Mutual Fund ELSS: टैक्स सेविंग के साथ अच्छे रिटर्न के लिए निवेश का ऑप्शन तलाश रहे हैं तो म्युचुअल फंड की इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम (ELSS) एक बेहतर योजना हो सकती है। म्युचुअल फंड की इस स्कीम में एक वित्त वर्ष में 1.5 लाख रुपये तक के निवेश पर सेक्शन 80C के अंतर्गत टैक्स डिडक्शन क्लेम कर सकते हैं। वहीं, ELSS में टॉप परफॉर्मिंग स्कीम्स का लॉन्ग टर्म रिटर्न देखें तो यह पारंपरिक निवेश के विकल्पों जैसेकि एफडी (Bank FD), RD, PPF या पोस्ट ऑफिस स्कीम्स पर मिलने वाले ब्याज के मुकाबले काफी बेहतर है। ELSS के टॉप पांच फंड्स ने बीते तीन साल में औसतन 21-28 फीसदी सालाना रिटर्न दिया है। हालांकि, इस स्कीम में 3 साल का लॉक-इन होता है।
एसोसिएशन ऑफ म्युचुअल फंड्स इन इंडिया (AMFI) के आंकड़ों के मुताबिक, चालू वित्त वर्ष में मोतीलाल ओसवाल ईएलएसएस टैक्स सेवर फंड, एसबीआई लॉन्ग टर्म इक्विटी फंड, एचडीएफसी ईएलएसएस टैक्स सेवर फंड, आईटीआई ईएलएसएस टैक्स सेवर फंड और जेएम ईएलएसएस टैक्स सेवर फंड ELSS के टॉप 5 फंड हैं। इन ELSS फंडों ने तीन साल में 1 लाख के निवेश को 2 लाख बना दिया है।
Scheme | 3 Year Return |
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Motilal Oswal ELSS Tax Saver Fund | 30.42% |
SBI Long Term Equity Fund | 27.27% |
HDFC ELSS Tax Saver Fund | 24.44% |
ITI ELSS Tax Saver Fund | 24.08% |
JM ELSS Tax Saver Fund | 23.09% |
( सोर्स- AMFI, स्कीम्स का रिटर्न 6 दिसंबर 2024 तक की NAV के आधार पर।)
उदाहरण से समझते हैं- मोतीलाल ओसवाल ईएलएसएस टैक्स सेवर फंड ने बीते तीन साल में औसतन 30.42 प्रतिशत का सालाना रिटर्न दिया है। अगर इस स्कीम में किसी ने तीन साल पहले 1 लाख का निवेश किया होगा, तो आज उसकी वैल्यू बढ़कर 2.20 लाख रुपये हो गई है। इस तरह करीब 1.20 लाख रुपये का अनुमानित वेल्थ गेन हुआ। हालांकि, निवेशकों को यह ध्यान रखना जरूरी है कि म्युचुअल फंड में पिछला रिटर्न कभी भी भविष्य के रिटर्न की गारंटी नहीं होता है और बाजार के उतार-चढ़ाव का असर रिटर्न पर होता है।
इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम (ELSS) एक ऐसा म्यूचुअल फंड है जो अपने फंड का अधिकांश हिस्सा इक्विटी और इक्विटी से जुड़े फाइनेंशियल इन्स्ट्रुमेंट में निवेश करता है। इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम एकमात्र म्यूचुअल फंड स्कीम है , जिसमें इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80C के अंतर्गत टैक्स छूट का फायदा मिलता है। साथ ही टैक्स सेविंग्स के लिहाज से सबसे कब लॉक-इन पीरियड वाली स्कीम है। इन स्कीम में निवेश करते समय टैक्स में छूट का लाभ उठा सकते हैं। इसलिए, इन्हें टैक्स-सेविंग फंड के नाम से भी जाना जाता है। सैलरीड क्लास के बीच ELSS स्कीम बहुत लोकप्रिय है।
श्रीराम एएमसी के सीनियर फंड मैनेजर दीपक रामाराजू का कहना है, अगर आप एक सैलरीड क्लास व्यक्ति हैं, तो आप संभवतः कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) में योगदान कर रहे होंगे, जो एक निश्चित आय वाला प्रोडक्ट (Fixed Income Instrument) है। हालांकि, EPF एक सुरक्षित निवेश है, लेकिन आप अपने निवेश पोर्टफोलियो पर लंबे समय में अधिक रिटर्न प्राप्त करने के लिए इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम्स (ELSS) पर विचार कर सकते हैं।
