PM Modi Putin Meeting at SCO Summit: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार को चीन के तियानजिन में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन के दौरान रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मिले। पीएम मोदी ने इस मुलाकात की तस्वीर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर साझा करते हुए लिखा, “हमेशा खुशी होती है पुतिन से मिलने में।”
Interactions in Tianjin continue! Exchanging perspectives with President Putin and President Xi during the SCO Summit. pic.twitter.com/K1eKVoHCvv
— Narendra Modi (@narendramodi) September 1, 2025
पीएम मोदी रविवार को तियानजिन पहुंचे थे और SCO शिखर सम्मेलन में हिस्सा लिया। इस सम्मेलन में उन्हें चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से भी मुलाकात करने का मौका मिला। दोनों नेताओं ने सीमा विवाद को सुलझाने और सहयोग बढ़ाने पर सहमति जताई। पीएम मोदी ने कहा कि “सीन की ओर से हालिया कदमों के बाद सीमाओं पर शांतिपूर्ण माहौल है।”
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राष्ट्रपति शी ने उम्मीद जताई कि तियानजिन की बैठक द्विपक्षीय संबंधों को “सतत, स्वस्थ और स्थिर विकास” की ओर ले जाएगी।
साथ ही, पीएम मोदी ने मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुज्जू से भी मुलाकात की और कहा कि भारत और मालदीव के बीच विकास संबंध दोनों देशों के लोगों के लिए लाभकारी हैं।
इस शिखर सम्मेलन के दौरान, अमेरिका और भारत के बीच ऊर्जा सौदों को लेकर तनाव भी चर्चा का विषय रहा, क्योंकि अगस्त में अमेरिकी प्रशासन ने भारत से आयातित वस्तुओं पर 50 प्रतिशत शुल्क लगाया था।
डॉनल्ड ट्रंप नेतृत्व वाली अमेरिकी प्रशासन ने भारत के रूस और चीन के साथ बढ़ते संबंधों पर आलोचना की है।
रविवार को फॉक्स न्यूज को दिए साक्षात्कार में अमेरिकी राष्ट्रपति के सलाहकार पीटर नवारो ने कहा, “मोदी एक महान नेता हैं, लेकिन मैं समझ नहीं पा रहा कि वे पुतिन और शी जिनपिंग के साथ इतनी नजदीकी क्यों बना रहे हैं, जबकि वे दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के नेता हैं।” उन्होंने आगे कहा, “भारत मूलतः क्रेमलिन के लिए एक ‘लॉन्ड्रोमैट’ बन गया है। यह यूक्रेनी नागरिकों के लिए खतरा पैदा करता है।”
अमेरिका ने रूस से कच्चे तेल की खरीद जारी रखने के कारण भारत पर 25% अतिरिक्त टैरिफ लगाया है, जिससे कुल आयात शुल्क 50% हो गया है। इससे तैयार परिधान, रत्न और आभूषण, हीरे और समुद्री उत्पादों जैसे भारतीय निर्यात क्षेत्र विशेष रूप से प्रभावित हुए हैं।
भारत ने अप्रैल में अमेरिका से शुल्क वार्ता के लिए संपर्क किया था और इसे अनुचित बताते हुए अमेरिकी तर्क को विरोधाभासी करार दिया। विदेश मंत्रालय ने भी बताया कि पहले के अमेरिकी प्रशासन ने भारत से रूस से तेल खरीदने को कहा था ताकि तेल बाजार स्थिर रहे। साथ ही, अमेरिका और यूरोपीय संघ भी रूस से माल खरीद रहे हैं।