भारत में अमेरिकी एम्बेसी ने डोनाल्ड ट्रम्प प्रशासन के कार्यकारी आदेश के बाद अपने मौजूदा अनुदानों की “समीक्षा” शुरू कर दी है, जिसमें लगभग सभी अमेरिकी विदेशी सहायता के लिए नए वित्तपोषण को रोक दिया गया है। अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी मिशन ने यह सुनिश्चित करने के लिए समीक्षा शुरू कर दी है कि उनके मौजूदा अनुदान कार्यकारी आदेशों का अनुपालन करते हैं। अमेरिकी दूतावास के प्रवक्ता ने प्रकाशन को बताया, “हम यह सुनिश्चित करने के लिए समीक्षा कर रहे हैं कि हमारे मौजूदा अनुदान. यूएस सरकार के कार्यकारी आदेशों का अनुपालन करते हैं।” इस व्यापक आदेश से भारत सहित संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा स्वास्थ्य, शिक्षा, विकास, नौकरी प्रशिक्षण और अन्य प्रयासों में सहायता करने वाली अनगिनत परियोजनाओं पर तत्काल रोक लगने का खतरा है।
विदेशी अखबार द फाइनेंशियल टाइम्स में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने समीक्षा लंबित होने तक लगभग सभी मौजूदा विदेशी सहायता कार्यक्रमों पर काम करने पर तत्काल रोक लगाने का आदेश दिया है। यह आदेश दुनिया भर में अमेरिकी दूतावासों को एक केबल में भेजा गया था। आदेश में केवल दो अपवाद हैं, जिसमें इजरायल और मिस्र को मानवीय खाद्य कार्यक्रमों एवं सैन्य सहायता शामिल है। बता दें कि डोनाल्ड ट्रम्प ने ऐसे वैश्विक कार्यक्रमों को समाप्त करने का संकल्प लिया था, जो अमेरिका के हित में नहीं हैं।
अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक समीक्षा अवधि 85 दिनों तक चलने की उम्मीद है, जिससे सैकड़ों अमेरिकी विदेशी सहायता अनुबंधों का भाग्य, जो 2022 के वित्तीय वर्ष में $70 बिलियन याने 6 लाख करोड़ रूपये से अधिक मूल्य के थे, संभावित रूप से तीन महीने तक अधर में लटके रहेंगे।
यूनाइटेड स्टेट्स एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (USAID) विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से विभिन्न विकास चुनौतियों का समाधान करने के लिए भारत के साथ सहयोग करता है। ये प्रयास तीन रणनीतिक प्राथमिकताओं के तहत आयोजित किए जाते हैं – जलवायु परिवर्तन पर हो रहे काम को आगे बढ़ाना, समावेशी विकास को बढ़ावा देना और अमेरिका-भारत की साझेदारी को मजबूत करना।
Climate Action को आगे बढ़ाने के तहत, 2012 में शुरू किया गया कार्यक्रम PACE तकनीकी सहायता और नवीकरणीय ऊर्जा समाधानों पर मिलकर काम करता है। अन्य प्रयासों में जैव विविधता संरक्षण और जलवायु परिवर्तन (climate change) के खिलाफ प्रदूषण के मुद्दे बात करना शामिल है।
साल 2015 के यूएस एम्बेसी के बयान के मुताबिक स्वच्छ ऊर्जा को आगे बढ़ाने के लिए यू.एस.-भारत साझेदारी (PACE) को मजबूत करने और विस्तारित करने की राष्ट्रपति ओबामा और प्रधानमंत्री मोदी की प्रतिबद्धता के हिस्से के रूप में, यू.एस. राजदूत रिचर्ड वर्मा और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के सचिव उपेंद्र त्रिपाठी ने एक समझौता ज्ञापन (MoU)पर हस्ताक्षर किए, जिसके तहत “PACEsetter Fund” की स्थापना की जाएगी, जो अभिनव ऑफ-ग्रिड स्वच्छ ऊर्जा समाधानों के व्यावसायीकरण में तेजी लाने के लिए एक नया संयुक्त 50 करोड़ रुपये ($7.9 मिलियन) का कोष है।
यह कोष ऑफ-ग्रिड नवीकरणीय ऊर्जा व्यवसायों की व्यवहार्यता में सुधार करने के लिए अभिनव उत्पादों, प्रणालियों और व्यापार मॉडलों के विकास और परीक्षण के लिए अनुदान प्रदान करेगा। अनुदान उन small scale companies को दिया जाएगा जो ऐसे पिछड़े समुदायों को बिजली प्रदान करते हैं, जिन्हें बिजली या तो नहीं मिली, या बिजली की पर्याप्त सप्लाई नहीं होती है।
समावेशी विकास को बढ़ावा देने के लिए, USAID का भारत में जल और स्वच्छता के लिए समर्थन (SUWASI) (2021-2026) जल सेवा वितरण को मजबूत करता है और खुले में शौच मुक्त समुदायों को बढ़ावा देता है। महिला + जल गठबंधन (2017-2023) ने स्वच्छ जल पहलों के माध्यम से महिलाओं को सशक्त बनाया। एडवांसिंग न्यूट्रिशन प्रोग्राम (2021-2023) ने असम में वंचित परिवारों में कुपोषण को संबोधित किया, पोषण-संवेदनशील कृषि प्रथाओं को स्वास्थ्य परिणामों से जोड़ा। USAID हाशिए पर पड़े समूहों के लिए स्वास्थ्य प्रणाली, शिक्षा और आर्थिक अवसरों को बेहतर बनाने में भी निवेश करता है।
साझेदारी को मजबूत करने के तहत, USAID निजी क्षेत्र और क्षेत्रीय हितधारकों के साथ सहयोग को बढ़ावा देता है। एडवांसिंग द यूएस-इंडिया पार्टनरशिप प्लेटफ़ॉर्म एकीकृत शिक्षण और अनुकूली रणनीतियों के माध्यम से कार्यक्रम की प्रभावशीलता को बढ़ाता है। इसके अतिरिक्त, USAID दक्षिण एशिया में व्यापार, संपर्क और तकनीकी नवाचार को बढ़ावा देता है, जिससे प्रभावशाली विकास के लिए वित्त का लाभ उठाया जाता है।