facebookmetapixel
शेयर बाजार में तीसरे दिन तेजी; सेंसेक्स 595 अंक चढ़ा, निफ्टी 25,850 अंक के पारGroww IPO की धमाकेदार लिस्टिंग! अब करें Profit Booking या Hold?Gold में फिर आने वाली है जोरदार तेजी! जानिए ब्रोकरेज ने क्यों कहा?सेबी चीफ और टॉप अफसरों को अपनी संपत्ति और कर्ज का सार्वजनिक खुलासा करना चाहिए, समिति ने दिया सुझावKotak Neo का बड़ा धमाका! सभी डिजिटल प्लान पर ₹0 ब्रोकरेज, रिटेल ट्रेडर्स की बल्ले-बल्लेभारी बारिश और चक्रवात मोंथा से कपास उत्पादन 2% घटने का अनुमान, आयात रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने की उम्मीदSpicejet Q2FY26 results: घाटा बढ़कर ₹635 करोड़ हुआ, एयरलाइन को FY26 की दूसरी छमाही में बेहतर प्रदर्शन की उम्मीदRetail Inflation: खुदरा महंगाई अक्टूबर में घटकर कई साल के निचले स्तर 0.25% पर आई, GST कटौती का मिला फायदाGold ETFs में इनफ्लो 7% घटकर ₹7,743 करोड़ पर आया, क्या कम हो रही हैं निवेशकों की दिलचस्पी?चार्ट्स दे रहे ब्रेकआउट सिग्नल! ये 5 Midcap Stocks बना सकते हैं 22% तक का प्रॉफिट

असंगठित क्षेत्र में बढ़ी श्रमिकों की संख्या

Last Updated- December 15, 2022 | 8:03 PM IST

कोरोनावायरस से प्रभावित भारत में श्रम बाजार एक साल पहले की तुलना में और ज्यादा असुरक्षित हो गया है। आज जारी आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक भारत में असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारियों की हिस्सेदारी पिछले साल की तुलना में बढ़ी है।
नियमित वेतन पर काम करने वाले कर्मचारियों की कमाई 2017-18 की तुलना में 2018-19 में बढ़ी है। वहीं ऐसे कर्मचारियों की संख्या भी बढ़ी है, जिन्हें सामाजिक सुरक्षा का लाभ नहीं मिलता है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह अनौपचारिक होने की बढ़ती प्रवृत्ति की ओर इशारा करता है।
भारत में आधे से ज्यादा कामगार (51.9 प्रतिशत), जिन्हें नियमित आमदनी हो रही है, 2018-19 में सामाजिक सुरक्षा के दायरे में नहीं हैं। इनकी हिस्सेदारी पिछले साल 49.6 प्रतिशत थी। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा कराए गए श्रम बल सर्वे से यह जानकारी मिलती है, जो जुलाई 2018 से जून 2019 के बीच कराया गया। इसे गुरुवार को जारी किया गया।
नियमित वेतन पाने वाले कर्मचारियों की संख्या 2017-18 के 22.8 प्रतिशत से बढ़कर 23.8 प्रतिशत हो गई है और अस्थायी कर्मचारियों की संख्या इस दौरान 24.9 प्रतिशत से घटकर 24.1 प्रतिशत रह गई है, उसके बावजूद यह स्थिति है। कार्यबल में स्वरोजगार करने वालों की संख्या 52.1 प्रतिशत पर स्थिर बनी हुई है।
इंडियन काउंसिल फार रिसर्च आन इंटरनैशनल इकोनॉमिक रिलेशंस (इक्रियर) में सीनियर फेलो राधिका कपूर ने कहा कि ज्यादा फर्में औपचारिक क्षेत्र की ओर बढ़ रही हैं और कर्मचारियों को नियमित वेतन दे रही हैं लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वे उन्हें सामाजिक सुरक्षा के लाभ भी दे रही हैं। कपूर ने कहा, ‘ऐसे उद्यमों की संख्या ज्यादा हो सकती है, जो औपचारिक क्षेत्र में आ रहे हैं। उदाहरण के लिए फर्में वस्तु एवं सेवा कर के तहत पंजीकरण करा रही हैं, लेकिन आपूर्ति में व्यवधान और अर्थव्यवस्था में मांग की कमी की वजह से यह हो सकता है कि वे काम कराने के मामले में लचीला रुख अपना रही हों।’
लिखित कॉन्ट्रैक्ट वाले नियमित वेतन पर काम करने वाले कर्मचारियों की संख्या 2017-18 के 28.9 प्रतिशत से बढ़कर 2018-19 में 30.5 प्रतिशत हो गई। कपूर ने कहा, ‘यह खतरनाक ट्रेंड है और इसका मतलब यह है कि श्रम बाजार में अनौपचारिकीकरण बढ़ रहा है और कोविड-19 के बाद इसमें और बढ़ोतरी होगी।’
जब केंद्र सरकार ने देशबंदी की घोषणा की थी तो लाखों की संख्या में मजदूर शहर छोड़कर अपने गांवों की ओर पैदल चल पड़े थे। इसकी एक प्रमुख वजह यह थी कि ज्यादातर असंगठित क्षेत्र के श्रमिक थे और उन्हें कोई सामाजिक सुरक्षा नहीं थी, महामारी के समय वे और असुरक्षित हो गए। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र की प्रोफेसर जयति घोष ने कहा, ‘दिल्ली के श्रमिकों के हमारे खुद के सर्वे से पता चलता है कि बहुत से श्रमिक सामाजिक सुरक्षा का लाभ नियोक्ताओं से पा रहे थे, वे महज कागज पर था। उन्हें कर्मचारी भविष्य निधि योजना की कोई जानकारी नहीं थी। दरअसल महामारी के बाद यह खुलकर सामने आ गया कि हमारे श्रमिकों को कोई सुरक्षा नहीं है।’

First Published - June 6, 2020 | 12:31 AM IST

संबंधित पोस्ट