नीति आयोग के 2019-20 के स्वास्थ्य सूचकांक में 19 बड़े राज्यों में उत्तर प्रदेश एक बार फिर सबसे निचले पायदान पर आया है, जहां विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। केरल, तमिलनाडु और तेलंगाना शीर्ष 3 राज्यों में शामिल हैं, जिसमें केरल लगातार चौथी बार पहला स्थान बरकरार रखते हुए कुल मिलाकर स्वास्थ्य प्रदर्शन के मामले में बेहतरीन राज्य बना हुआ है। 2019-20 में स्वास्थ्य मानकों के हिसाब से उत्तर प्रदेश के बाद बिहार और मध्य प्रदेश क्रमश: दूसरे और तीसरे खराब प्रदर्शन करने वाले राज्य हैं।
सूचकांक के चौथे दौर में पश्चिम बंगाल को छोड़कर सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों को शामिल किया गया, जबकि आंकड़े उपलब्ध न होने के कारण लद्दाख को शामिल नहीं किया गया है।
यह रैंकिंग कोरोना महामारी आने के ठीक पहले स्वास्थ्य की स्थिति के आंकड़ों के आधार पर की गई है, जिससे पता चलता है कि उत्तर प्रदेश 2018-19 और 2019-20 के बीच बढ़े प्रदर्शन वाले राज्यों में सबसे बेहतर राज्य है।
नीति आयोग का यह सूचकांक 24 संकेतकों के आधार पर तैयार किया जाता है, जिसमें स्वास्थ्य प्रदर्शन के प्रमुख पहलुओं को शामिल किया जाता है। इसमें स्वास्थ्य प्रदर्शन, प्रशासन और सूचना, प्रमुख इनपुट और प्रॉसेस शामिल हैं। संकेतकों का चयन सैंपल रजिस्ट्रेशन सिस्टम (एसआरएस), सिविल रजिस्ट्रेशन सिस्टम (सीआरएस) और हेल्थ मैनेजमेंट इन्फॉर्मेशन सिस्टम (एचएमआईएस) जैसे मौजूदा डेटा स्रोतों के आधार पर किया जाता है।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘2019-20 के लिए स्वास्थ्य सूचकांक में कोविड-19 का स्वास्थ पर असर को शामिल नहीं किया गया है। यह सूचकांक आधार वर्ष (2018-19) और संदर्भ वर्ष (2019-20) का है, जिसमें कोविड-19 के पहले के आंकड़े हैं।’
रैंक बनाने और इकाइयों से तुलना करने में राज्यों को तीन श्रेणियों बड़े राज्य, छोटे राज्य और केंद्र शासित प्रदेश में बांटा गया है।
सूचकांक से यह भी पता चलता है कि भले ही केरल और तमिलनाडु कुल मिलाकर प्रदर्शन में शीर्ष स्थानों पर हैं, लेकिन जब बढ़े प्रदर्शन वाले राज्यों की बात आती है तो उनका स्थान क्रमश: 12वां और आठवां है।
तेलंगाना का कुल मिलाकर प्रदर्शन और बढ़े प्रदर्शन दोनों हिसाब से तीसरा स्थान है।
सूचकांक से यह भी पता चलता है कि छोटे राज्यों में मिजोरम कुल मिलाकर प्रदर्शन और बढ़े हुए प्रदर्शन के मामले में पहले स्थान पर है। वहीं केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली और जम्मू कश्मीर कुल मिलाकर प्रदर्शन में केंद्र शासित प्रदेशों में निचले स्थान पर हैं, जबकि बढ़े प्रदर्शन के हिसाब से शीर्ष पर हैं।
सूचकांक से पता चलता है कि कुल मिलाकर प्रदर्शन के हिसाब से बेहतरीन और सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले बड़े राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में मौजूदा दौर के सूचकांक में स्वास्थ्य सेवाओं में अंतर कुछ कम हुआ है, जबकि छोटे राज्यों में यह बढ़ा है।
रिपोर्ट जारी करते हुए नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने कहा, ‘राज्यों ने राज्य स्वास्थ्य सूचकांक जैसे संकेतकों को संज्ञान में लेना और संसाधनों के आवंटन व नीति निर्माण में उनका इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है।’ कुमार ने कहा कि यह रिपोर्ट प्रतिस्पर्धी और सहकारी संघवाद दोनों का एक उदाहरण है।
यह रिपोर्ट विश्व बैंंक के सहयोग से से स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण के साथ मिलकर तैयार की गई है। आधिकारिक बयान के मुताबिक इस सालाना सूचकांक का महत्त्व राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत प्रोत्साहन देने को लेकर भी है। यह बजट व्यय में ध्यान के केंद्रों में बदलाव के लिए अहम है।