बीपीएन फिनकैप के डायरेक्टर एके निगम कहते हैं, टैक्स बेनिफिट, लॉक-इन अवधि के बाद नकदी (liquidity) और बाजार में उतार-चढ़ाव को सहने की क्षमता रखने वाले निवेशकों के लिए यह निवेश का अच्छा विकल्प है। इसमें निवेशकों को पोर्टफोलियो डायवर्सिफिकेशन, लॉन्ग टर्म ग्रोथ का फायदा मिलता है। इसमें SIP के जरिए भी निवेश की सुविधा है। इस तरह, कम लॉक-इन अवधि और हाई रिटर्न की संभावना ELSS को निवेश का बेहतर विकल्प बनाती है।
दीपक रामाराजू का मानना है कि ELSS फंड उन सबसे अच्छे विकल्पों में से एक है, जिन पर विचार किया जा सकता है, क्योंकि इन फंड ने अतीत में सबसे ज्यादा रिटर्न दिया है और धारा 80C के निवेश विकल्पों में बेहतर प्रदर्शन करने की क्षमता रखते हैं। हालांकि, इक्विटी में निवेश को बाजार की अस्थिरता के कारण ज्यादा जोखिम वाला माना जाता है। इसलिए, व्यक्ति की जोखिम लेने की क्षमता के आधार पर और टैक्स सलाहकार से परामर्श के बाद ELSS फंड में निवेश पर विचार किया जा सकता है।
टैक्स में छूट
ELLS एकमात्र म्यूचुअल फंड स्कीम है जो आयकर अधिनियम की धारा 80C के तहत टैक्स छूट के लिए पात्र है। इसमें 1.5 लाख तक का निवेश टैक्स-फ्री होता है और इसे कर योग्य आय में शामिल नहीं किया जाता। इसके अलावा, निवेश अवधि के अंत में मिलने वाले रिटर्न पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (LTCG) प्रावधान के तहत टैक्स लगता है। नए नियमों के मुताबिक, 1.25 लाख तक के एनुअल कैपिटल गेन पर कोई टैक्स नहीं लगेगा। हालांकि अगर कैपिटल गैन एक वित्त वर्ष में 1.25 लाख की सीमा से ऊपर चला जाता है तो बढ़ी हुई राशि पर 12.5 प्रतिशत की दर से LTCG टैक्स चुकाना होगा।
इक्विटी में निवेश
ELSS अपने फंड का कम से कम 80 प्रतिशत हिस्सा इक्विटी और इक्विटी-आधारित प्रतिभूतियों में निवेश करता है।
कम लॉक-इन अवधि
इन स्कीम में न्यूनतम लॉक-इन अवधि तीन साल होती है। इसके बाद निवेशक चाहें तो इस स्कीम को बेंच सकते हैं या होल्ड भी कर सकते है। तीन साल की यह लॉक-इन अवधि पारंपरिक निवेश विकल्पों की तुलना में सबसे कम है।
एकमुश्त बनाम SIP
ELSS में निवेश एकमुश्त (Lump-sum) या नियमित किस्तों (SIP) के माध्यम से किया जा सकता है। अगर कोई एसआईपी के जरिए निवेश करता है, तो प्रत्येक किस्त अपनी निवेश तिथि से तीन साल बाद मैच्योर होगी। इसका मतलब है कि अंतिम किस्त अपनी निवेश तिथि से तीन साल तक लॉक रहेगी, जो पहली किस्त की मैच्योरिटी से अलग होगी।
कम पूंजी की आवश्यकता
निवेश के लिए न्यूनतम सीमा केवल 500 रुपये है। इसका मतलब है कि कोई भी व्यक्ति मात्र 500 रुपये की राशि से ELSS फंड में निवेश शुरू कर सकता है।
(डिस्क्लेमर: यहां म्युचुअल फंड के ELSS स्कीम की डीटेल दी गई है। ये किसी भी तरह से निवेश की सलाह नहीं है। म्युचुअल फंड में निवेश बाजार के जोखिमों के अधीन है। निवेश संबंधी फैसला करने से पहले अपने एडवाइजर से परामर्श कर लें।)