एशिया सिक्योरिटीज इंडस्ट्री ऐंड फाइनैंशियल मार्केट्स एसोसिएशन (असिफमा) ने आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई) और मशीन लर्निंग (एमएल) टूल्स का नियमन करने के भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के प्रस्तावित नियमों पर आपत्ति जताई है।
नियामक ने नवंबर में एक परामर्श पत्र जारी किया था। इसका लक्ष्य एआई और एमएल टूल्स के इस्तेमाल को नियामक के दायरे में लाना था। इसके अलावा उसने डेटा उल्लंघन, गोपनीयता संबंधी चिंताओं, निवेशक डेटा और उल्लंघन के मामलों में कार्रवाई जैसी खामियों के लिए पंजीकृत संस्थाओं की जिम्मेदारियों को परिभाषित करने की बात कही थी।
सेबी को सौंपी अपने प्रतिवेदन में एफपीआई लॉबी ने तर्क दिया है कि सभी पर एक जैसे नियम थोपने से जरूरत से ज्यादा नियमन हो सकता है। इसके बजाय, उद्योग निकाय ने साझा जवाबदेही वाले ढांचे की वकालत की, जहां वित्तीय संस्थान जवाबदेह हों, लेकिन तीसरे पक्षकार भी एआई मूल्य श्रृंखला के विशिष्ट हिस्सों के लिए जिम्मेदार हों।
आसिफमा ने अपने मांग में कहा है कि किसी एआई टूल के सटीक और निष्पक्ष आउटपुट के आधार पर किसी ग्राहक या बाहरी हितधारक के किसी भी बुरे फैसले के लिए किसी मध्यस्थ को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है।
इसमें कहा गया है कि वित्तीय संस्थान हालांकि जवाबदेह बने रहेंगे, लेकिन जेनरेटिव एआई लाइफसाइकल में विभिन्न नियंत्रणों की जिम्मेदारी तैनात किए गए मॉडल पर निर्भर करेगी। हमारा सुझाव है कि जवाबदेही (और दायित्व) उस पक्ष पर होनी चाहिए जिसका लाइफसाइकल के विशिष्ट तत्व पर नियंत्रण है। आसिफमा ने एआई टूल आउटपुट पर निर्भरता के संबंध में स्पष्टता की कमी की ओर भी इशारा किया और नियमन में एआई सिस्टम की ओईसीडी परिभाषा का इस्तेमाल करने की सिफारिश की।
आसिफमा ने कहा कि यह आवश्यकता वर्तमान में जिस तरह से देखी जा रही है, वह ऐसी है जैसे जब कोई ग्राहक या हितधारक एआई टूल से सटीक और निष्पक्ष आउटपुट का उपयोग कर रहा हो, लेकिन फिर भी गलत निर्णय ले ले तो यह आरई की जिम्मेदारी होगी। अगर वास्तव में सेबी का यही इरादा है तो हम बहुत चिंतित हैं कि यह जरूरत से ज्यादा होगा और अन्य न्यायाधिकार क्षेत्रों की आवश्यकताओं व दिशानिर्देशों की तुलना में यह बहुत अलग होगा।