वित्त वर्ष 2021 में दबावग्रस्त परिसंपत्तियों से प्राप्तियों में 30 से 40 फीसदी कमी आने की आशंका है। ऐसा कोविड-19 महामारी और ऋणशोधन अक्षमता एवं दिवाला संहिता (आईबीसी) के तहत नई कार्यवाहियों के निलंबित होने के कारण है।
रेटिंग एजेंसी इक्रा के मुताबिक चालू वित्त वर्ष (वित्त वर्ष 2021) में वित्त ऋणदाता दबावग्रस्त परिसंपत्तियों से जो रकम वसूल करेंगे वह करीब 600 से 700 अरब रुपये होगी जो कि वित्त वर्ष 2020 के 1,000 अरब रुपये के मुकाबले कम है। कॉर्पोरेट दिवाला समाधान कार्यवाहियों (सीआईआरपी) का समाधान पर वित्त वर्ष 2021 में असर पड़ेगा। ऐसा समाधान योजना वाले सीआईआरपी की संख्या में कमी आने के साथ साथ बट्टे खातों में वृद्धि होने की वजह से है।
कम प्राप्तियों पर टिप्पणी करते हुए इक्रा के उपाध्यक्ष अभिषेक डाफरिया ने कहा महामारी ने समाधान प्रक्रिया में शामिल विभिन्न पक्षों के लिए नई परिचालन चुनौतियां पेश की है। ऐसे में विशेष तौर पर वित्त वर्ष 2021 की पहली तिमाही में समाधान योजना तक पहुंचने वाले मामलों की संख्या सीमित रह सकती है।
वित्त वर्ष 2020 में बड़े आकार वाली गैर निष्पादित आस्तियों का सफलतापूर्वक सीआईआरपी के तहत समाधान हुआ था। एक बड़ी आवास वित्त कंपनी का सफलतापूर्वक समाधान यह निर्धारित करने में बड़ी भूमिका निभाएगा कि चालू वित्त वर्ष में वित्त ऋणदाताओं को कितनी रकम की वसूली हो पाएगी।
रेटिंग एजेंसी ने कहा कि समाधान योजनाओं से प्राप्तियों पर अगले वित्त वर्ष (वित्त वर्ष 2022) में भी असर पड़ सकता है क्योंकि नए दिवाला कार्यवाहियों को एक साल के लिए निलंबित कर दिया गया है। नई दिवाला कार्यवाही जो वित्त वर्ष 2022 में शुरू होगी उसका उसी वित्त वर्ष में पूर्ण होना मुश्किल है क्योंकि समाधान योजना को पूरा करने में सीआईआरपी को लगने वाला विशेष औसत समय काफी ज्यादा है। एक सीआईआरपी को सफलतापूर्वक पूरा करने के लिए लगने वाले जरूरी समय में भी इजाफा होगा। लॉकडाउन अवधि के अलावा, ऋणदाताओं को आवश्?यक तैयारी के लिए बोलीदाताओं को अतिरिक्त समय मुहैया कराने की आवश्यकता है। इक्रा ने कहा कि साथ ही, असंतोषजनक बोली परिणामों की स्थिति उत्पन्न होने पर बोली की समय सीमा या अगले चरण की बोली के लिए समय में विस्तार देना पड़ सकता है।