ओला इलेक्ट्रिक का 5,500 करोड़ रुपये का आरंभिक सार्वजनिक निर्गम अनिवार्य रूप से यह सुनिश्चित करने को लक्षित है कि इलेक्ट्रिक दोपहिया के दांव पर वह अपनी अग्रणी स्थिति बरकरार रख सके क्योंकि टीवीएस और बजाज ऑटो बाजार हिस्सेदारी के मामले में पहले पायदान वाले के मुकाबले आगे निकलने की कोशिश कर रही है।
बाजार के विशेषज्ञों और प्रतिस्पर्धियों ने कहा कि जुटाई गई रकम ईवी बिजनेस के विस्तार के लिए जरूरी योजना के मुताबिक है। उच्च प्रतिस्पर्धा वाले दोपहिया बाजार में दो तरह के ट्रेंड नजर आ रहे हैं। पहला, दो पुरानी कंपनियां बाजार हिस्सेदारी में धीरे-धीरे इजाफा कर रही हैं और ओला के साथ उनका अंतर कुल मिलाकर कम हो रहा है। दूसरा, इलेक्ट्रिक दोपहिया का विस्तार मामूली घटा है और वित्त वर्ष के आखिर तक बिक्री उद्योग के 12 लाख के अनुमान के आसपास नहीं है, जिसकी वजह इस वाहन पर सरकार की तरफ से सब्सिडी अचानक घटाने का फैसला है। नए आंकड़े करीब 9 लाख हैं।
दिसंबर तिमाही में पंजीकरण के आंकड़े (वाहन पर) बताते हैं कि दोपहिया की दो पुरानी कंपनियों का संचयी तौर पर बाजार हिस्सेदारी 34.3 फीसदी है, जबकि ओला का 34.1 फीसदी। हम कह सकते हैं कि मुकाबला बराबरी का है। इसकी तुलना में जून तिमाही में ओला ने डीआरएचपी दस्तावे में राजस्व व मार्जिन के जो आंकड़े दिए थे, उसमें ओला के लिए 32.7 फीसदी था जबकि बाकी दो का 25.6 फीसदी।
प्रतिस्पर्धी बताते हैं कि आईसीई दोपहिया के मामले में टीवीएस व बजाज के पास बड़ा वितरण पहले से ही उपलब्ध है, ऐसे में वॉल्यूम में बढ़ोतरी ओला के मुकाबले उसके लिए आसान है जबकि ओला लगातार निवेश कर रही है और अपने अनुभव केंद्र का गठन कर रही है। प्रतिस्पर्धी दोपहिया कंपनी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, देश भर में उपलब्धता सुनिश्चित कर वे हर महीने 25,000 वाहनों का वॉल्यूम आसानी से खड़ी कर सकते हैं। वास्तविक खेल उत्पाद व ब्रांड को लेकर होगा।
दूसरा, आईसीई अभी खत्म नहीं हुआ है, जैसा कि ओला ने हमेशा अनुमान लगाया है। फेम-2 सब्सिडी पर निर्भरता स्पष्ट तौर पर सामने आ गई जब सरकार ने इस साल इसमें एक तिहाई की कटौती का फैसला लिया। इससे उद्योग की बिक्री प्रभावित हुई और इलेक्ट्रिक दोपहिया के प्रसार पर भी असर पड़ा।