facebookmetapixel
1 अप्रैल से पहले चारों नए श्रम कोड के नियम बन जाएंगे: श्रम सचिवबैजू रवींद्रन अदालत में पेश करेंगे ग्लास ट्रस्ट के खिलाफ अहम साक्ष्यकर्नाटक में CM की कुर्सी पर सियासी खेल तेज, राहुल गांधी करेंगे बैठकराम मंदिर के बाद अयोध्या की रफ्तार, सालाना 50 करोड़ पर्यटक पहुंचने की उम्मीदStock Market Update: शेयर बाजार की शुरुआत लाल निशान में; GAIL 5% और अशोका बिल्डकॉन 4% टूटा900 नए बेड जोड़ने की योजना! रेनबो हॉस्पिटल का भारत में अब तक का सबसे बड़े विस्तार का प्लानक्यों नाराज हैं स्टेनलेस स्टील निर्माता? सरकार और उद्योग आमने-सामनेTata Realty ने DBS बैंक से लिया 1,280 करोड़ रुपये का लोन₹437 करोड़ का बड़ा निवेश! लीला पैलेस ने पकड़ी दुबई के लक्जरी बाजार की राह39 करोड़ ग्राहकों को एयरटेल की चेतावनी- अपना पैसा बचाना है तो दूसरा खाता खोलें

क्यों नाराज हैं स्टेनलेस स्टील निर्माता? सरकार और उद्योग आमने-सामने

जेएसएल के एमडी बोले- स्टेनलेस स्टील की चुनौतियां कार्बन स्टील से बिलकुल अलग, इसलिए अलग नीतिगत ढांचा जरूरी; मंत्रालय नई इस्पात नीति में जोड़ने की तैयारी में

Last Updated- November 28, 2025 | 8:23 AM IST
Jindal Stainless MD

जिंदल स्टेनलेस लिमिटेड (जेएसएल) के प्रबंध निदेशक अभ्युदय जिंदल के अनुसार भारतीय स्टेनलेस स्टील उद्योग को प्रतिबद्ध नीति की जरूरत है, न कि साल 2017 की राष्ट्रीय इस्पात नीति में शामिल किए जाने वाले मात्र किसी अध्याय की, जैसा कि सरकार की योजना है।

जेएसएल भारत की सबसे बड़ी स्टेनलेस स्टील की उत्पादक है और विशेष स्टील के देसी बाजार में 50 प्रतिशत हिस्सेदारी इसी की है। जेएसएल के प्रबंध निदेशक अभ्युदय जिंदल ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘केवल एक अध्याय जोड़ने से इस उद्योग का मूल्य और महत्त्व कम हो जाता है।’

उन्होंने कहा कि स्टेनलेस स्टील कच्चे माल, अनुप्रायोगों और विनिर्माण प्रक्रिया में कार्बन स्टील से अलग होता है और इसलिए इसके लिए एक अलग नीतिगत ढांचे की जरूरत है। यह टिप्पणी इस्पात मंत्रालय की उस योजना की पृष्ठभूमि में आया है जिसमें उद्योग की लंबे समय से चली आ रही चिंताओं को दूर करने के लिए स्टेनलेस स्टील श्रेणी को राष्ट्रीय इस्पात नीति में लाने की बात कही गई है।

इस्पात मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘मौजूदा राष्ट्रीय इस्पात नीति में स्टेनलेस स्टील के संबंध में कुछ नहीं है, लेकिन हम प्रस्तावित नई नीति में स्टेनलेस स्टील पर एक अध्याय शामिल कर रहे हैं।’ नाम न छापने की शर्त पर अधिकारी ने कहा कि नए नियमों में क्षेत्रवार असलियतों को ध्यान में रखा जाएगा, जिसमें क्षमता का कम इस्तेमाल, ज्यादा उत्पादन लागत और कच्चे माल की कमी शामिल है।

उन्होंने कहा, ‘हमें स्टेनलेस स्टील के लिए दमदार पारिस्थितिकी तंत्र की जरूरत है, जिसमें शिक्षा के लिए नीतिगत स्तर की योजना, जमीनी स्तर पर इसके संबंध में जागरुकता और प्रतिभा संपन्न श्रमशक्ति हो, क्योंकि स्टेनलेस स्टील की वेल्डिंग, स्टील की वेल्डिंग से बहुत अलग होती है।’

 

First Published - November 28, 2025 | 8:23 AM IST

संबंधित पोस्ट