तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने शुक्रवार को राज्य के लोगों के लिए 2,000 रुपये की कोविड-19 महामारी राहत राशि, आविन दूध के दाम में कटौती और सरकारी परिवहन बसों में महिलाओं के लिए नि:शुल्क यात्रा की घोषणा की। उनकी पार्टी द्रमुक ने 6 अप्रैल को हुए विधानसभा चुनाव में ये सभी वादे किए थे। एक आधिकारिक विज्ञप्ति में यहां कहा गया कि मुख्यमंत्री के तौर पर कार्यभार संभालने के बाद पहला आदेश जारी करते हुए स्टालिन ने निजी अस्पतालों में कोरानावायरस के इलाज को सरकारी बीमा योजना के दायरे में लाने की भी घोषणा की ताकि ऐसे लोगों को राहत मिल सके।
दिल्ली को हर दिन मिले ऑक्सीजन
उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को केंद्र को स्पष्ट कर दिया कि उसे शीर्ष अदालत के अगले आदेश तक रोजाना दिल्ली को 700 टन ऑक्सीजन की आपूर्ति जारी रखनी होगी। साथ ही न्यायालय ने कहा कि इस पर अमल होना ही चाहिए तथा इसके अनुपालन में कोताही उसे ‘सख्ती’ करने पर मजबूर करेगी। दो दिन पहले, शीर्ष अदालत ने दिल्ली को कोविड के मरीजों के लिए 700 टन ऑक्सीजन की आपूर्ति के निर्देश का अनुपालन नहीं करने पर केंद्र सरकार के अधिकारियों के खिलाफ दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा शुरू की गई अवमानना की कार्यवाही पर यह कहते हुए रोक लगा दी थी कि ‘अधिकारियों को जेल में डालने से’ ऑक्सीजन नहीं आएगी और प्रयास जिंदगियों को बचाने के लिए किए जाने चाहिए। हालांकि, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एम आर शाह के पीठ ने कहा कि केंद्र को राष्ट्रीय राजधानी को हर दिन 700 टन तरल चिकित्सीय ऑक्सीजन (एलएमओ) की आपूर्ति सुनिश्चित करनी होगी।
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये हुई कार्यवाही में दिल्ली सरकार की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता राहुल मेहरा ने शुक्रवार को पीठ को बताया कि राष्ट्रीय राजधानी को ‘आज सुबह नौ बजे तक 86 मीट्रिक टन ऑक्सीजन मिली और 16 मीट्रिक टन मार्ग में है।’ पीठ ने कहा, ‘हम चाहते हैं कि दिल्ली को हर दिन 700 टन ऑक्सीजन की आपूर्ति की जाए और यह होना ही चाहिए, हमें उस स्थिति में आने पर मजबूर न करें जहां हमें सख्त होना पड़े।’ भाषा
हस्तक्षेप से इनकार
उच्चतम न्यायालय ने केंद्र को कोविड-19 मरीजों के इलाज के वास्ते राज्य के लिए ऑक्सीजन का आवंटन 965 टन से बढ़ाकर 1,200 टन करने का निर्देश देने वाले कर्नाटक उच्च न्यायालय के आदेश में हस्तक्षेप से शुक्रवार को इनकार कर दिया। मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एम आर शाह के पीठ ने कहा कि 5 मई का उच्च न्यायालय का आदेश जांचा-परखा और शक्ति का विवेकपूर्ण प्रयोग करते हुए दिया गया है। शीर्ष अदालत ने केंद्र की उस दलील को स्वीकार करने से इनकार कर दिया कि अगर प्रत्येक उच्च न्यायालय ऑक्सीजन आवंटन करने के लिए आदेश पारित करने लगा तो इससे देश के आपूर्ति नेटवर्क के लिए परेशानी खड़ी हो जाएगी।