आपकी राजमार्गों पर यात्रा अब थोड़ी सुगम हो गई है। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने आज कहा कि उसने फास्टैग वालेट में न्यूनतम राशि रखने की जरूरत को खत्म कर दिया है। इस कदम का मकसद इलेक्ट्रॉनिक टोल प्लाजा पर बाधारहित आवाजाही सुनिश्चित करना है।
एनएचएआई ने एक बयान में कहा है, ‘फास्टैग की पहुंच बढ़ाने और यातायात की बाधारहित आवाजाही सुनिश्चित करने, टोल प्लाजा पर देरी से बचने के लिए एनएचएआई ने फास्टैग खाते/वालेट में अनिवार्य राशि रखने की शर्त खत्म करने का फैसला किया गया है, जिसका भुगतान उपभोक्ता द्वारा सिक्योरिटी जमा के अतिरिक्त यात्री सेग्मेंट (कार, जीप, वैन) में किया जाता था।’
इसमें कहा गया है कि फास्टैग जारी करने वाले बैंक अपनी तरफ से फास्टैग खाते में कुछ राशि अनिवार्य कर रहे हैं, जो सिक्योरिटी जमा राशि के अतिरिक्त है। बयान में कहा गया है कि इसकी वजह से तमाम फास्टैग उपभोक्ताओं को टोल प्लाजा से गुजरने नहीं दिया जाता, भले ही उनके फास्टैग वालेट में पर्याप्त धनराशि हो, जिसके परिणामस्वरूप टोल प्लाजा पर अनावश्यक व्यवधान होता है और टोल प्लाजा पर देरी होती है।
बयान में कहा गया है कि अब यह फैसला किया गया है कि अगर फास्टैग खाते में बैलेंस ऋणात्मक नहीं है तो उपभोक्ता को टोल प्लाजा से होकर गुजरने दिया जाएगा।
टोल प्लाजा पार करने के बाद अगर बैलेंस ऋणात्मक हो जाता है तो बैंक उस राशि की वसूली सिक्योरिटी जमा से कर सकेंगे, जिसकी भरपाई अगले रिचार्ज के समय हो जाएगी।
2.54 करोड़ उपभोक्ताओं में फास्टैग की हिस्सेदारी कुल टोल संग्रह में 80 प्रतिशत है। फास्टैग से रोजाना का टोल संग्रह 89 करोड़ रुपये के आंकड़े को पार कर चुका है।
टोल प्लाजा पर फास्टैग के माध्यम से भुगतान 15 फरवरी से अनिवार्य हो गया है, ऐसे में एनएचएआई ने देश भर के टोल प्लाजा पर 100 प्रतिशत नकदीरहित टोल संग्रह का लक्ष्य रखा है।