बाजार नियामक सेबी म्युचुअल फंड योजना की नई श्रेणी की इजाजत दे सकता है, जहां परिसंपत्ति प्रबंधक की तरफ से वसूले जाने वाले शुल्क का जुड़ाव आंशिक तौर पर प्रदर्शन से होगा। एक आधिकारिक दस्तावेज से यह जानकारी मिली।
प्रस्ताव के तहत बाजार नियामक (SEBI) अतिरिक्त शुल्क वसूलने की इजाजत देने का इच्छुक है, अगर फंड का प्रदर्शन लगातार बेंचमार्क सूचकांक से बेहतर हो और वह सालाना आधार पर ज्यादा रिटर्न दे रहा हो।
सेबी के आंतरिक दस्तावेज से यह जानकारी मिली। चुनिंदा म्युचुअल फंड पर प्रदर्शन आधारित शुल्क लागू करने वाले प्रस्ताव की खबर पहले नहीं दी गई है। योजना के मुताबिक, म्युचुअल फंडों के लिए अभी वसूला जाने वाला आधारभूत शुल्क घटाया जाएगा और अतिरिक्त शुल्क प्रदर्शन पर आधारित होगा।
अगर इसे लागू किया गया तो वैश्विक स्तर पर भारत म्युचुअल फंडों के लिए प्रदर्शन आधारित शुल्क शुरू करने वाले अहम बाजारों में से एक होगा।
सूत्र ने कहा, नियामक इस पर विचार कर र हा है क्योंकि उसने पाया कि सक्रियता से प्रबंधित कई फंड बेंचमार्क इंडेक्स को मात देने में नाकाम रहे हैं।
उन्होंने कहा, अतिरिक्त शुल्क वसूलने का विकल्प फंडों को बेहतर रिटर्न प्रदान करने के लिहाज से एक तरह के प्रोत्साहन के तौर पर काम करेगा। विगत के प्रदर्शन का इस्तेमाल यह तय करने में होगा कि फंड का प्रदर्शन बेंचमार्क से बेहतर है या नहीं।
इस बारे में जानकारी के लिए सेबी को भेजे गए ईमेल का जवाब नहीं मिला। इस प्रस्ताव को सेबी की म्युचुअल फंड समिति को भेजा गया है। ऐसे प्रस्ताव मोटे तौर पर आंतरिक समितियों के पास चर्चा के लिए भेजे जाते हैं, जिसके बाद सार्वजनिक टिप्पणी आमंत्रित की जाती है और फिर सेबी अंतिम फैसला लेता है।
प्रस्तावित बदलाव शुल्कों की विस्तृत समीक्षा का हिस्सा है जो 39.46 लाख करोड़ रुपये वाला परिसंपत्ति प्रबंधन उद्योग अपने निवेशकों से वसूलता है।
सेबी की चेयरपर्सन माधवी पुरी बुच ने 28 मार्च को कहा था, म्युचुअल फंडों की तरफ से वसूले जाने वाले शुल्क में पारदर्शिता की दरकार है। अभी भारतीय परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनियों को कुल खर्च अनुपात वसूलने की इजाजत है, जो निवेश की रकम का शून्य से 2.25 फीसदी तक होता है। शुल्क में फंड के प्रबंधन से जुड़ी कुल लागत शामिल होती है।
म्युचुअल फंड में टियर-2 व टियर-3 शहरों से और निवेशक हासिल करने के लिए नियामक फंड हाउस को विपणन के लिए अतिरिक्त शुल्क वसूलने की इजाजत देता है। हालांकि भारत के 44 परिसंपत्ति प्रबंधकों की जांच के दौरान सेबी ने गड़बड़ी पाई, जिसमें विभिन्न फंडों पर एक ही निवेशक से प्रोत्साहन शुल्क की वसूली शामिल है। इस पर लगाम कसने के लिए सेबी उन्हीं फंडों को अतिरिक्त शुल्क वसूलने की इजाजत देगा, जहां निवेशक पहली बार म्युचुअल फंड का खरीदार होगा।