भले ही जुलाई-सितंबर तिमाही में भारत फोर्ज का प्रदर्शन काफी हद तक बाजार अनुमानों के अनुरूप रहा और रक्षा ऑर्डरों में भी तेजी आई, लेकिन कंपनी के वैश्विक व्यवसाय के लिए सुस्त परिदृश्य ने कुछ ब्रोकरों को इस शेयर पर सतर्क रुख अपनाने के लिए बाध्य किया है।
विश्लेषकों ने कंपनी की वैश्विक सहायक इकाइयों के लिए सुधार की धीमी गति को ध्यान में रखते हुए प्रति शेयर आय (ईपीएस) अनुमान घटा दिया है। मूल्यांकन भी दीर्घावधि औसत पर बना हुआ है, जिससे संभावित तेजी सीमित हो सकती है।
मुख्य परिचालन के लिए राजस्व प्रदर्शन मजबूत रहा और इसमें 21 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। इसे 70,316 टन की 19 तिमाहियों की ऊंची बिक्री से मदद मिली, एक साल पहले की तिमाही से 15 प्रतिशत अधिक थी। बेहतर उत्पाद मिश्रण की मदद से प्राप्तियां भी 5 प्रतिशत बढ़कर 3.2 लाख रुपये हो गईं। जहां वाहन खंड एक साल पहले के मुकाबले 15 प्रतिशत तक बढ़ा, वहीं औद्योगिक सेगमेंट की वृद्धि इससे दोगुनी से ज्यादा रही।
कंपनी का सकल मार्जिन सालाना आधार पर 110 आधार अंक तक बढ़कर 56.7 प्रतिशत हो गया, क्योंकि उसे सुधरते उत्पाद मिश्रण से मदद मिली। मजबूत मुनाफा वृद्धि और सकल मार्जिन में सुधार से परिचालन मुनाफा मार्जिन सालाना आधार पर 310 आधार अंक तक बढ़कर 27.4 प्रतिशत हो गया।
कंपनी के वेश्विक परिचालन में 115 करोड़ रुपये का नुकसान दर्ज किया गया। कंपनी को अमेरिका तथा यूरोपीय संघ में एल्युमीनियम फोर्जिंग परिचालन में नुकसान की वजह से दबाव का सामना करना पड़ा।
मोतीलाल ओसवाल रिसर्च ने वैश्विक सहायक इकाइयों में अनुमान से कमजोर सुधार को ध्यान में रखते हुए 2023-24 के लिए कंपनी का ईपीएस अनुमान 8 प्रतिशत और 2024-25 के लिए 3 प्रतिशत तक घटा दिया है।
ब्रोकरेज के विश्लेषक जिनेश गांधी ने कहा, ‘जहां भारत फोर्ज का मुख्य भारतीय व्यवसाय तेज विकास की राह पर बढ़ रहा है, वहीं यह बताना भी जरूरी है कि अमेरिका और यूरोपीय संघ में मौजूदा वृहद आर्थिक परिवेश कमजोर का संकेत दे रहा है।’
भारत फोर्ज की ताकत का मुख्य एरिया रक्षा व्यवसाय है। कंपनी को सितंबर तिमाही में 1,100 करोड़ रुपये के ऑर्डर मिले। इस सेगमेंट में ऑर्डर बुक अब बढ़कर 3,000 करोड़ रुपये हो गई है जिसे अगले दो साल में पूरा किया जाना है। हालांकि इस व्यवसाय में वृद्धि सकारात्मक है, लेकिन एमके रिसर्च ने कंपनी के लिए कई समस्याएं बने रहने का संकेत दिया है।
ब्रोकरेज के विश्लेषक जैमिन देसाई का कहना है, ‘हमने रक्षा खंड में तेजी और 2025-26 तक मुख्य राजस्व में 20 प्रतिशत योगदान (2022-23 के 5 प्रतिशत की तुलना में) रहने का अनुमान जताया है, वहीं वाणिज्यिक वाहन उद्योगों (वैश्विक और घरेलू) के लिए परिदृश्य कमजोर हो रहा है।’
वैश्विक वाणिज्यिक वाहन निर्माताओं ने 2024 में विकसित बाजारों में इस उद्योग में 8-15 प्रतिशत गिरावट आने का अनुमान जताया है। घरेलू वाणिज्यिक वाहन वृद्धि ऊंचे आधार की वजह से नरम रह सकती है, क्योंकि औद्योगिक निर्यात परिदृश्य भी सुस्त बना हुआ है। हालांकि प्रभुदास लीलाधर का मानना है कि कंपनी घरेलू और निर्यात वाहन सेगमेंटों में विकास संबंधित कई तरह के बदलावों से गुजर रही है।
वैश्विक अनिश्चितताओं को ध्यान में रखते हुए निवेशकों को इस शेयर पर दांव लगाने से पहले गिरावट आने या बेहतर मूल्यांकन का इंतजार करना चाहिए।