फिनटेक) और आईटी सेवाओं एवं सास (सॉफ्टवेयर सेवाएं) में हुआ है। यह दोनों क्षेत्र निवेश के लिहाज से आकर्षक कारोबार है और अगले दो से तीन साल तक इस क्षेत्र में निवेश जारी रह सकता है।
बेन ऐंड कंपनी में पार्टनर, प्राइवेट इक्विटी एवं टेक्नोलॉजीज प्रैक्टिसेस, आदित्य शुक्ला ने कहा, ‘पिछले साल प्राइवेट इक्विटी और वेंचर कैपिटल का कुल निवेशक 62 अरब डॉलर रहा था। इनमें से जियो और रिलायंस रिटेल के जरिये रिलायंस इंडस्ट्रीज ने अकेले सबसे ज्यादा 26.5 अरब डॉलर का निवेश जुटाया था। लेकिन इस साल कोई बड़ा सौदा नहीं हुआ।
हालांकि निवेश में कुल मिलाकर तेजी देखी गई।’
बेन के विश्लेषण से पता चला है कि देश में 6 फंड फर्मों – ब्लैकस्टोन, कार्लाइल, जीआईसी, एडवेंट, बेरिंग और टाइगर ग्लोबल ने 2021 में कुल निवेश का करीब 20 से 25 फीसदी निवेश किया है।
अन्य सकारात्मक रुझान यह रहा कि निवेश निकासी में अच्छी वृद्घि देखी गई। बेन के अनुमान के अनुसार कैलेंडर वर्ष 2021 में पिछले साल के मुकाबले तीन से चार गुना ज्यादा निवेश की निकासी हुई, जो कुल करीब 8.9 अरब डॉलर रहा। इससे पहले 2018 में सबसे ज्यादा 32.9 अरब डॉलर के निवेश की निकासी हुई थी उस समय वॉलमार्ट सौदे के दौरान फ्लिपकार्ट के निवेशकों ने अपनी हिस्सेदारी बेची थी। शुक्ला ने कहा कि 2021 में कुल निकासी में से करीब एक-तिहाई उपभोक्ता तकनीक कंपनियों जोमैटो, अर्बन कंपनी और ड्रीम 11 के आईपीओ के जरिये की गई।
पीई निवेश पर नजर रखने वाली फर्म वीसीएज के अनुसार 2021 में कुल निवेश सौदों की संख्या 1,914 रही जो पिछले साल के ,1416 सौदों की तुलना में 35 फीसदी अधिक है। कोविड से पहले के साल यानी 2019 में 1,564 निवेश सौदे हुए थे।
कुछ प्राइवेट इक्विटी फंडों ने कई निवेश सौदे किए हैं। सिकोया कैपिटल इंडिया एडवाइजर्स ने 2021 में 123 निवेश सौदे किए, वहीं वेंचर कैपिटलिस्ट प्राइवेट लिमिटेड ने 99 सौदे और टाइगर ग्लोबल ने 95 निवेश सौदे किए।
अगले साल सास क्षेत्र में पीई और वेंचर कैपिटल बड़ा दांव लगा सकते हैं। सही मायने में टाइगर ग्लोबल जैसी कंपनियां बड़ा दांव लगा रही हैं। बेन के अनुमान के अनुसार अगले दो से तीन साल में सास प्राइवेट इक्विटी के निवेश के लिहाज से प्रमुख क्षेत्र होगा। शुक्ला ने कहा, ‘सास कंपनियों के लिए दुनिया भर में व्यापक बाजार है। ई-कॉमर्स कंपनियों से उलट ये कंपनियां अपनेे सकल मर्केंडाइज वैल्यू के 70 से 80 फीसदी सकल मार्जिन पर कारोबार कर रही हैं।’
उन्होंने कहा कि कुछ कंपनियों का एबिटा 40 से 50 फीसदी है और वे अपने कारोबार का विस्तार कर रहे हैं। इन कंपनियों को फॉच्र्यून 500 कंपनियों के साथ अनुबंध का भी लाभ मिल रहा है, जो अपेक्षाकृत बड़े और लंबे समय के सौदे होते हैं।
