अतिरिक्त अमेरिकी शुल्क से असर के मामले में भारतीय परिधान व फुटवियर उद्योग दुनिया में तीसरा स्थान पर होगा। भारत शुल्क के मामले में केवल चीन और वियतनाम से पीछे है। यह जानकारी मैकिंजी की ‘स्टेट ऑफ फैशन 2026’ पर जारी नवीनतम रिपोर्ट में दी गई।
वैश्विक परिधान व फुटवियर निर्यात पर अमेरिकी शुल्क बढ़ने से कुल वृद्धिशील प्रभाव का अनुमान 27 अरब डॉलर है। इसका आकलन प्रत्येक देश से 2025 में निर्यात की मात्रा में कोई बदलाव नहीं होने के आधार पर किया गया है। लिहाजा इसका भारत पर प्रभाव 2.9 अरब डॉलर होगा।
आसान शब्दों में कहा जाए तो रूस से तेल खरीदने के कारण भारत पर 50 प्रतिशत शुल्क लगाया गया है। इससे स्थिति बिगड़ गई। अमेरिका को कुल निर्यात (वर्ष 2024) किए जाने वाले परिधान व फुटवियर में भारत की हिस्सेदारी केवल 5 प्रतिशत है। अनुमानों के आधार पर भारत को कुल अतिरिक्त शुल्क वृद्धि का 11 प्रतिशत वहन करना पड़ेगा।
लिहाजा निश्चित रूप से चीन शीर्ष पर है। चीन पर अतिरिक्त शुल्क वृद्धि का प्रभाव 9 अरब डॉलर है। अमेरिका को कुल किए जाने वाले कुल निर्यात में चीन की हिस्सेदारी 30 प्रतिशत है और इसकी 2025 के लिए वृद्धिशील शुल्क वृद्धि में अनुमानित हिस्सेदारी 34 प्रतिशत है। वियतनाम के मामले में वृद्धिशील शुल्क वृद्धि 5 अरब डॉलर होगी।
अमेरिकी को किए जाने वाले निर्यात में वियतनाम की हिस्सेदारी 25 प्रतिशत है। हालांकि इसका वृद्धिशील शुल्क के बोझ में हिस्सेदारी कहीं कम 19 प्रतिशत है। बहरहाल, बांग्लादेश, इंडोनेशिया, कंबोडिया और पाकिस्तान सहित अन्य निर्यातक देशों पर भारत की तुलना में बहुत कम वृद्धिशील प्रभाव पड़ेगा।
दुनिया के प्रमुख फैशन सोर्सिंग हब में चीन, वियतनाम, भारत, बांग्लादेश और इंडोनेशिया शामिल हैं। इनका सामूहिक रूप से अमेरिका के कुल परिधान व फुटवियर निर्यात में हिस्सेदारी 63 प्रतिशत है। रिपोर्ट में निष्कर्ष निकाला गया है कि उन्हें शुल्क के वृद्धिशील प्रभाव का असमानुपातिक 75 प्रतिशत सामना करना पड़ेगा। मैकिंजी की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस कदम का पहले से ही असर पड़ गया। अमेरिका में परिधान की कीमतों में 1.3 प्रतिशत की वृद्धि हो गई है और अधिकारियों को 2026 में अमेरिकी परिधान व फुटवियर की कीमतों में 55 प्रतिशत वृद्धि की उम्मीद है।
नाइकी, हर्मीस और राल्फ लॉरेन जैसे ब्रांड कीमतों में बढ़ोतरी को स्पष्ट रूप से स्वीकार रहे हैं। इतना ही नहीं, भारतीय परिधान निर्यातक गोकलदास एक्सपोर्ट्स—जो वॉलमार्ट, गैप और जे सी पेनी को आपूर्ति करता है—शुल्कों का मुकाबला करने के लिए केन्या और इथियोपिया में अपने उत्पादन का विस्तार करने की योजना बना रहा है।