डेट विकल्प के जरिये कोष उगाही भारतीय उद्योग जगत के लिए महंगी हो सकती है। विश्लेषकों का कहना है कि चूंकि केंद्र सरकार ने रियायती कर दर नहीं बढ़ाई है, लेकिन एफपीआई अतिरिक्त बोझ पोर्टफोलियो कंपनियों पर डालने पर जोर दे सकते हैं।
सरकारी प्रतिभूतियों में एफपीआई निवेश से ब्याज और रुपया-केंद्रित कॉरपोरेट बॉन्डों पर लाभ के लिए मौजूदा समय में 5 प्रतिशत की कर दर लागू है। जून 2023 से, एफपीआई को इन निवेश पर 20 प्रतिशत की कर दर का सामना करना होगा। इससे कोष उगाही की राह प्रभावित हो सकती है।
हितधारकों ने यह मुद्दा सरकार के समक्ष उठाने की योजना बनाई है। प्राइस वाटरहाउस ऐंड कंपनी में पार्टनर सुरेश स्वामी ने कहा, ‘चूंकि ज्यादातर पोर्टफोलियो कंपनियों के एफपीआई के साथ कर संबंधित अनुभव हैं, इसलिए कर बोझ आखिरकार उधारकर्ता पर पड़ सकता है। इससे कंपनियों के लिए उधारी की लागत काफी बढ़ सकती है। माना जा रहा है कि भारतीय कंपनियां रियायत की मांग करेंगी।’
एफपीआई बजट से कर राहत की उम्मीद लगाए हुए थे। विश्लेषकों का कहना है कि हालांकि इसे लेकर बजट में घोषणा नहीं हुई, इसलिए एफपीआई जून 2023 तक निवेश पर आय से संबंधित कर रियायत के लिए केंद्रीय प्रत्यक्ष कराधान बोर्ड (सीबीडीटी) से अनुरोध करने की योजना बना रहे हैं। जून के बाद किसी तरह की उधारी पर ज्यादा ऊंची दर से कर लगेगा, लेकिन उससे पहले किए गए निवेश के प्रतिफल पर 5 प्रतिशत की दर से कर लगेगा।
डेलॉयट में पार्टनर राजेश गांधी ने कहा, ‘एफपीआई बजट से पहले भी वित्त मंत्रालय के समक्ष अपनी समस्याएं रखी थीं। कुछ खास अनिवासी ऋणदाताओं के लिए ग्रांडफादरिंग यानी पुरानी व्यवस्था का लाभ बरकरार रह सकता है, लेकिन मौजूदा समय में एफपीआई को यह लाभ नहीं मिलेगा। निश्चित तौर पर विदेशी निवेशक पिछले प्रतिफल को बरकरार रखने के लिए वित्त मंत्रालय से अनुरोध करेंगे।’
डेट बाजार में निवेश प्रवाह बढ़ाने के लिए 2013 में रियायत कर व्यवस्था लागू की गई थी। स्वामी ने कहा, ‘पुरानी छूट बरकरार रखने के अनुरोध के अलावा, अगले तीन-चार वर्षों की अवधि के दौरान चरणबद्ध तरीके से ऊंचे कर को लागू करने का मुद्दा भी उठाया जा सकता है।’ वर्ष 2022 में, भारत ने करीब 1.33 लाख करोड़ रुपये की निकासी दर्ज की थी, जिसमें 15,911 करोड़ रुपये की बिकवाली डेट सेगमेंट से हुई थी।
कुछ खास एफपीआई के पास कर बोझ घटाने के लिए कर संधि लाभ का दावा करने का विकल्प है। हालांकि सिर्फ कर समझौता लाभ के आधार पर क्षेत्राधिकार के चयन से अन्य जटिलताएं बढ़ सकती हैं, जैसे जनरल एंटी अवॉयडेंस रूल्स या जीएएआर लागू हो सकते हैं।
राहत पाने के लिए, संबद्ध व्यक्ति को देश का निवासी होना चाहिए या वहां उसका कार्यालय होना चाहिए। जीएएआर यह सुनिश्चित करता है कि निवेशक सिर्फ अपनी पूंजी को ध्यान में रखते हुए कर-अनुकूल देश का इस्तेमाल न करें।