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अधिकतर महिला डॉक्टर अपनी रात्रि पाली की ड्यूटी के दौरान असुरक्षित महसूस करती हैं, इतना असुरक्षित कि कुछ ने आत्मरक्षा के लिए हथियार रखने की आवश्यकता भी महसूस की है। रात्रि पाली में ड्यूटी के लिए पर्याप्त सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं होतीं। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के एक अध्ययन में यह बात सामने आई है।
आईएमए ने बताया कि अध्ययन में शामिल एक तिहाई डॉक्टर जिनमें से अधिकांश महिलाएं हैं, अपनी रात्रि पाली के दौरान असुरक्षित महसूस करते हैं। कोलकाता में सरकारी आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में प्रशिक्षु महिला डॉक्टर के साथ बलात्कार और उसकी हत्या की घटना की पृष्ठभूमि में रात्रि पाली के दौरान डॉक्टरों की सुरक्षा संबंधी चिंताओं का आकलन करने के लिए आईएमए द्वारा किए गए ऑनलाइन सर्वेक्षण में पाया गया कि 45 प्रतिशत उत्तरदाताओं को रात्रि पाली के दौरान ‘ड्यूटी कक्ष’ उपलब्ध नहीं था। आईएमए ने दावा किया कि 3,885 व्यक्तिगत प्रतिक्रियाओं के साथ यह इस विषय पर भारत का सबसे बड़ा अध्ययन है।
आईएमए की केरल इकाई के अनुसंधान प्रकोष्ठ के अध्यक्ष डॉ. राजीव जयदेवन एवं उनकी टीम द्वारा अध्ययन के निष्कर्ष संकलित किए गए हैं। इस अध्ययन में 22 से अधिक राज्यों के डॉक्टर शामिल हुए, जिनमें से 85 प्रतिशत 35 वर्ष से कम आयु के थे, जबकि 61 प्रतिशत प्रशिक्षु या स्नातकोत्तर प्रशिक्षु थे।
सर्वेक्षण के निष्कर्षों से पता चला कि कई डॉक्टरों ने असुरक्षित (24.1 प्रतिशत) या बहुत असुरक्षित (11.4 प्रतिशत) महसूस करने की बात कही, जो कुल उत्तरदाताओं का एक तिहाई है। असुरक्षित महसूस करने वालों का अनुपात महिलाओं में अधिक था।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को शुक्रवार को पत्र लिखकर दुष्कर्म और हत्या जैसे जघन्य अपराधों के लिए कड़े केंद्रीय कानून और कठोर सजा का प्रावधान किए जाने का अनुरोध दोहराया है। बनर्जी ने 9 अगस्त को कोलकाता स्थित आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में एक चिकित्सक से बलात्कार और उसकी हत्या की घटना पर देशव्यापी आक्रोश के बाद इस मुद्दे पर कुछ दिन पहले भी मोदी को पत्र लिखा था। ममता ने मोदी को संबोधित पत्र में लिखा कि उनके द्वारा उठाए गए मुद्दे पर प्रधानमंत्री से अभी तक जवाब नहीं मिला है, लेकिन उन्हें केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री से एक पत्र प्राप्त हुआ है।