केंद्र सरकार को उम्मीद है कि भारतीय भाषाओं में एकीकृत ई-कॉमर्स ऐप्लीकेशन अगले 2 साल में आ जाएगा, जिसमें डिजिटल कॉमर्स के लिए ओपन नेटवर्क (ओएनडीसी) का इस्तेमाल होगा। इससे डिजिटल कॉमर्स प्लेटफॉर्म का मानकीकरण होगा और ई-कॉमर्स के एकाधिकार पर लगाम लगेगी।
उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) के ओएनडीसी का लक्ष्य मौजूदा डिजिटल कॉमर्स मॉडल से अलग जाना है। इससे खरीदारों व विक्रेताओं को उनके द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे प्लेटफॉर्म से निरपेक्ष होकर कारोबार करने की अनुमति मिलेगी। एक अधिकारी ने कहा, ‘किसी परियोजना को लागू करने में 3 साल लगते हैं। हमने प्रायोगिक परियोजना पूरी करने के लिए पहले ही 1 साल लगा दिए हैं। अगले 2 साल में तमाम स्थानीय ऐप आ रहे हैं, जिसमें ओएनडीसी आर्किटेक्चर का इस्तेमाल होगा।’ उन्होंने कहा कि यह भारत की भौगोलिक सीमाओं तक सीमित नहीं रहेगा।
अधिकारी ने कहा, ‘जिस तरह से यूपीआई अब वैश्विक हो रहा है, ओएनडीसी के अग्रणी अब आगे बढ़ेंगे और पूरी दुनिया में यह आर्किटेक्चर मुहैया कराएंगे। इससे अपने स्टार्टअप चलाने वालों के लिए व्यापक अवसर मिलेगा और पूरी दुनिया को यह सॉल्यूशंस मुहैया करा सकेंगे।’
यूनीफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) ने डिजिटल भुगतान के क्षेत्र में हस्तक्षेप किया है, उसी तरह से ओएनडीसी ई-कॉमर्स के करने जा रहा है। इसका मकसद डिजिटल कॉमर्स का लोकतंत्रीकरण करना और एमेजॉन, फ्लिपकार्ट जैसे प्लेटफॉर्म केंद्रित मॉडलों से इतर ओपन नेटवर्क की ओर जाना है।
इससे कारोबारियों व ग्राहकों को एकल नेटवर्क का एकाधिकार तोडऩे की ताकत मिलेगी और खुदरा सामान से लेकर खाद्य और मोबिलिटी तक सभी कारोबार में बदलाव आएगा।
एक बार जब खुदरा कारोबारी अपने उत्पादों या सेवाओं की सूची ओएनडीसी के ओपन प्रोटोकॉल का इस्तेमाल करके बना लेंगे, ई-कॉमर्स प्लेफॉर्म पर ग्राहक इसकी तलाश कर सकेंगे, जिसमें इसी प्रोटोकॉल का पालन किया जाएगा।
इस व्यवस्था में किसी उत्पाद की तलाश कर रहे ग्राहक विक्रेता का लोकेशन देख सकेंगे और वे पड़ोस की दुकान से खरीदारी का विकल्प चुन सकते हैं, जिससे ई-कॉमर्स कंपनी की तुलना में उन्हें तेजी से सामान की डिलिवरी हो सकेगी। इससे किराना जैसे सामान की नजदीकी दुकान से डिलिवरी विक्रेताओं से सीधे ग्राहकों को हो सकेगी।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने 17 दिसंबर से 19 दिसंबर के बीच हैकाथन का आयोजन किया, जिसमें पेटीएम, गोफ्रूगल, ग्रोथ फाल्कॉन, जसपे, गुडबुक और डुंजो जैसी डिजिटल कॉमर्स कंपनियां शामिल हुईं।
डीपीआईआईटी के एक अधिकारी ने कहा, ‘एक मॉक ट्रांजैक्शन सफलता पूर्वक पूरा किया गया, जिसमें पेटीएम ने खरीदार के रूप में, ग्रोथ फाल्कॉन ने विक्रेता और गुडबॉक्स ने लॉजिस्टिक्स प्रोवाइडर के रूप में काम किया। हम इस अवधारणा का परीक्षण करना चाहते थे, जिसे सफलतापूर्वक किया गया।’
स्टार्टअप इंडिया के तहत डीपीआईआईटी अब 7 से 9 जनवरी के बीच एक और हैकाथन का आयोजन करने जा रहा है, जहां वह स्टार्टअप को आमंत्रित करेगा और सभी प्रमुख ई-कॉमर्स कारोबारी इस अवधारणा का परीक्षण करेंगे।
उन्होंने कहा, ‘हमने तकनीक बनाना शुरू कर दिया है। इसके साक्ष्य पहले ही हैं। अब हम ई-कॉमर्स कंपनियों को कहेंगे कि वे अपने तंत्र को इसके अनुकूल बनाएं और लेन-देन का काम शुरू करें।’
बहरहाल अधिकारी ने कहा कि यह कल्पना करना गलत होगा कि ओएनडीसी से मौजूदा ई-कॉमर्स कारोबारियों जैसे एमेजॉन और फ्लिपकार्ट के कारोबार में व्यवधान होगा। उन्होंने कहा, ‘हम किसी व्यवधान की कोशिश नहीं कर रहे हैं। हम स्थानीय किराना दुकानों में और हिस्सेदारी सुनिश्चित करना चाहते हैं। इससे भारतीय भाषाओं में स्थानीकृत ई-कॉमर्स को व्यापक तौर पर बढ़ावा मिलेगा। बड़ी ई-कॉमर्स कंपनियों की यूएसपी बनी रहेगी। आप जो सामान स्थानीय बाजार में नहीं पाते हैं, बड़े ई-कॉमर्स कारोबारियों से खरीद सकते हैं। कुल मिलाकर बाजार की ताकतें तय करेंगी कि विजेता कौन होगा।’
