विदेशी निवेशक भारतीय शेयर बाजार से लगातार पैसा निकाल रहे हैं। मार्च के पहले हफ्ते में उन्होंने 24,753 करोड़ रुपये (लगभग 2.8 बिलियन डॉलर) की निकासी की। इसका बड़ा कारण वैश्विक व्यापार में लगातार बढ़ रहे तनाव और और कंपनियों की निराशाजनक कमाई है। यह निकासी फरवरी में 34,574 करोड़ रुपये और जनवरी में 78,027 करोड़ रुपये की निकासी के बाद हुई है।
डिपॉजिटरी के आंकड़ों के मुताबिक, 2025 में अब तक विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPIs) ने कुल 1.37 ट्रिलियन रुपये की निकासी की है। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPIs) ने इस महीने (7 मार्च तक) भारतीय शेयरों से 24,753 करोड़ रुपये के शेयर बेचे हैं। यह लगातार 13वां हफ्ता है जब नेट आउटफ्लो देखा गया है। 13 दिसंबर, 2024 से FPIs ने 17.1 बिलियन डॉलर के शेयर बेचे हैं।
विदेशी निवेशकों द्वारा लगातार बिकवाली वैश्विक और घरेलू कारणों के चलते भी हो रही है। मॉर्निंगस्टार इनवेस्टमेंट के एसोसिएट डायरेक्टर (मैनेजर रिसर्च) हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा, “ एक बड़ा कारण वैश्विक व्यापार तनाव में बढ़ोतरी है, जो निवेशकों के मनोभाव पर भारी पड़ रहा है। अमेरिका द्वारा मैक्सिको, कनाडा और चीन जैसे देशों पर हाई टैरिफ लगाना और भारत सहित कई देशों द्वारा जवाबी टैरिफ लगाना, बाजार के मनोभाव को नुकसान पहुंचा रहा है।”
उन्होंने आगे कहा, “घरेलू स्तर पर, कंपनियों की कमजोर कमाई ने निगेटिव मनोभाव को बढ़ाया है, क्योंकि यह निवेशकों की उम्मीदों पर खरी नहीं उतरी। इससे FPIs भारतीय शेयरों के प्रति सावधानी बरत रहे हैं।” रुपये की कमजोरी ने इस अनिश्चितता को और बढ़ाया है, जिससे भारतीय संपत्तियों की अपील कम हुई है।
डेजर्व के सह-संस्थापक वैभव पोरवाल ने बताया कि रुपये के मूल्य में गिरावट ने FPIs के रिटर्न को कम किया है, जबकि भारत की टैक्स संरचना, जिसमें लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन पर 12.5 प्रतिशत और शॉर्ट-टर्म गेन पर 20 प्रतिशत टैक्स है, उन वैकल्पिक बाजारों से अलग है जो कम या जीरो टैक्स देते हैं।
इसके अलावा, जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के चीफ इनवेस्टमेंट स्ट्रैटेजिस्ट वीके विजयकुमार ने बताया कि चीनी स्टॉक्स में बढ़ती रुचि, वेल्यूसन और चीनी सरकार के बड़े व्यवसायों के लिए हाल के सकारात्मक कदमों के कारण है।
इससे चीनी शेयरों में शानदार तेजी आई है, जिसमें हैंग सेंग इंडेक्स ने साल-दर-साल 23.48 प्रतिशत रिटर्न दिया, जबकि भारत के निफ्टी ने निगेटिव 5 प्रतिशत रिटर्न दिया।हालांकि, उन्होंने चेतावनी दी कि यह एक शॉर्ट टर्म साइकिल ट्रेड हो सकता है, क्योंकि 2008 से चीनी कंपनियों की कमाई लगातार कमजोर रही है। हालांकि, कुल मिलाकर यह ट्रेंड दिखाता है कि विदेशी निवेशक सतर्क रुख अपना रहे हैं, जिन्होंने 2024 में भारतीय शेयरों में निवेश को काफी कम कर दिया, जिसमें केवल 427 करोड़ रुपये का नेट इनफ्लो देखा गया।यह 2023 में 1.71 ट्रिलियन रुपये के असाधारण नेट इनफ्लो से बिल्कुल उलट है, जो भारत की मजबूत आर्थिक बुनियाद को दिखाता था।