सरकार भारत प्रशांत आर्थिक ढांचे (IPEF) के व्यापार स्तंभ से जुड़े समझौते में शामिल होने को लेकर बँटी हुई है। वहीं सदस्य देश नवंबर में चार ‘स्तंभ’ को लेकर समझौते के करीब पहुंच रहे हैं। इस मामले के जानकार लोगों के मुताबिक भारत के लिए इस समझौते के अलावा श्रम, पर्यावरण, डिजिटल व्यापार चिंता के विषय रहे हैं और भारत इन मसलों पर अपने रुख पर कायम है।
इस मामले की जानकारी देने वाले सूत्र ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘व्यापार स्तंभ पर वार्ता शुरू करने के फैसले से पहले भारत अमेरिका से डिजिटल कारोबार की वार्ता के संबंध में कुछ स्पष्टीकरण चाहता है।’ उन्होंने बताया, ‘वार्ता के दौरान पहले तय भाषा को कमजोर कर दिया गया। भारत के लिए डिजिटल कारोबार क्षेत्र (व्यापार स्तंभ) में चिंता का विषय है।’
भारत ने आईपीईएफ में व्यापार स्तंभ से कुछ समय के लिए बाहर रहने के विकल्प को चुना है। अभी भारत के पास ‘पर्यवेक्षक’ का दर्जा है। लिहाजा इसका अर्थ यह हुआ कि भारत एक बार बातचीत पूरी होने के बाद अंतिम भाषा को देखेगा। इससे भारत के पास विभिन्न विकल्प मुहैया रहेंगे। हालांकि इसका अर्थ यह भी है कि भारत के ‘पर्यवेक्षक’ रहने की स्थिति में बातचीत को अंतिम फैसले तक पहुंचाने की क्षमता खो भी सकता है। सूत्र ने बताया, ‘भारत ने बीते साल व्यापार स्तंभ से बाहर रहने का फैसला किया था और अंतिम फैसले के इंतजार में था। ऐसे में सभी साझेदारों को अपने तर्क से समझा पाना आसान नहीं है।’
आईपीईएफ के व्यापार स्तंभ में 14 देश हैं। इसमें केवल भारत ही पर्यवेक्षक है। इसमें अमेरिका के अलावा 13 अन्य देश ऑस्ट्रेलिया, ब्रुनेई, फिजी, इंडोनेशिया, भारत, जापान, कोरिया, मलेशिया, न्यूजीलैंड, फिलिपींस, सिंगापुर, थाइलैंड और वियतनाम हैं। लिहाजा भारत डिजिटल कारोबार जैसे संवेदनशील मामले पर संभलकर आगे बढ़ रहा है। इसका कारण यह है कि भारत देश की सीमा से बाहर डेटा के निर्बाध जाने पर सहज नहीं है जबकि यह अमेरिका जैसे देशों की शीर्ष मांग है।
भारत ने बीते साल जून में व्यापार स्तंभ की बातचीत में शामिल नहीं होने की घोषणा की थी और भारत में व्यक्तिगत डिजिटल डेटा के संरक्षण के लिए कानून भी नहीं था। इसके अलावा भारत बहुपक्षीय आर्थिक सहयोग व्यवस्था में कोई प्रतिबद्धता करने से पहले सावधानीपूर्वक आगे बढ़ना चाहता है। हालांकि भारत ने इस सप्ताह के शुरू में व्यक्तिगत डिजिटल डेटा संरक्षण विधेयक पारित किया है।