वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान बड़े फंडों की नियमित योजनाओं में शुद्ध निवेश तेजी से बढ़ा। इससे बैंक प्रायोजित फंडों को जोरदार वृद्धि में मदद मिली।सबसे बड़े फंड एसबीआई एमएफ को वित्त वर्ष 2025 में 38,429 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश मिला जबकि पिछले वर्ष यह आंकड़ा 17,857 करोड़ रुपये था। 48 फीसदी की यह वृद्धि मूल बैंक भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) से आने वाले निवेश में करीब तीन गुना इजाफे के कारण हुई। एसबीआई एमएफ के प्रायोजक बैंक ने अपने फंड हाउस को मिले कुल शुद्ध निवेश में 68 फीसदी का योगदान दिया। एसबीआई का हिस्सा वित्त वर्ष 2024 में 9,253 करोड़ रुपये से बढ़कर वित्त वर्ष 2025 में 26,027 करोड़ रुपये पर पहुंच गया।
आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल एमएफ और एचडीएफसी एमएफ ने भी अपने मूल बैंकों के माध्यम से आने वाले कारोबार में उछाल देखा। आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल एमएफ की नियमित योजनाओं में शुद्ध निवेश वित्त वर्ष 2025 में दोगुना होकर 32,789 करोड़ रुपये पर पहुंच गया जबकि एचडीएफसी एमएफ में यह 56 फीसदी बढ़कर 32,849 करोड़ रुपये रहा। आईसीआईसीआई बैंक ने दो वर्षों की निकासी को पलटते हुए आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल म्युचुअल फंड में 5,662 करोड़ रुपये जोड़े। एचडीएफसी बैंक का योगदान सालाना आधार पर 1.7 गुना बढ़कर 5,034 करोड़ रुपये पर पहुंच गया।
विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों और निवेशक वर्गों में अपनी पहुंच के कारण बैंक रेग्युलर प्लान वाले क्षेत्र में म्युचुअल फंडों की सबसे बड़ी वितरक श्रेणी है। एसोसिएशन ऑफ म्युचुअल फंड्स इन इंडिया (एम्फी) समग्र वितरक आंकड़ों से पता चलता है कि तीन प्रमुख बैंकों एसबीआई, एचडीएफसी बैंक और आईसीआईसीआई बैंक के ग्राहकों ने म्युचुअल फंडों में करीब 3.5 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया था।
विशेषज्ञों ने कहा कि प्रायोजक बैंकों के पास केवाईसी सत्यापित, डिजिटल रूप से सक्षम ग्राहकों की बड़ी संख्या है, जो उनके प्रायोजित फंड हाउसों की वृद्धि को ताकत देती है। बाजार विशेषज्ञ और पूर्व म्युचुअल फंड सीईओ सुनील सुब्रमण्यम ने कहा, प्रायोजक बैंक भारत में म्युचुअल फंड निवेश के केंद्र में हैं जो कुल परिसंपत्तियों और नए निवेशक जुटाने दोनों के लिहाज से अग्रणी हैं। प्रबंधनाधीन परिसंपत्तियों और उन्हें मिलने वाले निवेश के लिहाज से सबसे बड़े फंड हाउस आमतौर पर बैंकों के स्वामित्व वाले ही हैं और उनके ग्राहक आधार में बढ़ती डिजिटल और खुदरा पैठ को देखते हुए उनका दबदबा जारी रहने की उम्मीद है।
प्रायोजक बैंक के माध्यम से आने वाले निवेश में तेजी कोटक एमएफ और ऐक्सिस एमएफ के मामले में भी नजर आई। कोटक महिंद्रा बैंक ने कोटक एमएफ में 1,050 करोड़ रुपये का निवेश किया (पिछले साल के 40 करोड़ रुपये से ज्यादा), जबकि ऐक्सिस बैंक ने वित्त वर्ष 2024 में 5,186 करोड़ रुपये की निकासी के उलट वित्त वर्ष 2025 में ऐक्सिस एमएफ में 343 करोड़ रुपये का निवेश किया।
पाँच बड़े गैर-बैंकिंग घरानों में एकमात्र अपवाद निप्पॉन इंडिया एमएफ है (जो वितरकों की ताकत पर निर्भर रहा)। एनजे इंडियाइन्वेस्ट ने अपनी नियमित योजनाओं में 2,800 करोड़ रुपये का निवेश कराया, जो पिछले वर्ष की तुलना में दोगुना से भी ज्यादा है। निप्पॉन की नियमित योजनाओं में शुद्ध निवेश 20,433 करोड़ रुपये रहा और यह सालाना आधार पर 51 फीसदी बढ़ा।