अपोलो हॉस्पिटल समूह आने वाले समय में बिना संक्रमण वाले रोगों (Non-communicable diseases-NCB) की रोकथाम के लिए फोकस कर रहा है। अपोलो हॉस्पिटल्स की कार्यकारी उपाध्यक्ष (Executive Vice Chairperson) प्रीता रेड्डी ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया कि आगे चलकर इस तरह के रोग दुनिया के लिए एक बड़ी चुनौती बनने जा रहे हैं।
रेड्डी ने कहा कि इस रोग से मरने वालों की संख्या में भी बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। कुछ वर्षों में ऐसा भी देखा गया है कि NCD करीब 65 फीसदी मौतों की वजह बन गया है, और यह 1990 के दशक के बाद से फिर से बढ़ रहा है। लेकिन, उन्होंने कहा, इस बीच आबादी भी बढ़ रही है और तनाव भी बढ़ा है।’
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, दुनियाभर में करीब 71 फीसदी मौतें NCB की वजह से हुईं हैं। और इसी के कारण ही भारत पर आर्थिक बोझ भी बढ़ने की उम्मीद है। ऐसा अनुमान है कि इसकी वजह से 2030 से पहले भारत पर लगभग 6.2 लाख करोड़ का आर्थिक बोझ हो सकता है।
रेड्डी ने कहा, ‘स्वास्थ्य जांच में 35 फीसदी का इजाफा हुआ है और यह अच्छी बात है कि लोग स्वास्थ्य जांच करा रहे हैं। इससे यह मालूम पड़ता है कि लोगों में जागरूकता फैल रही है। और मेरे लिए यह महत्वपूर्ण है। हमें बस लोगों के व्यवहार में बदलाव और रोकथाम पर ध्यान देना है।’
उन्होंने कहा कि NCD में बदलाव की एक वजह क्षेत्रीय आहार की वरीयताओं में भिन्नता भी है। अपोलो के एक अध्ययन ‘हेल्थ ऑफ नेशन 2023’ के अनुसार, लिवर की बीमारियां सबसे ज्यादा ( 50 फीसदी) पूर्वी भारत में देखी गई। इसका सबसे कम प्रभाव भारत के अन्य क्षेत्रों के मुकाबले दक्षिण में (28 फीसदी) देखा गया। इसी तरह, पश्चिम में मधुमेह (शुगर) की बीमारी सबसे कम (15 फीसदी) जबकि दक्षिण में सबसे ज्यादा (27 फीसदी) है। मोटापे की बात करें तो भारत के सभी क्षेत्रों में स्थिति समान है, जो 22-24 फीसदी के बीच है। वहीं, dyslipidemia (कोलेस्ट्रॉल) का प्रसार भी सभी क्षेत्रों में समान है। उत्तर भारत में सबसे अधिक (48 फीसदी), इसके बाद पश्चिम भारत में 41 फीसदी, पूर्वी भारत में 39 फीसदी, और फिर दक्षिण भारत में 37 प्रतिशत फीसदी कोलेस्ट्रॉल के मरीज हैं।
रेड्डी ने यह भी संकेत दिया कि अपोलो द्वारा ProHealth जैसे निवारक कार्यक्रम (preventive programs ) चलाए जा रहे हैं जो इन बीमारियों के निवारण की दिशा में एक पहल है।
अपोलो हॉस्पिटल्स के मुख्य कार्याधिकारी (CEO) सत्य श्रीराम ने कहा, ‘ऐसा देखा गया कि हमारे यहां की आबादी में 2019 और 2022 के बीच मोटापे की संख्या 8 फीसदी से बढ़कर 12 फीसदी हो गई है। यह वास्तव में इतने कम समय में एक बड़ी छलांग है। इसके अलावा, दूसरी जो सबसे तेज बढ़ने वाली बीमारी है वह है कोलेस्ट्रॉल। हमने देखा कि ऐसे मरीजों की संख्या 2019 में 32 फीसदी थी, जो बढ़कर 38 फीसदी हो गई है।’
श्रीराम ने कहा, ‘स्वास्थ्य जांच कैसी होनी चाहिए, इसके लिए हमने फिर से पूरी तरह नए सिरे से चीजों को डिजाइन किया है। हम में से हर एक व्यक्ति अलग है, हमारा पारिवारिक इतिहास या जेनेटिक्स भी अलग है। हमारा पर्सनल स्वास्थ्य अलग है। हमारे पास लाइफस्टाइल चुनने का विकल्प अलग है, हम में से प्रत्येक लोग व्यक्तिगत रूप से उन विकल्पों को चुनते हैं और इसके परिणामस्वरूप, यह जानना सबसे ज्यादा जरूरी है कि आपकी हेल्थ प्रोफाइल क्या है। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति की हेल्थ प्रोफाइल को हम कई प्रश्नों के माध्यम से समझते हैं। और फिर हम उस प्रोफाइल के लिए जरूरी जांच कराते हैं।