रेल भूमि विकास प्राधिकरण (आरएलडीए) ने अब तक 24 भूखंडों की नीलामी से 1,867 करोड़ रुपये का पट्टा प्रीमियम हासिल किया है। इन भूखंडों के लिए कुल आरक्षित मूल्य 1,473 करोड़ रुपये था। फिलहाल आरएलडीए मुद्रीकरण के लिए सात वाणिज्यिक स्थानों और अन्य सात बहुआयामी परिसरों की पेशकश कर रहा है।
मामले के जानकार अधिकारियों के मुताबिक दिल्ली में अशोक विहार भूखंड और चेन्नई में पाड़ी भूखंड अब तक सबसे अधिक रकम दिलाने वाले भूखंड रहे। गोदरेज प्रोपर्टीज ने 1,359 करोड़ रुपये चुकाकर अशोक विहार का भूखंड खरीदा जबकि कपड़े की बड़ी कंपनी पोथीज ने 43 करोड़ रुपये में चेन्नई में पाड़ी का भूखंड अपने नाम किया। आरएलडीए के प्रतिवेदन के मुताबिक पाड़ी की जमीन वाणिज्यिक उपयोग के लिए उपयुक्त है जबकि अशोक विहार की जमीन का उपयोग वाणिज्यिक, आवासीय और मिश्रित उपयोग के लिए किया जा सकता है।
बिजनेस स्टैंडर्ड के सवालों के जवाब में आरएलडीए ने कहा कि उसके पास फिलहाल 84 वाणिज्यिक आवासीय स्थल, 84 रेलवे कॉलोनी पुनर्विकास कार्य और रेलवे स्टेशनों के 62 पुनर्विकास कार्य हैं। इसके अलावा आरएलडीए 123 बहुआयामी परिसरों का कार्य देख भी देख रहा है जिनमें से 55 को पहले ही पट्टे पर दिया जा चुका है।
अधिकारी कहते हैं कि आरएलडीए द्वारा मुद्रीकरण किए जाने वाली संपत्तियों का निर्णय रेलवे बोर्ड ने लिया है। आरएलडीए रेलवे की जमीन के विकास के लिए रेल मंत्रालय के तहत एक सांविधिक प्राधिकरण है। विकास योजना के हिस्से के तौर पर प्राधिकरण के चार प्रमुख कार्य हैं- वाणिज्यिक स्थलों को पट्टे पर देना, कॉलोनी का पुनर्विकास करना, स्टेशन पुनर्विकास और बहुआयामी परिसर।
एक अनुमान के मुताबिक पूरे देश में रेलवे के पास करीब 43,000 हेक्टेयर जमीन खाली पड़ी है। आरएलडीए वाणिज्यिक विकास के लिए जमीन 45 वर्ष तक के पट्टे पर और आवासीय विकास के लिए 90 वर्ष तक के पट्टे पर देता है।
आरएलडीए का गठन 2007 में किया गया था। मुकदमेबाजी और कब्जों के कारण आरएलडीए को अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करने में मुश्किलों से गुजरना पड़ा है। आरएलडीए को राज्य सरकारों के विरोध का भी सामना करना पड़ता है जो नहीं चाहते कि शहरों के बीच स्थित बड़े बड़े आकर्षक भूखंड उनके हाथों से चला जाए।
जुलाई 2018 में भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (सीएजी) ने आरएलडीए द्वारा वाणिज्यिक उपयोग के लिए रेलवे की जमीन के विकास में देरी पर नराजगी जताई थी। उसने सिफारिश की थी कि रेलवे भूमि उपयोग में बदलाव और खुला क्षेत्र आरक्षित करने के लिए संबंधित राज्य सरकारों से मंजूरी लेने के लिए समय पर कार्रवाई कर सकता है। रेलवे राज्य सरकारों के साथ चर्चा कर जमीन के उपयोग में बदलाव करने पर उसके कानूनी परिणामों का भी परिक्षण कर सकता है।
सीएजी की उस नाराजगी के बाद आरएलडीए के प्रयासों में कुछ तेजी देखी जा रही है।
