सस्ते खाद्यतेलों के देश में बढ़ते आयात के बीच मंगलवार को दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में खाद्य तेल तिलहन कीमतों में कारोबार का मिला जुला रुख देखने को मिला। सरसों एवं मूंगफली तथा सोयाबीन डीगम तेल छोड़कर सोयाबीन तेल तिलहन कीमतों में जहां मामूली सुधार आया वहीं सोयाबीन डीगम तेल, कच्चा पामतेल (सीपीओ), पामोलीन और बिनौला तेल के भाव पूर्वस्तर पर बंद हुए। सोमवार को सरसों और मूंगफली तेल तिलहन के दाम में पर्याप्त सुधार देखने को मिला था। तिलहन कारोबार के सूत्रों ने कहा कि मलेशिया और शिकागो एक्सचेंज में ज्यादा घट बढ़ नहीं है।
उन्होंने कहा कि जून 2023 में आयात करने के लिए विदेशों से लगभग 14 लाख टन खाद्यतेल की लदान हुई है जो जुलाई में आयेगा। देश के किसानों के पिछले साल का सोयाबीन अभी तक खपना बाकी है। इसके अलावा अफ्रीकी देशों से सोयाबीन बीज (तिलहन) 4,800-5,000 रुपये क्विन्टल के भाव आयात हो रहा है। जो देशी खाद्यतेल तिलहन को और खपने नहीं देने की स्थिति पैदा करेगा।
देश के तिलहन उत्पादन को बचाने और किसानों के हौसले को बुलंद करने के लिए सरकार को फौरी कार्रवाई करते हुए सस्ते आयात पर अंकुश लगाने के बारे में सोचना चाहिये क्योंकि देश की तेल मिलें पूरी ताकत से चलने में असमर्थ हो रही हैं और कई तेल पेराई मिलें बंद हो चुकी हैं।
उन्होंने कहा कि सस्ता आयातित तेल हमारे फायदे के बजाय लंबा नुकसान दे सकता है और किसान तिलहन खेती से हतोत्साहित हो सकते हैं जो खरीफ तिलहन बुवाई के रकबे में आई कमी से स्पष्ट है। सूत्रों ने कहा कि एनसीडीईएक्स के वायदा कारोबार में बिनौला खली (मवेशी आहार से लिए सबसे अधिक खल उपलब्ध कराने वाला तिलहन) के जुलाई अनुबंध का भाव 2,400 रुपये क्विन्टल है। नवंबर दिसंबर में कपास की फसल आती है और आम तौर पर वायदा कारोबार में उस दौरान हाजिर भाव के मुकाबले बिनौला खली का भाव लगभग 10 प्रतिशत सस्ता होता था।
लेकिन इस बार कपास खेती के रकबे में गिरावट को देखते हुए सट्टेबाजों ने बिनौला खली के दिसंबर अनुबंध का भाव सस्ता करने की जगह चार प्रतिशत बढ़ाकर 2,505 रुपये क्विन्टल कर दिया है। अकेले महाराष्ट्र में ही कपास खेती का रकबा घटकर 28,11,255 हेक्टेयर रह गया है।
सूत्रों ने कहा कि तेल तिलहन के संबंध में मौजूदा नीतियां, तिलहन किसानों, देश के खाद्यतेल उद्योग, भविष्य में आत्मनिर्भरता हसिल करने के प्रयासों को नुकसान पहुंचायेगा। इस संभावित प्रतिकूल स्थिति के लिए तेल संगठनों को भी जिम्मेदार ठहराया जा सकता है जिन्होंने समय रहते देश के तेल तिलहन उद्योग की जरुरतों और हितों के पक्ष में पुरजोर आवाज नहीं उठायी कि वे सस्ते आयात के कारण किस कदर खस्ताहाल हो रहे हैं।
मंगलवार को तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे: सरसों तिलहन – 5,400-5,450 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये प्रति क्विंटल। मूंगफली – 7,000-7,050 रुपये प्रति क्विंटल। मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) – 17,200 रुपये प्रति क्विंटल। मूंगफली रिफाइंड तेल 2,490-2,765 रुपये प्रति टिन। सरसों तेल दादरी- 10,500 रुपये प्रति क्विंटल। सरसों पक्की घानी- 1,750 -1,830 रुपये प्रति टिन। सरसों कच्ची घानी- 1,750 -1,860 रुपये प्रति टिन। तिल तेल मिल डिलिवरी – 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल। सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 10,300 रुपये प्रति क्विंटल। सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 10,050 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 8,500 रुपये प्रति क्विंटल। सीपीओ एक्स-कांडला- 8,100 रुपये प्रति क्विंटल। बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 9,200 रुपये प्रति क्विंटल। पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 9,550 रुपये प्रति क्विंटल। पामोलिन एक्स- कांडला- 8,550 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल। सोयाबीन दाना – 5,030-5,125 रुपये प्रति क्विंटल। सोयाबीन लूज- 4,795-4,890 रुपये प्रति क्विंटल। मक्का खल (सरिस्का)- 4,015 रुपये प्रति क्विंटल।