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नई किस्म की जांच के लिए आरटी-पीसीआर किट में बदलाव

Last Updated- December 12, 2022 | 7:37 AM IST

सार्स-सीओवी-2 विषाणु के म्यूटेशन में बढ़ोतरी की वजह से रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन पॉलिमरेज चेन रिएक्शन (आरटी-पीसीआर) टेस्ट किट के निर्माता अब अपने किट को जांच में ज्यादा बेहतर बनाने और जांच नमूनों से म्यूटेंट स्ट्रेन की पहचान करने में सक्षम बनाने पर काम कर रहे हैं। देश के प्रमुख शोध संस्थान भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) को इस संबंध में किट निर्माताओं से प्रस्ताव मिलने शुरू हो चुके हैं।
आईसीएमआर की उप महानिदेशक निवेदिता गुप्ता ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘आरटी पीसीआर बनाने वाले पहले ही अलग तरह के किट ला रहे हैं। इस पर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की एक सलाह है कि कुछ किट हैं जो एस जीन (स्पाइक प्रोटीन) की पहचान नहीं कर पाते हैं और तब हमें म्यूटेंट स्ट्रेन का पता चलता है।’
वह कहती हैं, ‘ब्रिटेन के विषाणु स्ट्रेन में उन्होंने देखा कि प्रयोगशाला में एस-जीन का अंदाजा नहीं मिल पाया और सार्स-सीओवी-2 के ब्रिटेन के स्ट्रेन के नमूने करीब 92.93 फीसदी के करीब है। अगर आरटी-पीसीआर किट में एस जीन का पता नहीं चल पाता है इसका मतलब यह है कि हमें म्यूटेंट स्ट्रेन से बचाव के लिए तैयार रहना होगा।’ गुप्ता कहते हैं, ‘किट निर्माता भी किट में थोड़ा बदलाव ला रहे हैं और वे सत्यापन के लिए हमारे पास आने लगे हैं।’ पुणे के माइलैब ने पिछले साल मार्च में स्वदेशी आरटी-पीसीआर किट की पेशकश की थी और उसका कहना था कि उनकी मौजूदा जांच में पहले से ही सभी प्रमुख स्ट्रेन की पहचान की जाती है। कंपनी के एक प्रवक्ता ने कहा, ‘हम ऐसी जांच पर काम कर रहे हैं जिससे कि हम विषाणु की विभिन्न किस्मों में अंतर का पता कर सकें।’ उन्होंने कहा कि अभी तक उन्हें आईसीएमआर से ऐसा कोई नोट नहीं मिला है जिससे उनके जांच किट में बदलाव की शुरुआत की जा सके।
एक भारतीय किट निर्माता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि किट में बदलाव लाना कोई मुश्किल काम नहीं है लेकिन इसका कोई कॉमर्शियल आधार होना चाहिए। उस सूत्र ने कहा, ‘जब हम अपने वेंडरों से पुर्जे का ऑर्डर करते हैं तब कीमत मात्रा पर निर्भर होती है। हालांकि अभी तक बदलाव वाले आरटी-पीसीआर किट की ज्यादा मांग नहीं है। स्रोत ने कहा, ‘अगर कोई मौजूदा किट में कोई और जांच जोड़ता है तो लागत बढ़ जाती है और ऐसे में जांच प्रयोगशाला चेन इन्हें खरीदने के लिए दिलचस्पी नहीं दिखा सकती हैं।’ इस बीच, ट्रांसएशिया किट बनाने का संयंत्र शुरू करने के लिए तैयार है और यह अपनी किट के सुधार पर काम कर रहा है। ट्रांसएशिया-एर्बा समूह के मुख्य प्रबंध अधिकारी (सीएमडी) सुरेश वाजिरानी का कहना है, ‘फि लहाल आरटी पीसीआर जांच से म्यूटेंट का पता लग सकता है लेकिन सभी म्यूटेंट स्ट्रेन का पता लगाने में सक्षम होने के लिए हमें जांच को और बेहतर करना होगा। हम पहले से ही ऐसा कर रहे हैं और इसे जल्द ही लॉन्च करेंगे।’ वाजिरानी कहते हैं कि आरटी पीसीआर जांच डीएनए की मात्रा को बढ़ाते हैं ताकि इसे मापा जा सके। वह कहते हैं, ‘ज्यादातर किट को अब डीएनए की 1,000 प्रतियों की जरूरत पड़ती है ताकि वायरस का पता लगाया जा सके। अगर हम चाहते हैं कि सभी म्यूटेंट का पता चले तब हमें इसे 100 प्रति के स्तर तक लाने की जरूरत है।’ एक डायग्नॉस्टिक लैब के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि उनके लिए नए बदलाव वाले किट पर कोई फैसला लेना जल्दबाजी होगी।
आईसीएमआर पहले ही कह चुका है कि उसे दो नई किस्म एन440के और ई484क्यू मिले हैं। अमेरिका के फू ड ऐंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (यूएसएफ डीए) ने हाल ही में जांच किट निर्माताओं से कहा है कि वे सार्स-सीओवी-2 विषाणु के सार्वजनिक रूप से उपलब्ध जीनोम अनुक्रम के साथ समय-समय पर आरटी पीसीआर किट की जांच के अनुक्रम को भी मिला कर देखें। नियमित निगरानी की सिफ ारिश की जाती है ताकि यह देखा जा सके कि म्यूटेशन का जांच किट पर क्या प्रभाव पड़ेगा। गुप्ता ने कहा कि आईसीएमआर ने कभी भी एक जीन आधारित जांच किट की वकालत नहीं करता है। वह आगे कहती हैं, ‘विचार यह है कि एक आरटी पीसीआर किट में कई जीन को लक्षित किया जाए जो विभिन्न स्ट्रेन का पता लगाने का बेहतर विकल्प साबित होगा।’ क्या एक आरटी पीसीआर जांच किट से सैद्धांतिक रूप से कोई म्यूटेंट स्ट्रेन छूट भी सकता है? अनुबंध अनुसंधान और आनुवंशिक जांच के लिए जीनोमिक्स सेवाएं प्रदान करने वाली डीप टेक कंपनी, क्लेवरजीन के सह-संस्थापक और सीईओ (मुख्य कार्यकारी अधिकारी) टोनी जोस ने कहा कि मौजूदा आरटी-पीसीआर में उन जांच का इस्तेमाल किया जा रहा है जो चीन के वुहान वाले वायरस के स्ट्रेन के सिक्वेंस पर आधारित है। जोस का दावा है, ‘उसके बाद काफी म्यूटेशन हुआ है। ऐसा भी हो सकता है कि आरटी-पीसीआर जांच वाली जगह भी कुछ म्यूटेशन हुआ हो। किसी भी म्यूटेंट स्ट्रेन की जांच वाले किट में एक से अधिक जांच हो सकती है। अगर आरटी पीसीआर जांच में म्यूटेंट स्ट्रेन का पता नहीं चल पाता है तब कोविड-19 से संक्रमित व्यक्ति की जांच के नतीजे निगेटिव भी हो सकते हैं।’ क्लेवरजीन ने पहले से ही वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं और यह म्यूटेंट स्ट्रेन (जीनोम अनुक्रमण के माध्यम से) की पहचान करने पर काम कर रहा है जिसका टीकों पर या मौजूदा आरटी-पीसीआर जांच पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। गुप्ता भी मानते हैं कि आरटी-पीसीआर जांच की वैधता की दर 70 फीसदी है जो कोविड-19 की जांच के लिए सबसे बेहतर मानक स्तर है। वह कहती हैं, ‘सबसे बेहतर जांच में भी 70 प्रतिशत तक की पुष्टि होती है तो इसका अर्थ यह है कि निश्चित रूप से इसमें नमूने की गुणवत्ता और जांच करने वाले के प्रशिक्षित होने से जुड़ी दिक्कतें भी होंगी।’

First Published - March 1, 2021 | 11:20 PM IST

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