वैश्विक पोर्टफोलियो में एशियाई बाजारों में उम्दा प्रदर्शन करने की क्षमता है, नोमूरा की हालिया रिपोर्ट में ये बातें कही गई है। नोमूरा ने अपने एशियाई पोर्टफोलियो में (जापान को छोड़कर) भारत पर ओवरवेट रुख बरकरार रखा है। भारत के संदर्भ में रिलायंस इंडस्ट्रीज, इन्फोसिस, आईसीआईसीआई बैंक, महिंद्रा ऐंड महिंद्रा और डॉ. रेड्डीज नोमूरा के पसंदीदा शेयर हैं।
वैश्विक शोध व ब्रोकरेज फर्म ने मार्च 2022 के लिए निफ्टी-50 का लक्ष्य 15,340 कर दिया है, जो पहले दिसंबर 2021 के लिए 14,680 था और फर्म ने इसे अभी बरकरार रखा है। नोमूरा का ककहना है कि आने वाले समय में वह भारत की आर्थिक रफ्तार के बजाय कंपनियों की आय पर ज् यादा ध्यान केंद्रित करेगी। आगर आर्थिक रफ्तार सीमा से ऊपर टिकी रहती है तो भारतीय कंपनी जगत लाभ मेंं सुधार के जरिये बेहतर आय दर्ज कर सकती है।
नोमूरा के विश्लेषक जिम मैककैफरटी ने अपने एपीएसी इक्विटी रिसर्च के संयुक्त प्रमुख के साथ लिखा है, हमें लगता है कि बॉन्ड के सापेक्ष इक्विटी अभी भी आकर्षक दिख रहा है, जब तक कि प्रतिफल एक ऐसे स्तर पर नहीं पहुंच जाता जहां बॉन्ड आकर्षक बन जाए। निवेशक एशियाई इक्विटी पर सतर्क नजर आ रहे हैं, लेकिन हमारा मानना है कि एशिया में वैश्विक पोर्टफोलियो में उम्दा प्रदर्शन करने की क्षमता है।
एमएससीआई एशिया (जापान को छोड़कर) के लिए 2021-22 के आखिर का उनका लक्ष्य 900/974 है, जो 2021-22 में आय में लगातार हो रहे सुधार के अनुमान पर है। यह मौजूदा स्तर से 27 से 38 फीसदी का रिटर्न बैठता है, जहां इंडेक्स अभी है। कुल मिलाकर एशियाई इक्विटी पर मध्यम अवधि के लिहाज से नोमूरा सकारात्मक बनी हुई है।
नोमूरा ने कहा, शेयर का चयन अहम होगा और जिस रणनीति की सिफारिश की गई है वह अपरिवर्तित है। महंगाई और जिंसों की कीमतें, दरों का परिदृश्श्य, आय पर निराशा (खास तौर से एशिया के तकनीकी क्षेत्र से), नियमन, उच्च कर और एशियाई क्षेत्र में बढ़ता सामाजिक तनाव और कोविड संक्रमम एशियाई इक्विटी के मामले में उनके लिए अहम जोखिम है। देश के लिहाज से उनकी प्राथमिकता अभी भी उत्तर एशिया है, न कि दक्षिण या दक्षिण पूर्व एशिया।
