कारोबार को सुचारु ढंग से चलाने के लिए जूझ रही भारतीय विमानन कंपनियों ने केंद्र और राज्य सरकारों से हवाई यात्रियों के लिए कोविड नेगेटिव रिपोर्ट की जरूरत को खत्म करने का अनुरोध किया है। कई राज्यों ने अपने यहां आने वाले विमानन यात्रियों के लिए कोविड नेगेटिव रिपोर्ट अनिवार्य कर रखी है। विमानन कंपनियों का कहना है कि इसकी जगह यात्रियों से चिकित्सक द्वारा उड़ान के लिए उपयुक्त (फिट टू फ्लाई) प्रमाणपत्र की मांग की जा सकती है।
निजी विमानन कंपनियों और सार्वजनिक विमानन कंपनी एयर इंडिया के अधिकारियों ने नागर विमानन मंत्रालय और राज्य सरकारों से इस तरह का अनुरोध किया है। विमानन कंपनियों का तर्क है कि देश के किसी भी महानगर में आरटी-पीसीआर जांच की रिपोर्ट 72 घंटे में पाना कठिन है, जिसकी वजह से लोगों को यात्राएं रद्द करनी पड़ रही हैं।
इसके अलावा विमानन कंपनियों ने देश की शीर्ष जैव चिकित्सा अनुसंधान एजेंसी भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के दिशानिर्देशों का हवाला भी दिया है, जिनमें कहा गया कि कोविड से उबरने वाले लोगों को तीन महीने के अंदर कोविड की दोबारा जांच कराने की जरूरत नहीं है।
विमानन कंपनी के एक कार्याधिकारी ने कहा, ‘दिल्ली, मुंबई और बेंगलूरु में जांच की रिपोर्ट जल्द पाना कठिन है क्योंकि जांच बुक करने में ही 48 घंटे लग जाते हैं। इसकी वजह से कई स्वस्थ व्यक्ति और कोविड से उबर चुके शख्स यात्रा नहीं कर पाते हैं, जिससे उद्योग को भी नुकसान हो रहा है। ऐसे में विमान से यात्रा करने के लिए चिकित्सक से उड़ान के लिए फिट प्रमाणपत्र पर जोर दिया जाना चाहिए।’
प्रयोगशालाओं पर भारी दबाव को देखते हुए आईसीएमआर ने 4 मई को सिफारिश की थी कि देश के भीतर दो राज्यों के बीच यात्रा के लिए स्वस्थ व्यक्ति पर आरटी-पीसीआर जांच की बंदिश हटानी चाहिए। चिकित्सा विशेषज्ञों का कहना है कि कोविड से ठीक होने वाले कई व्यक्तियों के नतीजे भी पॉजिटिव आ जाते हैं क्योंकि उनमें वायरस का अंश रहता है लेकिन वे नुकसान नहीं कर सकते और न ही संक्रमण फैला सकते हैं।
किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी, लखनऊ के ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग की प्रमुख प्रो. तूलिका चंद्रा ने कहा, ‘उपचार के बाद आरएनए मॉलिक्यूल करीब दो हफ्ते तक शरीर में रहते हैं और फिर धीरे-धीरे खत्म होते हैं। अगर कोई उपचार के तुरंत बाद जांच कराता है तो वह पॉजिटिव आ सकता है लेकिन वह किसी और में संक्रमण नहीं फैला सकता।’ कोरोना की दूसरी लहर ने भारतीय विमानन उद्योग पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है। यात्रियों की संख्या में रोज कमी आ रही है और सरकार से भी उद्योग को वित्तीय मदद नहीं मिली है। ऐसे में कुछ कंपनियां दिवालिया होने के कगार पर पहुंच सकती हैं। 3 मई को घरेलू हवाई यात्रियों की संख्या घटकर 1 लाख रह गई थी।