बच्चों के इलाज और प्रसवकालीन देखभाल में विशेषज्ञता रखने वाली भारत की सबसे बड़ी श्रृंखलाओं में से एक हैदराबाद की रेनबो चिल्ड्रन्स हॉस्पिटल समूह अब उत्तर भारत में पैठ जमाने की योजना बना रहा है। समूह अगले 3 साल में अपने अस्पतालों में करीब 900 बेड जोड़ने को योजना बना रहा है, जिनमें से आधे यानी करीब 450 बेड राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में रहेंगे।
यह विस्तार मुख्य रूप से दक्षिण में केंद्रित अस्पताल नेटवर्क के लिए रणनीतिक बदलाव का प्रतीक है। समूह ने तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और तमिलनाडु में बच्चों के इलाज और देखभाल में अपनी प्रतिष्ठा बनाई है। रेनबो चिल्ड्रन्स हॉस्पिटल के संस्थापक चेयरमैन डॉ. रमेश कांचरला ने कहा, ‘हमारा अगला बड़ा रणनीतिक दांव दिल्ली-एनसीआर है। उत्तर भारत में बच्चों की स्वास्थ्य देखभाल का भविष्य एनसीआर है और गुरुग्राम एक प्रमुख स्वास्थ्य सेवा केंद्र के तौर पर उभर रहा है। अगले दो वर्षों में हम एनसीआर में दो अस्पतालों में करीब 450 बेड जोड़ेंगे। इनमें एक 325 बेड वाला प्रमुख अस्पताल और दूसरा 125 बेड वाला स्पोक अस्पताल रहेगा।’
कुल मिलाकर रेनबो की योजना उच्च वृद्धि वाले बाजार में करीब 900 बिस्तर जोड़ने की है। इस पर करीब 900 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे और इसमें एसेट-लाइट और ग्रीनफील्ड अस्पतालों का मिलाजुला रूप होगा। परियोजना के तहत बेंगलूरु की इलेक्ट्रॉनिक सिटी में लगभग 90 बेड, हेनूर में 60 बेड, पुणे में करीब 150 बेड और कोयंबतूर में लगभग 130 बेड शामिल हैं। पुणे इकाई को एसेट-लाइट सैटेलाइट मॉडल के जरिए विकसित किया जाएगा। फिलहाल इसका डिजाइन तैयार किया जा रहा है। कांचरला ने कहा, ‘अगले तीन वर्षों में हमारा लक्ष्य उच्च वृद्धि वाले प्रमुख विकासशील बाजारों में करीब 900 बेड जोड़ना है, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि उन्नत बाल चिकित्सा और प्रसवकालीन देखभाल अधिक परिवारों को सुलभ हो सके।’
निवेश की बात करें तो कंपनी को विस्तार के लिए लगभग 800 से 900 करोड़ रुपये के कुल पूंजीगत व्यय की उम्मीद है। कांचरला ने कहा, ‘हम ग्रीनफील्ड और एसेट-लाइट सैटेलाइट मॉडल का मिलाजुला इस्तेमाल करेंगे। सैटेलाइट अस्पतालों की लागत लगभग 70 लाख रुपये प्रति बिस्तर है जबकि गुड़गांव जैसे एसेट-हैवी अस्पतालों की लागत इससे ज्यादा होगी।’