भारत का बैंकिंग, वित्तीय सेवा और बीमा (BFSI) सेक्टर पिछले 20 साल में बहुत बदल गया है। पहले इसमें सिर्फ बैंक ही सबसे बड़े प्लेयर थे, लेकिन अब हालात बदल चुके हैं। नई तकनीक के आने, ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के बढ़ने और ग्राहकों को बेहतर सेवाएं मिलने की वजह से यह सेक्टर पहले से कहीं ज्यादा तेजी से आगे बढ़ रहा है और लगातार बड़ा होता जा रहा है।
मोतीलाल ओसवाल की रिपोर्ट के मुताबिक, BFSI सेक्टर अब सिर्फ बैंकों तक सीमित नहीं है। इसमें बीमा, कैपिटल मार्केट, फिनटेक और कई नए तरह के बिजनेस बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं। यही नए हिस्से इस सेक्टर की बढ़त को और तेज कर रहे हैं और इसका दायरा पहले से कहीं ज्यादा बड़ा हो चुका है।
2005 में BFSI सेक्टर की कुल कीमत (मार्केट कैप) लगभग ₹1.8 लाख करोड़ थी, जो बढ़ते-बढ़ते अक्टूबर 2025 में ₹105 लाख करोड़ पहुंच गई। यानी इसमें करीब 60 गुना बढ़ोतरी हुई है, जो बहुत तेज ग्रोथ को दिखाती है। यह लगभग 23% की सालाना वृद्धि दर बनती है।
हालांकि बैंक इस पूरे विकास के सबसे बड़े आधार रहे हैं, लेकिन उनका हिस्सा अब पहले जैसा नहीं रहा। 2005 में BFSI सेक्टर की कुल कीमत में बैंकों की हिस्सेदारी लगभग 85% थी, जो अब घटकर 54% रह गई है। इसका कारण यह है कि बीमा कंपनियां, पूंजी बाजार से जुड़ी कंपनियां और फिनटेक प्लेटफॉर्म बहुत तेजी से उभरकर सामने आए हैं और अब BFSI सेक्टर का बड़ा और अहम हिस्सा बन चुके हैं।
FY15 में बीमा कंपनियों का हिस्सा पूरे BFSI मार्केट में सिर्फ 1% था, लेकिन अब यह बढ़कर 12% हो गया है। इसी तरह, पूंजी बाज़ार से जुड़ी कंपनियों की हिस्सेदारी भी पहले बहुत कम थी, जो अब बढ़कर 6% पर पहुंच गई है। सबसे बड़ा बदलाव फिनटेक क्षेत्र में देखने को मिला है। 2015 तक यह सेक्टर लगभग मौजूद ही नहीं था, लेकिन आज यह पूरे BFSI मार्केट का 4% हिस्सा बन चुका है। डिजिटल भुगतान, ऑनलाइन ट्रेडिंग और आम लोगों तक वित्तीय सेवाएं आसानी से पहुंचने की वजह से इन नए क्षेत्रों को बहुत तेज़ी से बढ़ने का मौका मिला है।
जहां बैंक लगातार लेकिन थोड़ी धीमी रफ्तार से बढ़ते रहे, वहीं NBFCs ने पिछले 20 सालों में बेहद तेज विस्तार किया है। 2005 में NBFCs की कुल बाज़ार कीमत लगभग ₹26,000 करोड़ थी, जो बढ़कर अब ₹25.8 लाख करोड़ हो गई है, यानी करीब 100 गुना बढ़ोतरी।
इसी दौरान, पिछले पांच सालों में नई पीढ़ी की कंपनियां, जैसे कैपिटल मार्केट प्लेटफॉर्म और फिनटेक कंपनियां, BFSI सेक्टर की कुल बढ़ोतरी में लगभग 11% का योगदान दे चुकी हैं। रिपोर्ट के अनुसार, इन नए बिजनेस मॉडलों ने तकनीक का इस्तेमाल करके बहुत तेजी से अपना आकार बढ़ाया है और उनकी कमाई (profitability) भी तेजी से बढ़ रही है।
