कोविड-रोधी टीके की दूसरी और तीसरी खुराक (बूस्टर डोज) के बीच अंतर कम से कम 9 महीने का होगा। शुरुआत में किसी बीमारी वाले बुजुर्गों, स्वास्थ्यकर्मियों और अग्रिम पंक्ति के कर्मचारियों को तीसरी खुराक दी जाएगी। सरकार ने कहा कि 15 से 18 साल के बच्चों के लिए केवल कोवैक्सीन टीका उपलब्ध होगा। स्वास्थ्य मंत्रालय के ताजा दिशानिर्देश दुनिया भर में कोविड-19 के नए स्वरूप ओमीक्रोन के मामलों में तेजी के मद्देनजर आए हैं। टीकाकरण पर राष्ट्रीय तकनीकी परामर्श समूह के साथ ही एनटीएजीआई की स्थायी तकनीकी वैज्ञानिक समिति के कार्यसमूह की सलाह पर कोविड-19 टीकाकरण नीति में संशोधित करने का निर्णय किया गया है।
15 से 18 साल के बच्चों को 3 जनवरी से टीका लगाया जाएगा। इस बीच बच्चों के लिए आधार नहीं होने की स्थिति में को-विन पर छात्र पहचान पत्र के जरिये पंजीकरण कराया जा सकता है। शर्मा ने कहा कि बच्चों के लिए 1 जनवरी से पंजीकरण शुरू होगा। किसी बीमारी वाले बुजुर्गों, स्वास्थ्यकर्मियों और अग्रिम पंक्ति के कर्मचारियों को तीसरी खुराक 10 जनवरी से लग सकती है।
को-विन के प्रमुख आर एस शर्मा ने आज बताया, ‘कोविड-19 रोधी टीके की पहली एहतियाती खुराक 60 साल से ऊपर के ऐसे लोगों को दी जाएगी, जिन्हें टीके की दूसरी खुराक लगवाए 9 महीने गुजर चुके हैं।’ दूसरी खुराक को 9 महीने पूरे होने के बाद ही को-विन पर तीसरी खुराक के लिए पंजीकरण किया जा सकता है।
इसका मतलब यह हुआ कि जिन लोगों ने इस साल अप्रैल में कोविड टीके की दूसरी खुराक ली थी, वे जनवरी 2022 में तीसरी खुराक के लिए पात्र होंगे। इस तरह तीसरी खुराक के लिए टीके की मांग में धीरे-धीरे इजाफा होगा। वरिष्ठ नागरिकों के लिए इस साल मार्च से टीकाकरण की शुरुआत की गई थी।
जनवरी में टीके की तीसरी खुराक के लिए करीब 3 करोड़ स्वास्थ्यकर्मी और अंग्रिम मोर्चे पर कार्यरत कर्मचारी पात्र होंगे। एहतियाती खुराक के रूप में 60 साल से ऊपर के किसी दूसरी बीमारी से ग्रस्त लोग ही अभी तीसरी खुराक के लिए पात्र होंगे। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के अनुसार 2021 में देश में बुजुर्ग लोगों की संख्या करीब 13.8 करोड़ है। अगर मान लें कि इस आबादी में से करीब 50 फीसदी लोगों को कोई अन्य बीमारी है तो वे कोविड टीके की तीसरी खुराक के लिए पात्र होंगे और ऐसे लोगों की संख्या करीब 7 करोड़ होगी।
दूसरी और तीसरी खुराक के बीच 9 महीने का अंतर रखने का निर्णय भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद जैसी सरकारी संस्थाओं के अध्ययन के आधार पर लिया गया है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि भारत में कम से कम 5 से 6 अध्ययन किए गए हैं, जिनमें कोविशील्ड और कोवैक्सीन लेने के बाद ऐंटीबॉडी के स्तर का आकलन किया गया है। उन्होंने बताया, ‘एमआरएनए टीकों में ऐंटीबॉडी तेजी से बढ़ते हैं मगर 3 से 4 महीने बाद इनमें तेज गिरावट भी आ जाती है। कोविशील्ड और कोवैक्सीन में ऐंटीबॉडी धीरे-धीरे विकसित होते हैं और कमी भी धीमी रफ्तार से होती है।