बड़े आकार के स्मॉलकैप फंडों का परिचालन करने वाले म्युचुअल फंडों ने इस हफ्ते नई पाबंदी का ऐलान किया है ताकि नकदी के जोखिम का बेहतर प्रबंधन और नियामक की चिंताएं दूर की जा सकें। इन फंडों में निवेश की सीमा तय करने वालों की सूची में फ्रैकलिन टेम्पलटन का नाम जुड़ गया है।
फ्रैंकलिन इंडिया स्मॉलर कंपनीज फंड के तहत करीब 12,000 करोड़ रुपये का प्रबंधन करने वाले फंड हाउस ने एकमुश्त निवेश की सीमा 2 लाख रुपये महीने तक सीमित कर दी है। एसआईपी के जरिये निवेश करने वाले हर महीने अधिकतम 50 हजार रुपये का निवेश कर सकेंगे।
पहले ही पाबंदी लगा चुके निप्पॉन इंडिया ने भी निवेश सीमा को और सख्त बना दिया है। उसने रोजाना एसआईपी निवेश की सीमा 5 लाख रुपये से घटाकर 50 हजार रुपये कर दी है। फंड हाउस सबसे बड़ी स्मॉलकैप योजना का प्रबंधन करता है और उसने जुलाई 2023 में पहले पाबंदी लगाई थी। तब से वह एकमुश्त निवेश नहीं ले रहा।
इसके अलावा निप्पॉन और मोतीलाल ओसवाल ने अपने-अपने स्मॉलकैप फंडों पर एग्जिट लोड में संशोधन किया है। अगर निवेशक एक साल के भीतर अपने निवेश की निकासी करते हैं तो उनको अब एक फीसदी जुर्माना देना होगा। पहले एग्जिट लोड सिर्फ एक महीने के लिए लागू था।
मोतीलाल ओसवाल ने संशोधित एग्जिट लोड अपनी मिडकैप योजनाओं पर भी लागू कर दिया है। फ्रैंकलिन टेम्पलटन और निप्पॉन इंडिया के अलावा चार अन्य फंड हाउस एसबीआई, आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल, कोटक और टाटा ने भी अपने-अपने स्मॉलकैप फंडों में निवेश को प्रतिबंधित कर दिया है।
फंड हाउस की तरफ से अपने-अपने स्मॉल व मिडकैप फंडों की स्ट्रेस टेस्ट रिपोर्ट और निवेशक सुरक्षा ढांचा जारी किए जाने के एक हफ्ते बाद नए कदम देखने को मिले हैं। स्मॉलकैप व मिडकैप योजनाएं तब से सुर्खियों में हैं जब बाजार नियामक सेबी ने कहा था कि स्मॉल व मिडकैप क्षेत्र में बुलबुला बन रहा है।
नियामक ने फंडों से दो मोर्चे पर कदम उठाने को कहा था – इससे जुड़े जोखिम के बारे में निवेशकों को सूचित करना और जोखिम कम करने के लिए कदम उठाना। सेबी ने निवेश पर पाबंदी, पोर्टफोलियो को फिर से संतुलित करने और निवेशकों की सुरक्षा के लिए ढांचा बनाने जैसे कदम उठाने का सुझाव दिया था।