मनरेगा के तहत प्रत्येक परिवार को 100 दिनों का रोजगार देने की गारंटी है लेकिन अब तक 100 दिन के रोजगार का सृजन दूर की बात ही रही है। दूसरी तरफ इसके तहत गारंटी शुदा कार्यदिवसों की संख्या बढ़ाने की मांग की जा रही है।
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने हाल ही में मोदी सरकार की इस बात को लेकर आलोचना की थी कि वह प्रत्येक परिवार के लिए कार्य दिवसों की संख्या 100 दिनों से बढ़ाकर 200 दिन करने की मांग पर कोई ध्यान नहीं दे रही है।
विगत चार वर्षों में से एक केवल एक साल प्रत्येक परिवार के लिए औसत कार्यदिवस की संख्या 50 दिनों के पार गई है।
इस वित्त वर्ष में 9 जून की दोपहर तक मुहैया कराये गए औसत कार्यदिवस 18 दिनों से थोड़ा ही ऊपर है। पिछले चार वर्षों में 2018-19 को छोड़कर ज्यादातर यह 50 दिनों से कम ही रही है। झारखंड के गोड्डा क्षेत्र के प्रवासी मजदूर मोहम्मद गुलजार से मनरेगा के तहत रोजगार की स्थिति के बारे में पूछने पर अपने गांव के पंचायत की ओर से मुहैया कराए जाने वाले मनरेगा के काम को लेकर अपना दर्द कुछ इस प्रकार बयां किया, ‘मजबूरी में बाहर जाना पड़ता है। अगर यहां काम मिलेगा तो क्यों बाहर जाएंगे। बाहर में कितना मुश्लिक होता है, ये हम लोग जानते हैं।’
वर्ष 2018-19 में इस योजना के तहत प्रत्येक परिवार को मुहैया कराई गई औसत कार्यदिवसों की संख्या 50.88 रही थी। उस साल देश के कुछ हिस्सों में सूखा पड़ा था।
उल्लेखनीय है कि यह प्रत्येक परिवार के लिए औसत कार्यदिवस है और इसका विश्लेषण सावधानी पूर्वक किया जाना चाहिए क्योंकि कुछ परिवारों को औसत से ज्यादा दिन काम मिले तो कुछ को औसत से कम दिन।
साथ ही, औसत की गणना जॉब कार्डधारक परिवारों और काम पाने में सक्रियता के आधार पर किया जाता है न कि काम की मांग करने वाले परिवारों के आधार पर। उदाहरण के लिए चालू वित्त वर्ष में अब तक 14.48 करोड़ लोगों ने जॉब कार्ड पाने के लिए आवेदन किया है, लेकिन केवल 13.81 करोड़ लोगों को ही यह मिला है। इनमें से केवल 7.88 करोड़ ही सक्रिय जॉब कार्ड वाले परिवार हैं। सक्रिय जॉब कार्ड का मतलब होता है कि किसी परिवार में इसको रखने वाले व्यक्ति ने पिछले चार वर्ष में से किसी भी वर्ष कम से कम एक दिन के लिए काम किया है।
विशेषज्ञ कहते हैं कि चालू वित्त वर्ष में अब तक औसतन मुहैया कराए गए कार्यदिवसों की संख्या 18 से थोड़ा अधिक है, यह महज शुरुआत है क्योंकि देशभर में मॉनसून आने के बाद काम की मांग में कई गुना बढ़ोतरी होगी। वे कहते हैं तब मांग के हिसाब से 100 दिन भी कम पड़ जाएंगे।