सर्वोच्च न्यायालय ने गुरुवार को कहा कि जिन खातों को 31 अगस्त तक एनपीए (गैर-निष्पादित आस्तियों) के तौर पर घोषित नहीं किया गया है, उन्हें फंसे कर्ज वाले खातों के तौर पर नहीं समझा जाएगा। इससे दबाव से जूझ रही उन कंपनियों को बड़ी राहत मिली है जो ऋण अदायगी को लेकर परेशान थीं, क्योंकि उनका नकदी प्रवाह अभी तक नहीं सुधरा है।
एयरलाइंस, होटलों और इस्पात क्षेत्रों की कई कंपनियों का नकदी प्रवाह अभी भी कोविड-पूर्व स्तर से 50-60 प्रतिशत नीचे है जिससे इसे लेकर आशंका बढ़ रही है कि इस महीने से बैंकों का ऋण चुकाने में चूक की स्थिति शुरू हो जाएगी, क्योंकि मोरेटोरियम (ऋण की ईएमआई स्थगन की सुविधा) समाप्त हो गई है। आरबीआई ने ऋण पुनर्गठन के सुझाव के लिए एक समिति बनाई है जो जल्द ही अपनी रिपोर्ट जारी करेगी।
एक निजी एयरलाइन के मुख्य कार्याधिकारी ने नाम नहीं बताने के अनुरोध के साथ कहा, ‘दुनियाभर की लगभग सभी सरकारें एयरलाइनों और होटलों तथा दबाव से जूझ रहीं अन्य कंपनियों को अरब डॉलरें के नकदी प्रोत्साहन मुहैया करा रही हैं जिससे वे अपने व्यवसायों को बरकरार रख सकें। भारत में, सरकार द्वारा अब तक किसी बड़े वित्तीय पैकेज की घोषणा नहीं की गई है। किसी पैकेज के बगैर, कई कंपनियां अपना परिचालन बंद कर सकती हैं।’
एक निजी एयरलाइन के मुख्य वित्तीय अधिकारी ने कहा कि फंसे कर्ज के वास्तविक मामलों का पुनर्गठन समय की मांग है, क्योंकि इससे व्यवस्था को पुन: तेजी लाने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि दो महीने की मोहलत एयरलाइनों के लिए ज्यादा उपयोगी नहीं है क्योंकि मांग करीब एक साल से ज्यादा समय तक धीमी बनी रह सकती है। उन्होंने कहा, ‘एयरलाइनों पर चूक से बचने का दबाव बना हुआ है। बैंकों को ऐसे वास्तविक मामलों की पहचान करनी चाहिए जिनमें लंबे समय तक मोरेटोरियम से कंपनी को अस्तित्व बचाए रखने में मदद मिलेगी। कंपनियां अपने ऋणदाताओं से द्विपक्षीय रूप से बात कर रही हैं और लंबी अवधि की भुगतान अवधि जैसे विभिन्न विकल्पों पर काम कर रही हैं।’ रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने हाल में कम लागत वाली स्पाइसजेट के अल्पावधि ऋणों की रेटिंग घटाई है। विमानन कंपनी के बिजनेस रिस्क प्रोफाइल में भारी दबाव को देखते हुए क्रिसिल ने उसकी रेटिंग में कमी की है।
एक होटल कंपनी के सीएफओ ने कहा, ‘एक एक बड़ी राहत है। यदि यह अदालती फैसला नहीं आता तो कई होटल एनपीए खाते में तब्दील हो जाते।’
ब्रांडेड होटल सेगमेंट में करीब 160,000 कमरे हैं। इनमें से 100,000 पर उन लोगों का स्वामित्व है जिनकी पूंजी तक पहुंच नहीं है और वे कर्ज से लदे हुए हैं। इनमें से कम से कम एक-तिहाई एनपीए बन जाते।
(साथ में अरिंदम मजूमदार)