Nifty Smallcap 100 Index: ऊंचे मूल्यांकन को लेकर चिंता और बुलबुला बनने की बाजार नियामक की चेतावनी के बीच निफ्टी स्मॉलकैप 100 सूचकांक मंगलवार को ‘गिरावट वाले क्षेत्र में’ फिसल गया। हालिया उच्चस्तर से 10 फीसदी या इससे ज्यादा की फिसलन को करेक्शन यानी गिरावट का नाम दिया जाता है।
दूसरे दिन करीब 2 फीसदी की गिरावट के साथ निफ्टी स्मॉलकैप 100 इंडेक्स सत्र के दौरान 15,011 के स्तर को छू गया, यानी उसमें 1,681 अंकों की गिरावट आई या 8 फरवरी के अपने कारोबारी सत्र के दौरान बने सर्वोच्च स्तर से यह 10.1 फीसदी नीचे आया है। इंडेक्स में अभी भी पिछले एक साल में 62 फीसदी की बढ़त बरकरार है।
स्मॉलकैप इंडेक्स में 10 फीसदी की गिरावट आई जबकि बेंचमार्क निफ्टी ने सत्र की शुरुआत में नई रिकॉर्ड ऊंचाई को छुआ। 8 फरवरी से स्मॉलकैप और लार्जकैप सूचकांकों का रुख अलग-अलग नजर आया है। बाजार पर नजर रखने वालों ने कहा कि महंगे मूल्यांकन को लेकर चिंता ने कुछ निवेशकों को पहले ही मुनाफावसूली के लिए बाध्य कर दिया लेकिन बाजार नियामक सेबी के म्युचुअल फंडों को इस आदेश के बाद कि वह स्मॉलकैप क्षेत्र में अत्यधिक निवेश को लेकर कदम उठाए, इसकी चमक फीकी पड़ गई।
बाजार नियामक सेबी की प्रमुख माधवी पुरी बुच ने सोमवार को एक कार्यक्रम में कहा था, बाजार में कुछ हिस्से अलग तरह के हैं। कुछ इसे बुलबुले का नाम देते हैं। बुलबुला बनने देना सही नहीं होगा क्योंकि जब यह फूटता है तो निवेशकों पर बुरा असर डालता है। उद्योग को ऐसे बुलबुले को हवा नहीं देना चाहिए और म्युचुअल फंड ट्रस्टियों को इस जोखिम के प्रबंधन के लिए नीति बनानी चाहिए। पिछले महीने नियामक ने म्युचुअल फंडों को स्मॉलकैप व मिडकैप फंडों के निवेशकों के लिए निवेशक सुरक्षा ढांचा बनाने को कहा था।
उद्योग के कुछ प्रतिभागियों का मानना है कि सेबी के संकेत मनोबल पर चोट कर रहे हैं और स्मॉलकैप शेयरों के हालिया अलहदा प्रदर्शन और उनमें कमजोरी की यही वजह है। हालांकि कुछ का कहना है कि स्मॉलकैप योजनाओं में जिस तरह से नया निवेश आ रहा था, उसे देखते हुए सेबी का आगाह करना बुद्धिमानी भरा कदम था।
अल्फानीति फिनटेक के सह-संस्थापक यू आर भट्ट ने कहा कि इस तर्क में कुछ दम है कि मूल्यांकन पर टिप्पणी करना सेबी का काम है। लेकिन अगर स्मॉलकैप क्षेत्र में कुछ धुंआ उठ रहा है और इसका अंत भारी गिरावट के साथ होता है तो स्मॉलकैप निवेशक रकम गंवाते हैं और नियामक की यही चिंता है।
अंततः शेयर की कीमतें मांग और आपूर्ति से तय होती हैं। नियामक सिर्फ यही चिंता है कि कहीं आपने कृत्रिम मांग तो पैदा नहीं कर दी है। ऐसी तेजी खुदरा निवेशकों के लिए बेहतरी के साथ समाप्त नहीं होती, ऐसे में एहतियाती कदम के तौर पर सेबी यह पक्का करने की कोशिश कर रहा है कि बाजार व्यवस्थित तरीके से चले।
आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज की सोमवार को जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि कैसे इक्विटी का मूल्यांकन असहज हो रहा था क्योंकि कीमतों में बढ़ोतरी का मेल आय की वृद्धि के साथ नहीं दिख रहा। इसके रणनीतिकारों विनोद कर्की और नीरज करनानी ने एक नोट में कहा है कि मार्च 2023 के निचले स्तर से निफ्टी-50 इंडेक्स 31 फीसदी चढ़ा है जबकि इस अवधि में आय का विस्तार करीब 18 फीसदी रहा है।
व्यापक बाजारों में कीमत बढ़ोतरी हालांकि उनकी आय के विस्तार के मुकाबले ज्यादा हुई है और स्मॉलकैप, मिडकैप व माइक्रोकैप का रिटर्न मार्च 2023 के निचले स्तर के बाद से क्रमश: 62 फीसदी, 73 फीसदी व 100 फीसदी रहा है। ब्रोकरेज के मुताबिक, निफ्टी स्मॉलकैप 100 इंडेक्स का पीई गुणक करीब 50 फीसदी बढ़ा है।