नैशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) के मानक सूचकांक निफ्टी 50 में किसी शेयर को शामिल करने या बाहर करने के नियमों में बदलाव हो सकता है। मामले की जानकारी रखने वाले सूत्रों ने बताया कि यह बदलाव रिलायंस इंडस्ट्रीज (RIL) की वित्तीय सेवा कंपनी को अलग किए जाने (डीमर्जर) से पहले हो सकता है।
मौजूदा नियमों के तहत इस डीमर्जर के बाद RIL को निफ्टी 50 से बाहर जाना पड़ेगा। ऐसा हुआ तो पैसिव फंड 20,000 करोड़ रुपये के शेयर बेच सकते हैं। पैसिव फंड निफ्टी 50 सूचकांक पर ही चलते हैं।
RIL का बाजार पूंजीकरण फिलहाल 15.9 लाख करोड़ रुपये है और 50 शेयरों वाले सूचकांक में इसका भारांश सबसे अधिक 9.9 प्रतिशत है। RIL में एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ETF) और इंडेक्स फंड दोनों निवेश करते हैं। दोनों फंडों की प्रबंधनाधीन परिसंपत्तियां 2 लाख करोड़ रुपये से भी अधिक हैं।
निफ्टी 50 से जुड़ी शर्तों में बदलाव की जानकारी रखने वाले एक सूत्र ने बताया, ‘NSE इंडाइसेज डीमर्जर की प्रक्रिया से गुजर रहे किसी शेयर पर लागू होने वाले नियमों पर जल्द ही चर्चा पत्र जारी करेगा।
इसके बाद निफ्टी 50 सूचकांक में अनावश्यक फेरबदल से बचने के लिए सूचकांक की गणना विधि में संशोधन किए जाएंगे।’ NSE इंडाइसेज NSE की ही इकाई है, जो निफ्टी सूचकांक को संभालती है।
शेयर बाजार से जुड़े सूत्रों ने बताया कि पिछले महीने एक ब्रोकरेज कंपनी ने अपने ग्राहकों को RIL पर शॉर्ट पोजिशन लेने के लिए कहा था क्योंकि RIL को निफ्टी सूचकांक से हटाया जा सकता है। मार्च में RIL का शेयर अपने उच्च स्तर से करीब 10 प्रतिशत तक फिसल गया था।
एक सूत्र ने बताया कि इस ब्रोकरेज कंपनी की टिप्पणी के बाद विश्लेषकों और एक्सचेंज के अधिकारियों के पास सवालों की झड़ी लग गई कि RIL के साथ क्या किया जाएगा। RIL डीमर्जर की प्रक्रिया शुरू कर चुकी है।
योजना 2 मई को शेयरधारकों और ऋणधारकों के समक्ष मतदान के लिए रखी जाएगी। समझा जा रहा है कि कि जियो फाइनैंशियल सर्विसेस को इसी साल सितंबर तक स्टॉक एक्सचेंजों पर अलग से सूचीबद्ध कराया जा सकता है।
सूत्र ने कहा कि NSE निफ्टी 50 में शेयर को शामिल करने या बाहर करने की गणना विधि का काम अगले महीने तक पूरा हो जाएगा। इस बारे में जानने के लिए NSE को ई-मेल भेजा गया मगर कोई जवाब नहीं आया।
सूचकांक पर पैनी नजर रखने वाले विश्लेषकों का कहना है कि किसी शेयर को डीमर्जर या विलय के कारण बाहर करने से जुड़े नियमों में बदलाव से सूचकांक में अनावश्यक उथलपुथल होती है। उनका कहना है कि इस पर दोबारा विचार होना चाहिए।
नुवामा इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज में प्रमुख (अल्टरनेटिव ऐंड क्वांटिटेटिव रिसर्च) अभिलाष पगड़िया ने कहा, ‘निफ्टी इंडाइसेज के कायदे के मुताबिक डीमर्जर होने पर शेयरधारकों की मंजूरी के बाद शेयर को सूचकांक से बाहर कर दिया जाएगा। मगर निफ्टी इंडाइसेज जल्द ही गणना विधि में वैसे ही बदलाव कर लेगी, जैसा उसने विलय के मामले में नवंबर 2022 में किया था।’