रिपोर्ट यह भी बताती है कि अभी कई बड़ी BFSI कंपनियां शेयर बाजार में लिस्ट नहीं हैं। इन सभी का कुल मूल्य लगभग ₹9 लाख करोड़ है, जो गैर-बैंक BFSI मार्केट कैप का करीब 20% हिस्सा बनता है। इनमें ICICI Prudential MF, SBI Mutual Fund, PhonePe जैसी बड़ी कंपनियां शामिल हैं, जो आने वाले समय में अपना IPO लाने की तैयारी कर रही हैं। इन बड़े IPOs के आने से BFSI सेक्टर की मौजूदगी भारतीय शेयर सूचकांकों में और मजबूत होगी और इस सेक्टर की पकड़ बाजार में और बढ़ेगी।
Nifty-50 में BFSI सेक्टर का वजन पिछले 20 साल में काफी बढ़ा है। FY05 में जहां इसकी हिस्सेदारी सिर्फ 13.4% थी, वहीं अक्टूबर 2025 में यह बढ़कर 36.3% तक पहुंच गई है। यानी अब Nifty-50 में हर तीन में से एक कंपनी BFSI सेक्टर से जुड़ी है। यही स्थिति BSE-200 में भी देखने को मिलती है, जहां BFSI की मौजूदगी लगातार मजबूत होती जा रही है। निजी बैंक अभी भी इन सूचकांकों में सबसे ज्यादा प्रभावशाली हैं। वहीं सरकारी बैंकों ने भी पिछले कुछ सालों में अपने कामकाज में बड़ा सुधार दिखाया है, जिससे उनका प्रदर्शन और बाजार में उनकी स्थिति दोनों बेहतर हुई हैं।
बैंकिंग और NBFC सेक्टर की कमाई पिछले 10 सालों में बहुत मजबूत रही है। इस अवधि में NBFCs का मुनाफा चार गुना से भी ज्यादा बढ़ा है, जबकि निजी बैंकों की कमाई पांच गुना तक पहुंच गई है। सरकारी बैंकों ने भी शानदार वापसी की है। FY20 में जहां उन्हें कुल ₹26,000 करोड़ का नुकसान हुआ था, वहीं FY25 में वे ₹1.86 लाख करोड़ का मुनाफा कमाने में सफल रहे। यह बदलाव दिखाता है कि उनकी बैलेंस शीट बेहतर हुई है, खराब कर्ज कम हुए हैं और उनका प्रदर्शन काफी सुधरा है।
इसके साथ-साथ बीमा कंपनियों, फिनटेक्स और कैपिटल मार्केट प्लेटफॉर्म जैसी नई लिस्टेड कंपनियों ने भी पूरे BFSI सेक्टर की कुल कमाई को और बढ़ाया है। रिपोर्ट में उम्मीद जताई गई है कि FY26 से FY28 के बीच यह सेक्टर हर साल लगभग 18–20% की दर से कमाई बढ़ाता रहेगा, जिससे इसकी वृद्धि और भी मजबूत होगी।
आज BFSI सेक्टर केवल पुराने और पारंपरिक तरीकों पर नहीं चलता। अब नई डिजिटल कंपनियां इस क्षेत्र का बड़ा और महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुकी हैं। ये कंपनियां न सिर्फ इस सेक्टर में जुड़ रही हैं, बल्कि पूरे वित्तीय सिस्टम का नया रूप तैयार कर रही हैं।
डिजिटल भुगतान, ऑनलाइन निवेश, सब्सक्रिप्शन मैनेजमेंट और डिजिटल लोन जैसी सेवाएं बहुत तेजी से बढ़ रही हैं। PhonePe, Google Pay, Zerodha, Groww और Upstox जैसे प्लेटफॉर्म लोगों तक वित्तीय सेवाएं पहुंचाने का तरीका बदल रहे हैं। अब ज्यादा लोग मोबाइल के जरिए पैसे भेजते, निवेश करते और अपनी बचत को मैनेज करते हैं।
इन डिजिटल कंपनियों की साझेदारी बैंक और NBFCs के साथ मिलकर और भी मजबूत हो रही है। को-लेंडिंग, डिजिटल अंडरराइटिंग और नए कस्टमर मॉडल्स जैसी प्रक्रियाएँ अब बड़े स्तर पर अपनाई जा रही हैं, जिससे यह पूरा सेक्टर पहले से कहीं ज्यादा तेजी से बढ़ रहा है।