राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार ने देश में अनुबंधित (ठेका) श्रमिक प्रणाली को उदार बनाने के लिए शनिवार को संसद में श्रम संहिता पेश की, जिसके तहत कंपनियों को ऐसे श्रमिकों को नियुक्त करने की आजादी होगी।
पेशेवर सुरक्षा स्वास्थ्य एवं कामकाज की स्थिति (ओएसएच) संहिता विधेयक, 2020 के तहत कंपनियों को ठेके पर श्रमिक नियुक्त करने की सुविधा होगी। हालांकि इसमें कारखाने के संचालन में मुख्य और गैर-मुख्य गतिविधियों की अवधारणा को शामिल किया गया है। विधेयक में ज्यादा से ज्यादा कंपनियों को ठेका श्रमिक कानून के दायरे से बाहर करने के लिए फर्मों के आकार की सीमा भी बढ़ाने का प्रावधान है। ठेका श्रमिक छंटनी और श्रम संगठन कानून के दायरे से बाहर होते हैं। ऐसे में इस तरह की व्यवस्था कारोबार के लिए अच्छी पहल है। औद्योगिक संबंध विधेयक संहिता, 2020 में प्रावधान है कि उद्योग अपनी जरूरत के हिसाब से नियत अवधि के लिए ठेके पर श्रमिकों को नियुक्त कर सकते हैं और इसमें किसी क्षेत्र या उद्योग को लेकर कोई पांबदी नहीं है और न ही इसमें ठेकेदार को शामिल करने की जरूरत है।
सरकार ने ऐसे श्रमिकों को नियुक्त करने की अवधि तय नहीं की है और न ही उसके नवीकरण का ही कोई प्रावधान है। चीन और वियतनाम जैसी विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में भी इसी तरह के नियम हैं। सरकार ने कंपनियों के मौजूदा श्रमबल को नियत अवधि वाले श्रमिकों में तब्दील करने के प्रस्ताव को भी नामंजूर कर दिया है।
प्रस्तावित ओएसएच संहिता में कहा गया है कि ‘किसी भी प्रतिष्ठान में मुख्य गतिविधियों के लिए ठेके पर श्रमिकों को नियुक्त करना प्रतिबंधित है।’ मुख्य गतिविधि उसे कहा गया है जिसके मकसद के लिए प्रतिष्ठान स्थापित किया गया है और ऐसी कोई भी गतिविधि जो आवश्यक है। लेकिन साफ-सफाई, सुरक्षा सेवा, कैंटीन, बागवानी, हाउसकीपिंग आदि को मुख्य गतिविधि नहीं माना जाएगा, अगर संबंधित प्रतिष्ठान का यह मुख्य कारोबार न हो।
श्रम मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि सरकार ने भर्तृहरि महताब की अध्यक्षता वाली श्रम पर संसद की स्थायी समिति की सिफारिशों को स्वीकार कर लिया है।
उदाहरण के लिए मारुति सुजूकी कारों के उत्पादन के लिए ठेके पर श्रमिक नियुक्त नहीं कर सकती हैं, क्योंकि वह उसका मुख्य कारोबार है। लेकिन कैंटीन, हाउसकीपिंग या सुरक्षा सेवा के लिए ठेके पर श्रमिकों को नियुक्त करने की अनुमति होगी।
लेकिन प्रस्तावित ओएसएच संहिता को ध्यान से पढऩे पर पता चलता है कि मुख्य गतिविधियों के लिए भी फर्में ठेके पर श्रमिकों को नियुक्त करने के लिए स्वतंत्र होंगी अगर वे इसके लिए ठेकेदारों का इस्तेमाल करती हैं। यहां तक कि अचानक काम बढऩे पर कंपनियां मुख्य गतिविधियों के लिए ठेके पर श्रमिकों को नियुक्त कर सकती हैं।
भारतीय उद्योग परिसंघ की औद्योगिक संबंध पर राष्ट्रीय समिति के चेयरमैन एम एस उन्नीकृष्णन ने कहा, ‘प्रस्तावित विधेयक को इस तरह से बनाया गया है कि कंपनियों के पास अपने परिचालन को सुचारु तरीके से चलाने के लिए सभी तरह के कामों के लिए समान रूप से विशेषज्ञता और दक्षता होगी। कुछ गतिविधियों को आउटसोर्स कराना होता है और कई देशों में इस तरह की व्यवस्था है। आज के समय में कंपनियों को अपने मुख्य कारोबार पर ध्यान देने की जरूरत है।’
देश का मौजूदा अनुबंध श्रमिक कानून को अनुबंध श्रमिक (नियमन और उन्मूलन) अधिनियम, 1970 के नाम से जाना जाता है। इसके तहत स्थायी कर्मचारियों को प्रोत्साहित किया गया है और ठेके पर श्रमिकों को रखने की व्यवस्था खत्म करने पर जोर दिया गया है। इसके तहत सभी कंपनियां कम से कम 20 ठेका श्रमिकों को नियुक्त करती है। प्रस्तावित संहिता के तहत कंपनियां कम से कम 50 ठेका कर्मचारियों को नियुक्त कर सकती हैं। इसका मतलब हुआ कि कई कंपनियां श्रम कानून के दायरे से बाहर हो जाएंगी।
सरकार ने प्रस्ताव किया है कि एक प्राधिकरण नियुक्त किया जाएगा जो यह तय करेगा कि संबंधित गतिविधियां मुख्य हैं या नहीं। कंपनियों को अगर प्राधिकरण के निर्णय पर कोई आपत्ति हो तो वह सरकार को इससे अवगत करा सकती है।
एक्सएलआरआई के प्राध्यापक केआर श्याम सुंदर ने कहा कि कारोबार सुगमता के नाम पर ओएसएच विधेयक संहिता के जरिये करीब दर्जन भर राज्यों द्वारा अधिक से अधिक कंपनियों को श्रम कानून के दायरे से बाहर करने के प्रस्तावों को कानूनी रूप दिया जा रहा है। कई मामलों में सरकार ने मुख्य गतिविधियों में भी ठेका कर्मचारियों को नियुक्त करने की अनुमति दी है।