अमेरिका चीन के सेमीकंडक्टर उद्योग पर एक और बड़ा वार करने की तैयारी में है। साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका करीब 200 चीनी कंपनियों को व्यापार प्रतिबंध लिस्ट में डालने जा रहा है। इनमें चिप बनाने वाले उपकरण और सामग्री सप्लाई करने वाली प्रमुख कंपनियां शामिल हैं।
चीन की आत्मनिर्भरता पर असर
यह कदम चीन के सेमीकंडक्टर उद्योग को आत्मनिर्भर बनाने के प्रयासों को और मुश्किल बना सकता है। इस लिस्ट में हुवावे टेक्नोलॉजीज और उससे जुड़े चिप निर्माण प्लांट्स को भी निशाना बनाया गया है। हुवावे 2019 से ही अमेरिकी प्रतिबंधों का सामना कर रहा है। अमेरिका के ये नए प्रतिबंध चीन की चिप सप्लाई चेन को बुरी तरह प्रभावित कर सकते हैं। इनसे वेंचर कैपिटल और विशेष गैस सप्लाई करने वाली कंपनियों पर भी असर पड़ने की आशंका है।
चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने इन प्रतिबंधों की कड़ी निंदा की है। उन्होंने कहा कि ये कदम दोनों देशों के आर्थिक संबंधों को नुकसान पहुंचा रहे हैं और चीन अपने व्यापारिक हितों की रक्षा के लिए जवाबी कार्रवाई करेगा। अमेरिका और चीन के बीच तकनीकी विवाद और गहरा हो गया है। अमेरिका के इन प्रतिबंधों का उद्देश्य चीन को एडवांस तकनीकों तक पहुंच से रोकना है, जिनसे उसकी सैन्य ताकत बढ़ सकती है।
पिछले प्रतिबंधों के तहत, अमेरिका ने चीन के आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) उद्योग को Nvidia और ASML जैसी कंपनियों की एडवांस चिप्स और उपकरणों से वंचित कर दिया था। विशेषज्ञों का मानना है कि यह नया कदम चीन के सेमीकंडक्टर उद्योग के लिए बड़ा झटका होगा।
चीन के आत्मनिर्भरता के प्रयास
अमेरिकी प्रतिबंधों के बावजूद, चीन सेमीकंडक्टर उत्पादन में आत्मनिर्भर बनने की कोशिश कर रहा है। चीन ने कम एडवांस चिप निर्माण उपकरण बनाने में प्रगति की है, लेकिन लिथोग्राफी और अन्य हाई-टेक उपकरणों के लिए अभी भी आयात पर निर्भर है।
चीन की ताकत एचिंग और फिल्म डिपोजिशन तकनीक में है। नॉरा टेक्नोलॉजी ग्रुप और एडवांस्ड माइक्रो-फैब्रिकेशन इक्विपमेंट जैसी कंपनियों की मांग बढ़ रही है। चीन विदेशी कंपनियों के साथ अपने व्यापार संबंध मजबूत करने की कोशिश कर रहा है। हाल ही में चीन के वाइस-कॉमर्स मंत्री वांग शोवेन ने एनवीडिया के ग्लोबल ऑपरेशन हेड से मुलाकात की और चीन में निवेश के अवसरों पर जोर दिया।
चीन की जवाबी कार्रवाई
चीन ने ताइवान को अमेरिकी हथियार बिक्री के बाद नौ अमेरिकी रक्षा कंपनियों पर प्रतिबंध लगाए, उनकी संपत्तियां फ्रीज कीं और उन्हें चीनी कंपनियों के साथ व्यापार करने से रोक दिया। हुवावे जैसी चीनी कंपनियां अब शोध और विकास में भारी निवेश कर रही हैं ताकि विदेशी उपकरणों पर निर्भरता कम हो सके और घरेलू तकनीक को बढ़ावा दिया जा सके।
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