म्युचुअल फंडों (एमएफ) ने अक्टूबर में (29 तारीख तक) 87,000 करोड़ रुपये के निवेश के साथ मासिक निवेश का अपना रिकॉर्ड बनाया। उनके शानदार निवेश के कारण घरेलू बाजारों पर गिरावट का दबाव कुछ हद तक कम हुआ।
मासिक निवेश का पिछला रिकॉर्ड मई में 48,139 करोड़ रुपये था। इस शानदार मासिक खरीदारी ने पिछले महीने विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) की 1.1 लाख करोड़ डॉलर की रिकॉर्ड मासिक बिक्री का आंशिक रूप से मुकाबला किया। एनएसई का निफ्टी-50 अक्टूबर में 6.2 प्रतिशत की गिरावट के साथ बंद हुआ। लिहाजा, इस सूचकांक में साढ़े चार साल में यह उसकी सबसे बड़ी मासिक गिरावट बन गई।
इसलिए सवाल उठता है कि घरेलू फंड प्रबंधकों की रिकॉर्ड खरीदारी को सक्षम बनाने वाले कारक क्या थे? पहला, इक्विटी-केंद्रित योजनाओं में ऊंचे प्रवाह ने निवेश को बढ़ावा दिया और निवेशक एफपीआई की बिकवाली से काफी हद तक अप्रभावित रहे।
बिजनेस स्टैंडर्ड ने हाल में एक विश्लेषण किया। इससे पता चला है कि निवेशक बाजार में गिरावट का लाभ उठाने के लिए इक्विटी योजनाओं में ज्यादा रकम लगाते रहे हैं। दूसरा, फंड प्रबंधकों ने गिरावट पर खरीदारी करने के लिए अपनी पास मौजूद बड़ी नकदी का इस्तेमाल किया।
अनुमानों से संकेत मिलता है कि इक्विटी फंड योजनाओं के पास 2 लाख करोड़ डॉलर की नकदी थी। मोतीलाल ओसवाल फाइनैंशियल सर्विसेज की सितंबर के आखिर में जारी एक रिपोर्ट में अनुमान जताया गया कि शीर्ष 20 फंड हाउसों की इक्विटी योजनाओं के पास उनकी प्रबंधन अधीन परिसंपत्तियों (AUM) का करीब 6 प्रतिशत नकदी थी। कई बड़े फंड हाउसों के पास ऊंचे मूल्यांकन की वजह से नकदी का स्तर दो अंक में पहुंच गया था।
इसके अलावा, बैलेंस्ड एडवांटेज और मल्टी-ऐसेट योजनाओं जैसे हाइब्रिड फंडों ने भी निवेश के आंकड़े को मजबूती दी। उन्होंने लगभग सभी परिसंपत्ति वर्गों में निवेश में बदलाव किया। इन योजनाओं में (जो मूल्यांकन मापदंडों के आधार पर इक्विटी निवेश को समायोजित करती हैं) ऊंचे मूल्यांकन की वजह से इक्विटी आवंटन का स्तर कम हो गया था।
म्युचुअल फंडों का इक्विटी निवेश पूरे 2024 में मजबूत रहा क्योंकि बाजार में तेजी की वजह से इक्विटी योजनाओं में खूब निवेश आया। बाजार नियामक सेबी के आंकड़ों के अनुसार म्युचुअल फंडों ने इस साल अब तक 3.7 लाख करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश किया जबकि 2023 में यह आंकड़ा 1.7 लाख करोड़ रुपये था।
म्युचुअल फंड लगातार 17 महीने से शुद्ध खरीदार रहे हैं और पिछले 14 महीने से उनका मासिक निवेश 10,000 करोड़ रुपये से ज्यादा रहा है। इस मजबूत निवेश को एसआईपी के जरिये जारी निवेश से मदद मिली। एसआईपी निवेश सितंबर 2024 में बढ़कर 24,509 करोड़ रुपये पर पहुंच गया जो महामारी की अवधि के बाद से कई गुना की वृद्धि है।