बजट 2025 के लिए अपने प्रस्तावों में म्युचुअल फंड उद्योग ने डेट योजनाओं के लिए कर राहत और इक्विटी कराधान में की गई बढ़ोतरी को वापस लेने की अपनी मांग दोहराई है। अप्रैल 2023 में सरकार ने म्युचुअल फंडों की डेट योजनाओं से इंडेक्सेशन का लाभ हटा दिया था। अब इस लाभ पर कर निवेशकों के स्लैब दर के हिसाब से लगाया जाता है, चाहे निवेशित अवधि कुछ भी हो। बजट 2024 में हुए बदलाव ने डेट म्युचुअल फंड निवेशकों के लिए कराधान की चुनौती बढ़ा दी थी क्योंकि अप्रैल 2023 से पहले किए गए निवेश पर भी इंडेक्सेशन का लाभ समाप्त हो गया था।
उद्योग निकाय द एसोसिएशन ऑफ म्युचुअल फंड्स इन इंडिया (एम्फी) ने कहा, हमारा मानना है कि पिछली तारीख के आधार पर कर की नई दर लागू करना निवेशकों के भरोसे के लिहाज से हानिकारक हो सकता है और यह नए निवेशकों को पूंजी बाजार में प्रवेश से रोकेगा, साथ ही मौजूदा निवेशक भी और निवेश से पीछे हट जाएंगे।
उद्योग निकाय ने डेट फंड के कराधान को सूचीबद्ध बॉन्डों की तरह करने की मांग की है। बजट के लिए अपने प्रस्तावों में एम्फी ने कहा है, डेट म्युचुअल फंडों की यूनिट को भुनाने से हुए पूंजीगत लाभ पर (एक साल से ज्यादा समय तक निवेशित) 12.5 फीसदी की दर से कर लगाया जाना चाहिए, जैसा कि सूचीबद्ध बॉन्डों से अर्जित पूंजीगत लाभ पर लगता है।
एम्फी ने इक्विटी म्युचुअल फंडों पर बढ़ाए गए कर को वापस लेने की भी मांग की है। बजट 2024 में केंद्र सरकार ने इक्विटी पर अल्पावधि के पूंजीगत लाभ पर कराधान 15 फीसदी से बढ़ाकर 20 फीसदी कर दिया था। साथ ही लंबी अवधि के पूंजीगत लाभ पर कर की दर 10 फीसदी से बढ़ाकर 12.5 फीसदी कर दी गई थी। एम्फी ने कहा, कराधान में बढ़ोतरी से बचत के वित्तीयकरण पर असर पड़ सकता है।
इनकी मांगों की सूची में प्रतिभूति लेनदेन कर (एसटीटी) में कटौती शामिल है, जिसे पिछले बजट में बढ़ाया गया था। फ्यूचर ऐंड ऑप्शंस पर एसटीटी में इजाफे का असर मोटे तौर पर आर्बिट्रेज व इक्विटी सेविंग्स फंडों पर पड़ता है क्योंकि उनकी रणनीति में हेजिंग शामिल होते हैं।
कर संबंधित एक अन्य प्रस्ताव में उद्योग ने इक्विटी फंडों में निवेश करने वाले सभी फंड-ऑफ-फंड्स (एफओएफ) के कराधान में बदलाव की मांग की है। अभी एफओएफ को इक्विटी कराधान के लिए पात्रता के लिए दो शर्तें पूरी करनी होती है : इक्विटी योजनाओं में कम से कम 90 फीसदी कोष का निवेश करना और यह सुनिश्चित करना कि जिन योजनाओं में वे निवेश करते हैं, वे घरेलू इक्विटी में न्यूनतम 90 फीसदी का आवंटन करते हैं।
एम्फ़ी के अनुसार, अधिकांश एफओएफ दूसरी शर्त के कारण इक्विटी कराधान के लिए पात्रता हासिल करने में विफल रहते हैं। इसमें कहा गया है, चूंकि इक्विटी योजनाओं में इक्विटी में 65 फीसदी से 100 फीसदी के बीच निवेश करने का लचीलापन है, इसलिए यह दूसरी शर्त को पूरा करने में बाधा पैदा करता है।
एम्फी ने यह भी प्रस्ताव दिया है कि सरकार सभी एमएफ को राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) के समान कर उपचार के साथ पेंशन वाली एमएफ योजनाएं शुरू करने की अनुमति दे। यह तर्क दिया गया कि सेवानिवृत्ति के बाद की पेंशन आय के लिए निवेश के तीन व्यापक रास्ते हैं – एनपीएस, सेवानिवृत्ति एमएफ योजनाएं और बीमा-लिंक्ड पेंशन योजनाएं – लेकिन केवल एनपीएस धारा 80सीसीडी के तहत कर छूट के लिए पात्र है।