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FY26 की पहली छमाही में बाजार का प्रदर्शन: सोना-चांदी चमके, रुपया-शेयर नरम

वित्त वर्ष 2026 की पहली छमाही में अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने ने 22.1 फीसदी रिटर्न दिया है। चांदी ने 35.8 फीसदी का रिटर्न दिया है

Last Updated- September 30, 2025 | 10:41 PM IST
Stock market and Gold

चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में विदेशी निवेशकों की लगातार बिकवाली से घरेलू शेयर बाजार में मामूली बढ़त दर्ज की गई जिससे रुपये पर भी दबाव पड़ा। हालांकि सोने-चांदी पर निवेशकों ने जमकर दांव लगाया और इनकी चमक खूब बढ़ी। वित्त वर्ष 2026 की पहली छमाही में अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने ने 22.1 फीसदी रिटर्न दिया है। चांदी ने 35.8 फीसदी का रिटर्न दिया है।

दूसरी ओर बेंचमार्क सूचकांक सेंसेक्स 4.6 फीसदी और निफ्टी 3.7 फीसदी की बढ़त में रहे, जो वित्त वर्ष 2023 की पहली छमाही के बाद से शेयर बाजार का सबसे कमजोर प्रदर्शन है। उस समय दोनों सूचकांकों में लगभग 2 फीसदी की गिरावट आई थी।

हालांकि निफ्टी मिडकैप 100 और निफ्टी स्मॉलकैप 100 में लगभग 9 फीसदी की वृद्धि हुई। दूसरी ओर डॉलर के मुकाबले रुपया करीब 4 फीसदी कमजोर होकर 88.8 पर आ गया। घरेलू बाजार में सोने की कीमतों में वित्त वर्ष 2026 की पहली छमाही में 29.4 फीसदी की जोरदार तेजी आई। इसी तरह चांदी में 41.2 फीसदी की तेजी आई। भू-राजनीतिक और आर्थिक अनिश्चितता के बीच निवेशकों ने सुरक्षित निवेश के रूप में सोने पर खूब दांव लगाया। मौजूदा वित्त वर्ष में रुपया अभी तक 3.7 फीसदी नरम हुआ है जबकि अप्रैल में उसने अच्छी शुरुआत की थी।

वित्त वर्ष 2026 की पहली छमाही में अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने ने 22.1 फीसदी का रिटर्न दिया है जो कम से कम 30 वर्षों के बाद पहली छमाही में दर्ज किया गया अब तक का सबसे ज्यादा रिटर्न है। इससे पहले कोविड महामारी के कारण लॉकडाउन वाले वित्त वर्ष 2020-21 की पहली छमाही में चांदी में 66.3 फीसदी की तेजी आई थी।

चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने शेयर बाजार से 37,000 करोड़ रुपये से ज्यादा निकाले और कई ने चीन जैसे अपेक्षाकृत सस्ते बाजारों में अपना पैसा लगाया है। इसके उलट घरेलू संस्थागत निवेशकों ने लगभग 4 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया, जिसमें मुख्य रूप से म्युचुअल फंडों का अहम योगदान रहा।

पहली छमाही के अंत में भारत का कुल बाजार पूंजीकरण 451.6 लाख करोड़ रुपये रहा जो एक साल पहले की तुलना में करीब 23 लाख करोड़ रुपये कम है। अलग-अलग सेक्टर की बात करें तो वाहन, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और धातु क्षेत्र ने बेहतर प्रदर्शन किया जबकि आईटी में नरमी आई और निफ्टी आईटी सूचकांक 9 फीसदी गिरावट में रहा।

इक्विनॉमिक्स के संस्थापक जी चोकालिंगम ने कहा, ‘पिछले छह महीने कंपनियों की आय में नरमी और व्यापार शुल्कों को लेकर अनिश्चितता से भरे रहे जिसकी वजह से विदेशी निवेशकों ने अपना निवेश निकालने को तरजीह दी। विश्लेषकों ने कहा कि इस अवधि के दौरान बाजार के कमजोर प्रदर्शन की वजह नरम आय, उच्च अमेरिकी शुल्क और एच-1बी वीजा शुल्क में वृद्धि को बताई। हालांकि उम्मीद है कि दूसरी छमाही में प्रदर्शन में सुधार होगा क्योंकि मूल्यांकन आकर्षक दिख रहा है।

First Published - September 30, 2025 | 10:36 PM IST

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