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आशावाद, भरोसे का संकेत है देश का प्रीमियम मूल्यांकन: SEBI चीफ माधवी पुरी बुच

सेबी की चेयरपर्सन ने यह भी कहा कि नियामक ने आवेदन की प्रोसेसिंग का समय घटा दिया है और कारोबारी सुगमता लाई है।

Last Updated- April 02, 2024 | 11:22 PM IST
SEBI चीफ माधबी पुरी बुच की बढ़ सकती है मुश्किलें, डॉक्यूमेंट कर रहे इशारा… नियमों के उल्लंघन से कमाया रेवेन्यू! SEBI Chief Madhabi Puri Butch's troubles may increase, documents are indicating... revenue earned by violating rules!

बाजार नियामक सेबी की चेयरपर्सन माधवी पुरी बुच ने कहा है कि वैश्विक बाजारों के मुकाबले भारत का प्रीमियम मूल्यांकन इस देश के प्रति विश्व के भरोसे व विश्वास का संकेत देता है। बुच की यह टिप्पणी उनके उस बयान के कुछ हफ्तों के बाद आई है, जिसमें उन्होंने कहा था कि देसी बाजारों में बुलबुले वाले कुछ क्षेत्र हैं, खास तौर से स्मॉलकैप में। जिसके बाद देसी म्युचुअल फंड स्मॉल कैप योजनाओं में निवेश प्रतिबंधित करने के लिए प्रोत्साहित हुए थे।

मंगलवार को सीआईआई नैशनल कॉरपोरेट गवर्नेंस समिट में बुच ने कहा, हमारे बाजार का पीई गुणक वैश्विक सूचकांकों के औसत के मुकाबले ज्यादा है। हां, कुछ कहते हैं कि हमारा बाजार महंगा है, लेकिन तब भी यहां निवेश क्यों आ रहा है? इसकी वजह भारत के प्रति विश्व का आशावाद, भरोसा है तभी हमारा पीई गुणक इस तरह का है।

बेंचमार्क सेंसेक्स अपने पिछले 12 महीने के पीई गुणक 23.5 गुने पर कारोबार कर रहा है, जो ज्यादातर वैश्विक बाजारों से ज्यादा है और सिर्फ अमेरिका व जापान से नीचे है।

पिछले एक साल में सेंसेक्स में 25 फीसदी की उछाल आई है, वहीं बीएसई स्मॉलकैप इंडेक्स व मिडकैप इंडेक्स में क्रमश: 65 व 77 फीसदी का इजाफा हुआ है।

सेबी प्रमुख ने यह भी कहा कि कर संग्रह के बढ़ते आंकड़े और मुनाफे में वृद्धि के अनुमान भारत की रफ्तार व वेग को प्रदर्शित करते हैं।

उन्होंने कहा, अर्थव्यवस्था, बाजार और इकोसिस्टम के स्तर पर हम काफी कम वृद्धि के बाद तेज गति से वृद्धि से रूबरू हो रहे हैं। बाजार पूंजीकरण 74 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 378 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच चुका है, जो अब जीडीपी का एक गुना है और पिछले 10 साल में इसकी रफ्तार काफी ज्यादा रही है। उभरते बाजार के सूचकांक में भारत का भारांक 6.6 फीसदी से बढ़कर 17.6 फीसदी पर पहुंच चुका है। मैं इसी वेग की बात कर रही हूं और नए भारत की यही रफ्तार है। डेट इन्वेस्टमेंट पर बुच ने कहा कि उद्योग ने पिछले 12 महीने में पूंजी बाजार से 10.5 लाख करोड़ रुपये जुटाए हैं।

नियामक व उद्योग के बीच ज्यादा भरोसे व पारदर्शिता की बात करते हुए बुच ने कहा कि नियामक आम शेयरधारकों का प्रतिनिधि है। उन्होंने कहा, जब कोई कंपनी सार्वजनिक होती है तो नियामक बड़े निवेशक आधार के लिए प्रॉक्सी के तौर पर काम करता है। कुल मिलाकर प्रवर्तक के पास 44 फीसदी शेयरधारिता है, ऐसे में बाकी 56 फीसदी के लिए नियामक प्रॉक्सी है। जब उद्योग नियामक के साथ भरोसा बनाने को कहता है तो वह बाजार के साथ भरोसा बनाने की कोशिश होती है। जब नियामक उद्योग के साथ भरोसा बनाने की बात करता है तो वह 56 फीसदी के प्रतिनिधि के तौर पर यह करता है।

विभिन्न वर्षों में हुए तकनीकी व नियामकीय क्रियान्वयन की तारीफ करते हुए (टी प्लस वन और अब वैकल्पिक तौर पर टी प्लस जीरो सेटलमेंट साइकल समेत) बुच ने कहा कि वैश्विक स्तर पर सबसे आखिर में रहने वाला भारत अब केंद्र में पहुंच गया है, जहां लोग उससे सलाह ले रहा है।

सेबी की चेयरपर्सन ने यह भी कहा कि नियामक ने आवेदन की प्रोसेसिंग का समय घटा दिया है और कारोबारी सुगमता लाई है।

29 फरवरी तक मंजूरी के लिए एक महीने से ज्यादा लंबित म्युचुअल फंडों की सिर्फ एक योजना ही रह गई है जबकि 11 की प्रोसेसिंग एक महीने के भीतर कर दी गई।

First Published - April 2, 2024 | 9:31 PM IST

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