केंद्र सरकार ने आज सर्वोच्च न्यायालय को बताया कि अमेरिकी शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट के बाद अदाणी समूह के शेयरों में गिरावट जैसे मामलों में निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए विशेषज्ञ समिति गठित करने के सुझाव पर उसे कोई आपत्ति नहीं है।
केंद्र की ओर से अदालत पहुंचे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि बाजार नियामक सेबी एवं अन्य एजेंसियां इस प्रकार की स्थितियों से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा सुझाई गई समिति के गठन पर कोई आपत्ति नहीं है।
मेहता ने कहा कि विशेषज्ञ समिति गठित करने के सर्वोच्च न्यायालय के सुझाव पर केंद्र सरकार को कोई आपत्ति नहीं है। लेकिन इससे अंतरराष्ट्रीय निवेशकों को अनजाने में संदेश जाएगा कि नियामक के अधिकारियों को निगरानी समिति की आवश्यकता है। इससे धन की आवक पर असर पड़ सकता है। उन्होंने कहा, ‘इसलिए हम विशेषज्ञों के नामों का सुझाव सीलबंद लिफाफे में दे सकते हैं क्योंकि खुली अदालत की सुनवाई के दौरान उन पर चर्चा करना उचित नहीं होगा। वे काफी सक्षम लोग हैं।’
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने सॉलिसिटर जनरल से शुक्रवार को अदालत आकर यह बताने के लिए कहा कि समिति क्या-क्या काम करेगी। इस पर सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि समिति के बारे में केंद्र बुधवार तक जानकारी दे देगा।
न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति पीएस नरसिंह और न्यायमूर्ति जेबी परदीवाला के पीठ ने कहा, ‘सॉलिसिटर जनरल मेहता ने बताया है कि केंद्र बुधवार तक अदालत को समिति के बारे में जानकारी दे देगा। समिति के कार्यक्षेत्र के बारे में जानकारी कोर्ट मास्टर के जरिये जमा करा दी जाएगी और याची को व्यक्तिगत तौर पर भी उसकी प्रति उपलब्ध कराई जाएगी।’
बाजार नियामक सेबी ने आज सर्वोच्च न्यायालय को एक पत्र सौंपा। इसमें मौजूदा वैधानिक व्यवस्था, स्थिर संचालन को प्रभावित करने वाले नियामकीय ढांचे और निवेशकों के हितों की सुरक्षा तथा शेयर भाव में उतार-चढ़ाव आदि के बारे में जानकारी दी गई है।
सेबी ने अदालत में दायर दो जनहित याचिकाओं के संदर्भ में कहा कि भाव में तेजी और हालिया गिरावट के दौरान जब समूह के शेयरों की अतिरिक्त निगरानी (एएसएम) बार-बार की जाने लगी तो सेबी द्वारा स्थापित सुरक्षा कवच खुद ही सक्रिय हो गए थे।
रॉयटर्स के अनुसार बाजार नियामक अदाणी समूह की प्रमुख कंपनी अदाणी एंटरप्राइजेज की 2.5 अरब डॉलर की शेयर बिक्री में खरीद-फरोख्त के तरीके, संभावित अनियमितताओं की जांच और बाजार की चाल का आकलन कर रहा है। शेयर मूल्य में भारी गिरावट के कारण अदाणी समूह को अपना एफपीओ वापस लेना पड़ा था।
रॉयटर्स के मुताबिक सेबी ने सर्वोच्च न्यायालय को जानकारी दी है कि मामले की जांच चल रही है। जानकारी में कहा गया है, ‘सेबी हिंडनबर्ग रिपोर्ट में लगाए गए आरोपों के साथ-साथ बाजार गतिविधि की जांच पहले से ही कर रहा है।’
सर्वोच्च न्यायाल ने शुक्रवार को अपनी पिछली सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार को विशेष समिति गठित करने का सुझाव दिया था ताकि सेबी को व्यापक अधिकार दिया जा सके। शीर्ष अदालत ने यह भी सुझाव दिया था कि इस समिति में प्रतिभूति संबंधी विभिन्न विषय विशेषज्ञों के साथ एक पूर्व न्यायाधीश अथवा एक अंतरराष्ट्रीय वित्तीय कानून विशेषज्ञ को भी शामिल किया जा सकता है।
अदालत ने कहा था, ‘हम सेबी को व्यापक भूमिका दे सकते हैं।’ अदालत ने कहा था कि समिति मौजूदा शक्तियों का विश्लेषण करते हुए उसमें सुधार के बारे में सुझाव दे सकती है ताकि पूंजी प्रवाह अधिक निर्बाध बन सके।
सर्वोच्च न्यायालय हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट के कारण निवेशकों को हुए नुकसान के संबंध में वकील एमएल शर्मा और विशाल तिवारी द्वारा दायर जनहित याचिकाओं की सुनवाई कर रहा था।