बैंकिंग हो, फाइनैंस हो या कॉरपोरेट का कोई भी क्षेत्र, हर जगह महिलाओं की बेमिसाल काबिलियत ने भारत की सामाजिक तस्वीर ही बदल दी है। जहां कभी पुरुषों की सत्ता काबिज थी, वहां अब महिलाओं का दबदबा कायम है। तमाम बड़ी कंपनियों के ऊंचे-ऊंचे पदों पर बैठ कर इन्होंने खुद को ही नहीं, इन कंपनियों को भी नई बुलंदियों पर पहुंचा दिया है।
कौन हैं कॉरपोरेट के चमकते सितारे
ऐसा नहीं है कि भारत में महिलाओं के नाम पर सिर्फ ऐश्वर्या राय और सोनिया गांधी ही याद आती हैं। भारत की बायोटेक क्वीन के नाम से पहचान बनाने वाली बेंगलुरु की किरण मजूमदार शॉ इस समय बायोकॉन की चेयरमैन और प्रबंध निदेशक हैं।
बेंगलुरु में 1978 में उन्होंने अपने गैराज में 10 हजार रुपये की पूंजी के साथ बायोकॉन इंडिया की शुरुआत की थी और 2004 में किरण भारत की सबसे अमीर महिला थीं। किरण मजूमदार की ही तरह भारत में कई और भी ऐसी कॉरपोरेट महिला शख्सियतें हैं, जिनके दम पर कंपनियां दिन-दुगनी और रात चौगुनी तरक्की करती हैं।
आईसीआईसीआई लिमिटेड की चंदना कोचर (संयुक्त प्रबंध निदेशक) की जिम्मेदारियों का चिट्ठा भी काफी लंबा है।
कंपनी के मुताबिक चंदना को वैश्विक कोष, प्रधान निवेश और कारोबार, आपदा प्रबंधन और कानूनी कार्यों की जिम्मदारी सौंपी गई है। न सिर्फ इतना, बल्कि उनके कंधों पर दिन-प्रतिदिन के कामों का संचालन और आंतरिक लेखा परीक्षण कार्य आदि शामिल हैं।
जिन्होंने लिखी नई दास्तां
हाल ही में एबीएन एम्रो इंडिया की कंट्री एग्जिक्यूटिव मीरा सयाल ने भी कॉरपोरेट क्षेत्र में अपने नाम को खूब जगह दिलाई। कंपनी के उपभोक्ता, व्यावसायिक और निवेश बैंकिंग जैसे क्षेत्रों में अपने काम के जरिये मीरा ने साबित कर दिया कि बैंकिंग सिर्फ पुरुषों का खेल नहीं।
न सिर्फ मीरा सयाल या किरण मजूमदार शॉ, बल्कि इंदिरा नुई, नैना लाल किदवई (एचएसबीसी इंडिया की समूह महाप्रबंधक और कंट्री हेड), रितु बेरी (फैशन डिजाइनर), रितु नंदा (चेयरमैन और मुख्य कार्यकारी अधिकरी एस्कोलाइफ), अखिला श्रीनिवासन (प्रबंध निदेशक, श्रीरात इन्वेस्टमेंट्स लिमिटेड), प्रिया पॉल (चेयरपर्सन, एपीजे सुरेंद्र पार्क होटल)
और हर वह महिला जो आज कॉरपोरेट में अपना मुकाम कायम करने के बारे में सोचती है उसने खुद को महिला शब्द से जुदा कर दिया है, लेकिन वह सिर्फ तब तक जब वे दफ्तर की चार-दीवारी में हो।
काम… काम… सिर्फ काम…!
इंदिरा नुई पेप्सीको की पहली महिला मुख्य कार्यकारी अधिकारी बनीं। जहां एक ओर महिलाओं के लिए इस तरह के जुमले इस्तेमाल किए जाते हैं कि शाम होते ही इन्हें घर सताने लगता है, वहीं इंदरा नुई के बारे में कहा जाता है कि वे एक दिन में 18 घंटे काम करती हैं।
इंदरा नुई की तरह ही कॉरपोरेट में जगह बनाने वाली हर महिला समय को कभी अपनी तरक्की के रास्ते में रोड़ा बनने नहीं देती।
हम भी हैं जोश में
इनके फैसलों के आगे अच्छे-अच्छे भी झुकते हैं, क्योंकि उनकी जिम्मेदारियां और उनके फैसलों पर ही कंपनी का भविष्य निर्भर करता है।
किरण मजूमदार शॉ
चेयरमैन और प्रबंध निदेशक
बायोकॉन, बेंगलुरु
– 2004 में भारत की सबसे अमीर महिला।
इंदरा नुई
मुख्य कार्यकारी अधिकारी
पेप्सीको
– 1994 में पेप्सीको की अध्यक्ष, 2001 में मुख्य वित्तीय अधिकारी और 2006 में मुख्य कार्यकारी अधिकारी।
चंदना कोचर
सयुंक्त प्रबंध निदेशक
आईसीआईसीआई लिमिटेड
– आईसीआईसीआई बैंक के रिटेल व्यापार को चमकाने में चंदना कोचर को बहुत अहम भूमिका रही है।
– अंतरराष्ट्रीय रिटेल बैंकर की ओर से इन्हें ग्लोबल अवॉर्ड 2006 के राइजिंग स्टार अवॉर्ड से नवाजा गया।