पिछले एक साल में भारतीय शेयर बाजार में घरेलू निवेशकों (DII) से लगभग 90 अरब डॉलर (करीब ₹7.5 लाख करोड़) का पैसा आया है। इसके बावजूद निफ्टी और सेंसेक्स जैसे बड़े इंडेक्स जगह पर ही खड़े हैं, यानी सितंबर 2024 से अब तक निवेशकों को 0% रिटर्न मिला है।
कोटक सिक्योरिटीज की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले 12 महीनों में सिर्फ बड़े इंडेक्स ही नहीं, बल्कि स्मॉल-कैप और मिड-कैप शेयर भी सितंबर 2024 के मुकाबले नीचे हैं। यानी निवेशकों की उम्मीद और बाजार में पैसा आने के बावजूद शेयर बाजार का प्रदर्शन कमजोर रहा है।
रिपोर्ट में कहा गया कि बाजार को सहारा देने वाले कई कारक मौजूद थे – जैसे रिटेल निवेशकों का उत्साह, रुपये की कमजोरी, जीएसटी सुधार, टैक्स कटौती और सरकार की आर्थिक नीतियां। फिर भी निफ्टी और सेंसेक्स में कोई बड़ी तेजी नहीं आई।
कोटक सिक्योरिटीज का कहना है कि अगर रुपया मजबूत होता तो बाजार का प्रदर्शन और भी खराब दिखता। डॉलर के हिसाब से देखें तो भारतीय बाजार ने और भी कमज़ोर रिटर्न दिया है।
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कोटक के विश्लेषकों का मानना है कि बाजार न चलने की सबसे बड़ी वजह ज्यादा वैल्यूएशन (महंगे शेयर) हैं। पिछले साल कई कंपनियों की कमाई (Earnings) कम हुई या उनके अनुमान घटाए गए। इसके बावजूद शेयर की कीमतें ऊंची बनी रहीं।
निफ्टी-50 फिलहाल 23.1 पी/ई (P/E) रेशियो पर ट्रेड कर रहा है। यह 5 साल के औसत (24.5) और 10 साल के औसत (23.4) से थोड़ा कम है, लेकिन फिर भी निवेशकों के लिए महंगा माना जा रहा है।
2025 की शुरुआत से अब तक निफ्टी 7% और सेंसेक्स 5.8% चढ़े हैं। ऑटो सेक्टर सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वालों में रहा है, जिसे जीएसटी में राहत और टैक्स कट से फायदा मिला। वहीं, आईटी सेक्टर अब भी कमजोर बना हुआ है।
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कुल मिलाकर, कोटक सिक्योरिटीज का कहना है कि सिर्फ पैसों का प्रवाह (Inflows) ही बाजार को ऊपर नहीं ले जा सकता। निवेशकों को यह समझना होगा कि असली सहारा कंपनियों की कमाई और मजबूत बुनियादी फैक्टर्स (Fundamentals) हैं।